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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे: कितनी सुविधा, कितनी मुसीबत? पढ़िए आंखों देखा हाल

ये वही एक्सप्रेसवे है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई को किया था लेकिन पांच दिन के भीतर ही बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे कई जगह धंस गया.

By BBC News हिन्दी
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की चर्चा आजकल देशभर में है. ये वही एक्सप्रेसवे है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई को किया था लेकिन उद्घाटन के पांच दिन के भीतर ही एक्सप्रेसवे कई जगह धंस गया.

पहली ही बारिश में सड़क पर गड्ढे और दरारों की तस्वीरें सामने आईं तो हलचल मच गई.

लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने बीबीसी को बताया है कि इस एक्सप्रेसवे पर जो भी दिक्कतें वो मामूली हैं और उन्हें जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा.

इस एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज़ इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी यूपीडा ने करवाया है.

एक्सप्रेसवे अधूरा होने और जगह-जगह दिक्कतों के बारे में पूछे जाने यूपीडा के मीडिया सलाहकार दुर्गेश उपाध्याय ने बीबीसी को बताया, ''ये बात सरासर ग़लत है. निर्माण कार्य पूरी तरह हो चुका है. कुछ जगहों पर थोड़ा बहुत काम बचा है उसे पूरा किया जा रहा है."

लेकिन करीब 15,000 करोड़ रुपये की लागत से बने कुल 296 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता पर सवाल तो उठ ही रहे हैं.

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
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बीबीसी की पड़ताल

यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के सात ज़िलों - चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा से होकर गुज़रता है.

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे इटावा के क़ुदरैल में, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जुड़ता है.

बीबीसी की टीम ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की यात्रा कर हालात का जायज़ा लिया और ये जानने का प्रयास किया कि जो सवाल उठ रहे हैं वो कितने सच है.

बारिश की वजह से एक्सप्रेसवे पर कई जगह नुक़सान ज़्यादा हुआ और सड़क पर दरारें आ गई. कुछ जगहों पर पुल क्षतिग्रस्त हो गए और कुछ जगहों पर एक्सप्रेसवे की एक ही लेन चालू है और दूसरी लेन बनाने का काम चल रहा है.

कुदरैल में टोल प्लाजा बनाने का काम चालू है. एक्सप्रेसवे पर चढ़ते ही कुछ दूरी पर इसका ट्रैफिक एक लेन पर डायवर्ट कर दिया गया है क्योंकि दूसरी लेन अभी बनकर तैयार नहीं हुई है. इसमें पुल और सड़क दोनों ही बनाने का काम चल रहा है.

बारिश की वजह से कुछ जगहों पर सड़क का पानी निकालने के लिए बनाए गई सीमेंट की ढलान बह गई है और सुरक्षा के लिए किनारों पर लगाई गई मेटल बीम भी उखड़ कर नीचे गिर ग हैं.

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
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एक्सप्रेसवे के किनारे बसे लोग क्या कह रहे हैं?

एक्सप्रेसवे पर जालौन ज़िले के पास हमारी मुलाक़ात भगवान दास अहिरवार से हुई. वो खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं. वो निर्माण में धांधली के आरोप लगाते हैं.

वो कहते हैं, "इतनी ज़्यादा बारिश नहीं हुई है. खेत सूखे पड़े हैं लेकिन एक घंटे की बारिश में एक्सप्रेसवे बह गया. जल्दबाज़ी में उद्घाटन करने के लिए सरकार ने लीपापोती की है.''

जालौन के ही रहने वाले लक्ष्मण आरोप लगाते हैं कि एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह जो गड्ढे हुए, उन्हें भरने के साथ ही कंस्ट्रक्शन कंपनी ने वहां का मलबा उठाकर कहीं और फेंक दिया ताकि गड़बड़ी पकड़ी न जा सके.

