महागठबंधन की कोशिशों को मायावती ने डाला अधर में, विपक्षी दलों की बढ़ाई चिंता
नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने जिस तरह से 10 दिसंबर को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक को लेकर किसी भी तरह की पुष्टि नहीं की है, उसने तमाम विपक्षी दलों की मुश्किल को बढ़ा दिया है। तमाम विपक्षी दलों में इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या मायावती की पार्टी इस बैठक में शामिल होगी। आगामी 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए 10 दिसंबर को होने वाली यह बैठक काफी अहम है। 10 दिसंबर को होने वाली बैठक में समाजवादी पार्टी शिरकत कर रही है और खुद सपा ने इस बात की पुष्टि कर दी है, लेकिन अभी भी इस बात पर संशय बरकरार है कि क्या बसपा इस बैठक में शामिल होगी।
नतीजों से पहले अहम बैठक
गौर करने वाली बात है कि 11 दिसंबर को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे, ऐसे में नतीजे घोषित होने के ठीक एक दिन पहले होने वाली यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हमे अभी तक मायावती की ओर से इस बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि क्या वह खुद या फिर उनकी पार्टी के प्रतिनिधि सतीश चंद्र मिश्रा इस बैठक में शामिल होंगे। हम उनसे मुलाकात करने की कोशिश करेंगे और इसको लेकर हम आशान्वित हैं, हम बेहतर की कल्पना कर रहे हैं।
संसद भवन में बैठक
जानकारी के अनुसार यह बैठक 10 दिसंबर को दोपहर 3.30 बजे संसद भवन की एनेक्सी में होगी। इस बैठक को लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि अगर महागठबंधन के लिए होने वाली इस बैठक में बसपा शामिल नहीं होती है तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा। विपक्ष इस महागठबंधन में मुख्य रूप से सपा, बसपा, कांग्रेस और अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोक दल पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। गौर करने वाली बात है कि 2014 में भाजपा ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
बनेगी बड़ी रणनीति
माना जा रहा है कि इस बैठक में विपक्षी दल आगामी चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बना सकते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि जनवरी में मजदूरों की दो दिनों की अखिल भारतीय हड़ताल है। ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि सरकार जांच एजेंसियों का सत्ता और ताकत की वजह से गलत इस्तेमाल कर रही है। यही नहीं राज्यसभा और लोकसभा के अध्यक्ष और स्पीकर ने इसी दिन सदन के नेताओं की बैठक भी बुलाई है।
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