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कौन थे मंदसौर में पुलिस की गोली से मरने वाले 5 किसान, पढ़िए पूरा सच

मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस की गोली से मारे गए किसानों की दर्दभरी दास्तान, एक अदद नौकरी और जमीन की कर रहे थे तलाश

By Ankur
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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जिस तरह से अपनी मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे उसके बाद हालात काफी मुश्किल हो गए हैं। किसानों के उग्र प्रदर्शन के बाद पुलिस की तरफ से की गई फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद राज्य सरकार कटघरे में आ गई है। लेकिन जिस तरह से इस पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की जान गई है उसके बाद इन किसानों की आर्थिक हालत के सामने आने के बाद विपक्षी दल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर और हमलावर हो गए हैं। (फोटो: साभार इंडियन एक्सप्रेस )

किसी के पास भी जमीन-नौकरी नहीं थी

किसी के पास भी जमीन-नौकरी नहीं थी

जिन पांच किसानों की प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में मौत हुई है, उसमें किसी के भी पास अपनी जमीन नहीं थी, यहां तक कि इनमें से एक किसान की उम्र महज 19 वर्ष की थी और वह ग्यारहवी का छात्र था। इस छात्र को जीवविज्ञान पढ़ना पसंद था, वहीं दूसरा किसान जिसकी मौत हुई है उसकी उम्र 23 वर्ष थी और उसकी दो महीने पहले ही शादी हुई थी, वह भारतीय सेना में जाना चाहता था। जिस तीसरे युवक की इस दौरान मौत हुई है वह दिहाड़ी मजदूर था। जबकि दो अन्य किसानों में एक किसान की उम्र 22 वर्ष थी और दूसरे की 44 वर्ष उम्र थी, ये दोनों जिस खेत में काम करते थे वह इनका खेत नहीं था।

घरवालों का जीना मुहाल है

घरवालों का जीना मुहाल है

प्रदर्शन के दौरान मारे गए इन सभी किसानों का परिवार मंदसौर से 25 किलोमीटर दूर गांव में रहता था, जिन्हे इस पूरी घटना की जानकारी नहीं थी, लेकिन जब इन किसानों की मौत की खबर आई तो इन परिवारों का जीना मुहाल हो गया है, ये परिवार अभी भी अपनों के खोने पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं, इन लोगों का दुख अब गुस्से में बदल गया है, ये सभी एक ही सवाल पूछते हैं कि इन्हें गोली क्यों मारी गई।

अभिषेक दिनेश पाटीदार

अभिषेक दिनेश पाटीदार

अभिषेक ग्यारहवी का छात्र है और से जीवविज्ञान पढ़ना पसंद है, वह अपने भाई-बहनों में सबसे छोटा था। इसका परिवार मंदसौर-नीमच हाईवे पर बारखेड़ा पंथ गांव में है। मंगलवार को अभिषेक के शव को परिवार वालों ने हाईवे पर रखकर प्रदर्शन किया और रास्ते को जाम कर दिया। जिसके बाद यहां के डीएम हालात को काबू करने के लिए पहुंचे, लेकिन डीएम के साथ यहां के लोगों ने हाथापाई की। अभिषेक के पिता दिनेश पेशे से किसान हैं और वह अभी भी अपने हिस्से का 28 बीघा जमीन हासिल करने में सफल नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि उनका बेटा प्रदर्शन के दौरान सिर्फ नारे लगा रहा था, उसने किसी भी तरह की हिंसा नहीं की, एक बच्चा पुलिस को क्या नुकसान पहुंचा सकता था।

पूनमचंद उर्फ बबलू जगदीश पाटीदार

पूनमचंद उर्फ बबलू जगदीश पाटीदार

टकरावाड़ गांव से 25 किलोमीटर दूर पिपलिया मंडी पुलिस स्टेशन के पास पूनमचंद रहते थे, उन्होंने अपने पिता को जनवरी 2016 में खो दिया था। पूनमचंद बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन दूसरे साल उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि उन्हें 7 बीघा जमीन की देखरेख करनी थी जो उन्हें परिवार की ओर से मिली थी, लेकिन इस जमीन को उनके नाम आजतक नहीं किया गया है। उनका विवाह हो गया था। फूलचंद के एक दोस्त जो उनके साथ थे ने बताया कि जिस वक्त फूलचंद की मौत हुई वह पानी पी रहे थे, जिस वक्त वह अपने साथियों के साथ बात कर रहे थे तभी वहां से गाड़ी से गुजर रहे पुलिसवालों ने उन्हें गोली मार दी, पुलिस ने किसी भी तरह की चेतावनी नहीं दी।