https://www.youtube.com/watch?v=YTWl99dC3ZY

सड़क की गुणवत्ता पर पार्टियों के सवाल

विपक्षी पार्टियां भी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही हैं. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसकी जांच की मांग की है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ट्वीट करके कहा, ''ये हैं भाजपा के तथाकथित नवीनतम विकास के नवीनतम खंडहर! बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की ये जो दरार है दरअसल ये भाजपा का भ्रष्टाचार है. जनता को नफ़रत की राजनीति में झोंक कर विकास के नाम पर आटे तक पर वसूले जा रहे पैसों से क्या ऐसा ही विकास होगा. कारवाँ ठहर गया… वो सरकारें तोड़ते रहे…''

https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1550422127287103489

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ''ये है भाजपा के आधे-अधूरे विकास की गुणवत्ता का नमूना… उधर बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का बड़े लोगों ने उद्घाटन किया ही था कि इधर एक हफ़्ते में ही इस पर भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े गड्ढे निकल आए. अच्छा हुआ इस पर रनवे नहीं बना.''

https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1550090169499656197

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह गड्ढ़े होने और इसके उद्घाटन में जल्दबाज़ी को लेकर सवाल उठाए हैं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने एक ट्वीट में कहा, ''भ्रष्टाचार का मॉडल है बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे! 4 दिन पहले जिसका उद्घाटन हुआ उसके डिवाइडर पर दरारें हैं, जगह-जगह सड़कें उखड़ी हैं, कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने अपनी जांच में पाया है कि गुणवत्ताहीन सामान से तैयार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं को जन्म दे सकता है.''

https://twitter.com/INCUttarPradesh/status/1550506080723410945

यूपी के पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं और इसके निर्माण में गड़बड़ी के ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की भी मांग की है.

वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा, ''15 हजार करोड़ की लागत से बना एक्सप्रेसवे अगर बरसात के 5 दिन भी ना झेल सके तो उसकी गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं. इस प्रोजेक्ट के मुखिया, सम्बंधित इंजीनियर और जिम्मेदार कंपनियों को तत्काल तलब कर उनपर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी.''

https://twitter.com/varungandhi80/status/1550134925608701952

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर फिलहाल टोल प्लाज़ा बनाए जा रहे हैं
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर फिलहाल टोल प्लाज़ा बनाए जा रहे हैं

मूल सुविधाएं ग़ायब, पेट्रल पंप तक नहीं

इस सड़क को बनाने वाली अथॉरिटी, यूपीडा की वेबसाइट के मुताबिक एक्सप्रेसवे पर चार रेलवे ओवरब्रिज, 14 बड़े पुल, छह टोल प्लाज़ा, 7 रैंप प्लाज़ा, 286 छोटे पुल और 18 फ्लाईओवर बनाए जाने हैं. हालांकि कई जगहों पर पुल बनाने का काम अधूरा है और टोल प्लाज़ा भी निर्माणाधीन हैं.

लेकिन हमें कई जगहों पर किलोमीटर के साइन बोर्ड नहीं दिखे और कई जगहों पर सर्विस रोड भी अधूरी मिली. सुरक्षा की लिहाज़ से एक्सप्रेसवे पर सीसीटीवी लगाए जाने चाहिए लेकिन अभी ये काम भी अधूरा है.

हालांकि कुछ जगहों पर सीसीटीवी निगरानी के बोर्ड ज़रूर लगे दिखते हैं.

चित्रकूट से इटावा आते हुए हमें इस एक्सप्रेसवे पर कोई पेट्रोल पंप या टॉयलेट नहीं मिला. फ़िलहाल बुंदेलखंड से दिल्ली की ओर आने वालों ये सारी सुविधाएं आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ही मिल सकती हैं.

एक्सप्रेसवे का उद्घाटन जिस जगह से हुआ वहां लाइट लगी है. सड़कों पर मार्किंग हो चुकी है. डिवाइडर और किनारों पर मेटल बीम लगे हैं. लेकिन बाकी जगहों पर काम पूरा नहीं हुआ है. राज्य सरकार ने कहा है ये जल्द ही ये सारी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएंगी.

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
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किसान कैसे भरेंगे टोल?

इटावा के रहने वाले मोहित यादव वेल्डिंग की दुकान चलाते हैं.

