उमर अब्दुल्ला ने अक्टूबर में सरकारी आवास छोड़ने का ऐलान किया, बोले, मर्जी से खाली कर रहा हूं
नई दिल्ली। पिछले साल सरकारी आवास छोड़ने की नोटिस के अफवाहों पर सफाई देते हुए जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को अक्टूबर माह के अंत तक आवंटित श्रीनगर स्थित गुपकर आवास छोड़ने का ऐलान कर दिया है। पूर्व सांसद व नेशनल कांफ्रेस नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को लिखा एक पत्र भी साझा किया है, जो उन्होंने 31 जुलाई को लिखा था। उन्होंने यह जानकारी एक ट्वीट के जरिए साझा किया और साथ ही वह पत्र भी शेयर किया है।
बिहार चुनाव में जादुई चिराग बनना चाहते थे LJP चीफ, लेकिन मांझी की एंट्री से उड़ी पासवान की नींद
अब्दुल्ला को श्रीनगर के VVIP क्षेत्र गुपकर रोड में आवंटित किया गया था
गौरतलब है 50 वर्षीय अब्दुल्ला को श्रीनगर के वीवीआईपी क्षेत्र गुपकर रोड में तब आवंटित किया गया था, जब वो श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे। उन्होने बताया कि उन्होंने परिसर और उससे जुड़े घरों को अक्टूबर 2010 से जनवरी 2015 तक अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास की तरह इस्तेमाल किया था और जब वो मुख्यमंत्री के कार्यकाल से मुक्त हुए तो नियमों के मुताबिक श्रीनगर या फिर जम्मू में सरकारी आवास में रह सकते थे, लेकिन उन्होंने श्रीनगर आवास को चुना था।
नियमों में बदलाव के बाद आवास उपयोग को अवैध मान रहा था हूंः उमर
बकौल उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्रियों से जुड़े नियमों में बदलाव के बाद मैं खुद इस आवास को अपने लिए अवैध मान रहा था हूं, मैंने किसी सरकारी संपत्ति पर कोई कब्जा नहीं किया है। लिहाजा, आपको ये सूचित कराना चाहता हूं कि मैंने अपने मकान की सर्च शुरू कर दी है, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी में मकान तलाशने में वक्त लग रहा है, मुझे लगता है कि 8-10 हफ्तों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और तब मैं सरकारी आवास हैंडओवर करनी की स्थिति में रहूंगा।
उमर अब्दुल्ला को करीब 8 महीने की नजरबंदी के बाद मुक्त किया गया
उल्लेखनीय है गत 24 मार्च को उमर अब्दुल्ला को लगभग 8 महीने की नजरबंदी के बाद मुक्त कर दिया गया था। इससे कुछ दिन पहले उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को भी घऱ हाउस अरेस्ट से छोड़ दिया गया था। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबू मुफ्ती अभी भी हिरासत में हैं। दरअसल जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द किए जाने से पूर्व सैकड़ों राजनीतियों के साथ तीन उपरोक्त नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था।