चैनराम गनपत पाटीदार

चैनराम गनपत पाटीदार

चैनराम नयखेड़ा गांव के रहने वाले हैं और उनका विवाह 29 अप्रैल को हुआ था। उनकी पत्नी इस घटना के बाद सदमे में है। चैनराम के पिता के पास दो बीघा से भी कम जमीन है और वह एक फॉर्म में काम करते हैं ताकि जीवन का गुजर बसर हो सके। चैनराम के पिता का कहना है कि मेरा बेटा सेना में जाना चाहता था, परिवार के अन्य सदस्यों का कहना है कि चैनराम तीन बार सेना भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ था, वह हर बार शारीरिक दक्षता को पास कर लेता था, लेकिन आंखों में रोशनी की वजह से वह सफल नहीं हो सका।

चैनराम के परिवार के पास एक समय में बहुत जमीन थी, लेकिन 1970 में सरकारी अधिगृहण की वजह से जहां डैम बनाना था, उनकी जमीन चली गई। परिवार वालों का कहना है कि जो मुआवजा दिया गया वह नाममात्र का था, जिसकी वजह से परिवार कहीं और जमीन नहीं खरीद सका चैनराम का छोटा भाई बारहवीं का छात्र है, उम्मीद है कि एमपी सरकार के वायदे के अनुसार उसे नौकरी मिल जाएगी।

सत्यनारायण मंगीलाल धागर

सत्यनारायण मंगीलाल धागर

सत्यनारायण लोध गांव के रहने वाले थे, जोकि मंदसौर से 20 किलोमीटर दूर है। सत्यनारायण ने आठवी तक पढ़ाई की थी और वह दिहाड़ी के मजदूर के तौर पर काम करते थे, उन्हें हर रोज 200 रुपए मिलते थे। वह अपने परिवार से अधिक कमाते थे, उनका परिवार जितना खेती से कमाता था उससे अधिक वह दिहाड़ी से कमाते थे। परिवार के पास छह बीघा जमीन थी, उनके पास इस जमीन का मालिकाना हक नहीं था। बड़े भाई राजू का कहना है कि हर रोज घर में पैसा लाने वाला वह एकलौता था, हम सारे लोग थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं, खेती से होने वाली कमाई को कोई भरोसा नहीं है।

सत्यनाराण के चार भाई बहन थे और वह सबसे छोटे थे, बड़े भाई राजू का कहना है कि उन्होंने मुझसे बताया था कि वह प्रदर्शन में हिस्सा लेने जा रहे हैं, मैंने उन्हें रोका होता, लेकिन उसके एक दोस्त ने बताया कि वह सिर्फ रैली को देखने के लिए जाना चाहता था, लेकिन मुझे नहीं पता कि ऐसा क्या हुआ कि उसे गोली मार दी गई। वहीं सत्यनारायण के पिता इस बात को लेकर भी चिंता में हैं कि उनके पास आधार कार्ड नहीं हैं और ना ही बैंक खाता, ऐसे में सरकार ने जो एक करोड़ रुपए देने का वायदा किया है वह कैसे मिलेगा।

कन्हैयालाल धूरीलाल पाटीदार

कन्हैयालाल धूरीलाल पाटीदार

कन्हैयालाल चिलोद पिपलिया गांव के रहने वाले थे और उनके दो बच्चे हैं, उन्होंने आठवी के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, उनकी 16 साल की एक लड़की और 11 साल का एक लड़का है जोकि अभी स्कूल में पढ़ रहे हैं। कन्हैयालाल और उनके तीनों भाईयों के पास कुल सात बीघा जमीन है। कन्हैयालाल के पड़ोसी का कहना है कि वह काफी निर्भीक थे, पुलिस को उन्हें हाथ भी नहीं लगाना चाहिए था, क्योंकि यह प्रदर्शन बिल्कुल शांतिपूर्ण था, उन्होंने बताया कि कन्हैयालाल को ऐसा लगा कि पुलिस उनसे बात करने के लिए बुला रही है, लेकिन उन लोगों ने उन्हें गोली मार दी।

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English summary
Stark reality of 5 farmers of MAdhya Pradesh Mandsaur who were shot dead by Police. None of the farmer had land and Job.
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