वो कहते हैं, ''यहाँ तो चिराग तले अंधेरा वाली कहावत यहां फिट बैठती है. जहां से एक्सप्रेसवे शुरू हुआ है वहीं पर गड्ढा है. जिस गांव से एक्सप्रेसवे शुरू हुआ उसकी सड़क टूटी है, गांव की हालत ख़राब है.''

मोहित एक्सप्रेसवे पर सफ़र को महंगाई से भी जोड़ते हैं. वो सवाल करते हैं कि लगातार महंगे होते पेट्रोल डीज़ल के साथ आम आदमी और किसान एक्सप्रेसवे पर महंगा टोल कैसे भर पाएगा.

वो कहते हैं, ''जिनके पास चलने के लिए साइकिल भी नहीं है वो एक्सप्रेसवे पर क्या चलेगा. टोल के पैसे बचाने के लिए आदमी दो घंटे ज़्यादा सफ़र करेगा लेकिन एक्सप्रेसवे पर नहीं चलेगा. पहले सरकार यहां का विकास करे, फैक्ट्रियां लगाए फिर एक्सप्रेसवे बनाने की बात करे. किसानों की ज़मीन चली गई है. सरकार रोज़गार की बात करती है लेकिन बाहर की कंपनियां यहां आएंगी अपना कारोबार शुरू करेंगी और यहां के लोगों की स्थिति जस की तस रहेगी.''

रफ़्तार पर ब्रेक लगा रहे हैं मवेशी

वक़्त से पहले एक्सप्रेसवे का काम पूरा करके इसे जनता को सौंपने का सरकार का दावा कितना सही है ये आप यहाँ की तस्वीरों में देख सकते हैं. तीन साल के इस प्रोजेक्ट को 28 महीनों में तैयार किया गया है.

एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे न सिर्फ़ वाहनों को गति देगा बल्कि पूरे बुंदेलखंड की औद्योगिक प्रगति को भी गति देगा.

सरकार का दावा है कि जानवरों को एक्सप्रेसवे पर आने से रोकने के लिए पहले दिन से ही पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं. लेकिन एक्सप्रेसवे पर गाड़ियों की रफ़्तार रोकने के लिए कहीं गायों का झुंड सामने आता हैं तो कहीं आवारा कुत्ते.

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
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'एक्सप्रेसवे से आएगा रोज़गार'

एक्सप्रेसवे की शुरुआत चित्रकूट ज़िले के गोंड़ा गांव से हुई है. यहां के लोग इसे लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया देते हैं. यहां रहने वाले असलम खां कहते हैं कि एक्सप्रेसवे बनने से लोगों को काफ़ी सहूलियत हो रही है.

वो कहते हैं, ''बहुत अच्छी सुविधा है. इससे गांव, देहात के लोग आसानी से आ-जा सकेंगे. कुछ जगह पर काम चल रहा है, उससे कोई दिक्कत नहीं आने वाली. जो काम बाकी है वो बन रहा है. काम तो चलता रहेगा. इसे चालू करने में जल्दबाज़ी जैसा कुछ नहीं है. प्रधानमंत्री ने चाहा कि उद्घाटन हो जाए तो हो गया.''

गोंड़ा गांव के प्रधान राम मिलन उम्मीद जताते हैं कि एक्सप्रेसवे बनने से यहां रोज़गार की संभावनाएं बढ़ेंगी और आने वाले समय में बुंदेलखंड के युवाओं का पलायन रुकेगा.

वो कहते हैं, ''अभी तक यहां का आदमी जो सूरत पंजाब में रोज़गार की तलाश में जाता था वो अब यहीं रुकेगा अगर रोज़गार मिलेगा तो. एक्सप्रेसवे बनने की वजह से अगर फैक्ट्रियां लग जाएंगी, इंडस्ट्री लगेगी तो पलायन रुकेगा.''

योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में लोक निर्माण विभाग के राज्यमंत्री रहे चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय भी इसे चित्रकूट का कायाकल्प बताते हैं. उनके कार्यकाल में ही बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास हुआ था. वो भी यह बात दोहराते हैं कि एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड में रोज़गार के अवसर लाने वाला है.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, ''बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे एक तरह से लाइफ़लाइन है. इससे चित्रकूट जैसे पर्यटक स्थल का विकास और होगा. दूसरी बात यह है कि जो यहां का युवा जो दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जाता है, वो अब यहां इंडस्ट्रीज़ लगने से अपने घर में रहकर ही काम कर पाएगा. अब उल्टा होगा कि बाहर के लोग यहां रोज़गार के लिए आएंगे.''

