Sathya Sai Baba: 14 साल की उम्र में किया चमत्कार, सचिन जैसी हस्तियां थीं उनकी भक्त
सत्य साईं बाबा (Sathya Sai Baba) को तो पूरा देश जानता है। हर जिले में उनके लाखों अनुयायी मिल जाएंगे, जो उनके दिखाए मार्ग पर आज भी चल रहे हैं। आज (23 नवंबर) उनकी जयंती पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे। साथ ही ये भी बताएंगे कैसे एक छोटे से गांव में रहने वाला लड़का इतना बड़ा धार्मिक गुरु बन गया कि उनके सामने सचिन तेंदुलकर जैसी बड़ी हस्तियां भी सिर झुकाने लगीं।
सत्या साईं का असली नाम रत्नाकरम सत्यनारायण राजू था और उनका जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में हुआ। उनके घर वाले धार्मिक लोकगीत को बजाने का काम करते थे। वैसे तो उनकी स्कूली शिक्षा के बारे में तो ज्यादा नहीं पता, लेकिन कहा जाता है कि बचपन से ही उनकी आध्यात्म में काफी ज्यादा रुचि थे। वो अपने माता-पिता की चार अन्य संतानों की तुलना में काफी ज्यादा तेज थे।
उनके भक्तों ने कई बार उनको हवा में फल और मिठाइयां निकालते हुए देखा। कहा जाता है कि ये चीजें वो बचपन से करते आ रहे थे। इसके पीछे का किस्सा भी बहुत दिलचस्प है। जब सत्य सांई 14 साल के थे, तो उनको एक बिच्छू ने काट लिया था। इसके बाद वो कई घंटों तक बेहोश रहे। इस घटना के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
व्यवहार
में
आया
परिवर्तन
जब
सत्य
सांई
को
होश
आया,
तो
वो
अजीब
व्यवहार
करने
लगे।
कभी
वो
हंसने
लग
जाते,
कभी
वो
रोने।
कभी
एकदम
से
वो
शांत
हो
जाया
करते
थे।
एक
दिन
तो
वो
अचानक
संस्कृत
में
बात
करने
लगे,
जबकि
उनको
इस
भाषा
के
बारे
में
कोई
ज्ञान
नहीं
था।
जब
उनके
माता-पिता
उन्हें
डॉक्टरों
के
पास
लेकर
गए
तो
उन्होंने
उसे
हिस्टीरिया
करार
दे
दिया।
इसके
बाद
उनको
कई
पंडितों,
ओछा
आदि
को
दिखाया
गया,
लेकिन
कोई
फर्क
नहीं
पड़ा।
रॉबर्ट वाड्रा ने शिरडी साईं बाबा से की राहुल गांधी की तुलना, बताई ये वजह
खुद
को
बताया
साईं
बाबा
का
अवतार
कहते
हैं
कि
23
मई
1940
को
सत्य
साईं
ने
अपने
घर
वालों
को
पास
बुलाया
और
हवा
में
फल
और
प्रसाद
पैदा
कर
दिया।
इस
पर
उनके
पिता
को
लगा
कि
उनके
ऊपर
किसी
ने
जादू-टोना
कर
दिया।
फिर
उन्होंने
अपने
घर
वालों
को
बैठाकर
समझाया
है
कि
वो
साईं
बाबा
हैं।
वो
खुद
को
शिरडी
के
साईं
बाबा
का
अवतार
बताते
थे।
धीरे-धीरे
उनकी
प्रसिद्धी
फैल
गई
और
वो
पूरी
दुनिया
में
फेमस
हो
गए।
24
अप्रैल
2011
को
उनका
निधन
हो
गया
था।