हड़ताल से हो सकता है 18 हजार करोड़ तक का नुकसान
नई दिल्ली। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से 18 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। यह दावा एसोचैम ने किया।
एसोशीऐटड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा है कि हड़ताल और बंदी भारत की अर्थव्यवस्था को बंद कर सकती हैं।
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विकास की गति हो सकती है डैमेज
एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट के साथ सार्वजनिक और प्राइवेट सेक्टर में रुकावट विकास की गति को डैमेज कर सकती हैं।
एसोचैम के जनरल सेक्रटरी ने डीएस रावत ने कहा कि ट्रेड, ट्रांसपोर्ट और होटल देश की जीडीपी का बड़ा हिस्सा हैं।
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उन्होंने कहा कि जीडीपी और जीवीए आर्थिक सेवाओं के पैकेज का बड़ा अंश है।दोनों प्रमुख क्षेत्र हड़ताल की वजह से अपंग कर दिए गए हैं।
सरकार और यूनियनों की वार्ता हो
रावत ने कहा कि ट्रेड यूनियनों को मनाने का बेहतर रास्ता है कि सरकार और उनके बीच वार्ता हो।
उद्योग जगत माकूल मेहनताने के पक्ष में है लेकिन न्यूनतम मेहनताने की मांग भी संतुलित होनी चाहिए।
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यह अर्थव्यवस्था की अधिकतम कीमत से ऊपर न हो एसोचैम ने कहा कि हड़ताल के चलते घरेलू एक्सपोर्ट पर भी असर पड़ेगी।
हालांकि हड़ताल का असर दिल्ली,मुंबई और कोलकाता में ही सीमित रहा लेकिन इसके चलते पूरी ट्रेड चेन में व्यवधान में पड़ गई।