हालांकि जब महंगे पेट्रोल-डीज़ल और महंगे टोल को लेकर सवाल किया गया तो वो कहते हैं कि जिसके पास टोल देने की क्षमता होगी वही एक्सप्रेसवे पर चलेगा.

पूर्व मंत्री ने कहा, ''जहां भी एक्सप्रेसवे बन रहे हैं, टोल टैक्स तो देना ही होता है. और वही व्यक्ति हाइवे पर चलेगा जिसकी टोल भरने की क्षमता होगी. जहां तक रोड की बात है तो एक बार पूरी तरह बन चुकी है और अगर कहीं खराबी आई है तो उसे ठीक किया जाएगा. कंस्ट्रक्शन कंपनियों से इसका करार होता है.''

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सरकार क्या कहती है?

लगातार दरकते एक्सप्रेसवे को लेकर जब सवाल उठे तो सरकार बचाव में उतरी. सरकार का कहना है कि ये मामूली दिक्कतें हैं जिन्हें दूर किया जा रहा है.

यूपीडा के मीडिया सलाहकार दुर्गेश उपाध्याय कहते हैं कि सरकार ने बेहद तेज़ी से विकास की दिशा में काम किया है और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को तय समय से आठ महीने पहले बनाकर तैयार कर दिया है.

जल्दबाज़ी में एक्सप्रेसवे के उद्घाटन और गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों पर बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, ''ये बात सरासर ग़लत है. निर्माण कार्य पूरी तरह हो चुका है. कुछ जगहों पर थोड़ा बहुत काम बचा है वो पूरा किया जा रहा है. जो सड़क पर गड्ढे होने वाली बात कही जा रही है वो एक जगह बारिश की वजह से जालौन ज़िले में किलोमीटर 195 पर थोड़ा जलभराव हुआ था जिसके कारण सड़क थोड़ी दबी थी. उसे तुरंत ठीक कर दिया गया है. सड़क पूरी तरह चालू है और जो आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद हैं. ''

जनसुविधाओं के अभाव पर वो कहते हैं कि सरकार इसे लेकर प्रयासरत है और जल्द ही यह काम पूरा होगा.

उन्होंने कहा, ''एक्सप्रेसवे पर मुख्य यातायात खोल दिया गया है. साथ ही पेट्रोल पंप और रेस्ट प्लाज़ा की सुविधा, जो किसी भी एक्सप्रेसवे पर होनी चाहिए वो सारी सुविधाएं इस एक्सप्रेसवे पर भी होंगी. उसके लिए लगातार प्रक्रिया चल रही है. तय समय अवधि में यह काम भी पूरा कर लिया जाएगा.''

हालांकि एक्सप्रेसवे पर सफ़र करने वालों को ये सुविधाएं कब मिलेंगी, वो इसकी समय सीमा नहीं बताते.

इसी तरह एक्सप्रेसवे पर आवारा मवेशी और कुत्तों को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ''एक्सप्रेसवे पर सफ़र को सुरक्षित बनाने और किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के लिए हमने पहले दिन से ही एनिमल कैचर लगाए हुए हैं ताकि सफ़र करने वालों को परेशानी न हो. इसके साथ ही वाहनों से भी पेट्रोलिंग की जा रही है.''

बीबीसी ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की लेकिन कहानी के प्रकाशित होने तक उनसे बात नहीं हो सकी.

सरकार का दावा एक तरफ है और हकीक़त यह है कि एक्सप्रेसवे पर आवारा पशुओं के झुंड जगह-जगह दिखते हैं जो बड़े हादसों को न्योता दे रहे हैं. एक्सप्रेसवे पर असुविधाएं बिखरी पड़ी हैं. इस पर सफ़र करने वालों को सहूलियत और सुविधाएं कब मिलेंगी यह देखना अभी बाकी है.

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English summary
reality of Bundelkhand Expressway
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