7,575 km लंबी 'अमृत' यात्रा, उफनती नदी और ऊंची चोटियों के बीच ITBP जवानों का दम देखिए- Video
हर्षिल (उत्तरकाशी), 21 अगस्त: भारत तिब्बत सीमा पुलिस पुलिस (आईटीबीपी) के जवान आजादी का अमृत महोत्सव के मौके पर 75 दिनों की रिले लॉन्ग रेंज पेट्रोल पर निकले हुए हैं, जिसे 'अमृत' कहा जा रहा है। इन 75 दिनों में ये जवान लद्दाख से चलकर हिमालय के मुश्किल क्षेत्रों से गुजरते हुए अरुणाचल प्रदेश तक पहुंचेंगे। यह वही इलाका है, जिसकी प्रथम लाइन की सुरक्षा की जिम्मेदारी आईटीबीपी के कंधों पर रहती है। जाहिर है कि यात्रा बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। रास्ते में मुश्किल चोटियां हैं तो बहुत ही खतरनाक और उफनती नदियां भी मिलती हैं। बरसात के दिनों में तो यह नदियां और भी प्रचंड रूप में नजर आती हैं। आईटीबीपी ने अपनी इसी यात्रा का एक वीडियो जारी किया है, जो कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी का है।
75 दिनों की मुश्किल यात्रा पर निकले हैं आईटीबीपी के जांबाज
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपने रोमांचकारी कार्यों से देश की आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे 'आजादी का अमृत महोत्सव' को सही मायनों में जीवंत बनाने की कोशिश की है। देश की उत्तरी सीमा पर आईटीबीपी के कंधों पर भारत की रक्षा की अग्रिम पंक्ति की जिम्मेदारी है। देश की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर इसने प्रथम पंक्ति की रक्षा को ध्यान में रखकर रिले लॉन्ग रेंज पेट्रोल की पहल की है, जिसे 'अमृत' का नाम दिया गया है। यह 'अमृत' रिले 1 अगस्त से शुरू हुआ है और 75 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद 14 अक्टूबर को इस अभियान को पूरा करेगा। इस दौरान भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जांबाज करीब 7,575 किलो मीटर की रिले दूरी पूरी करेंगे।
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एक बटालियन से दूसरे बटालियन को सौंपा जा रहा है 'अमृत' झंडा
यह लॉन्ग रेंज पेट्रोल देश की पश्चिमी उत्तरी सीमा के पास लद्दाख के काराकोरम दर्रे से शुरू किया गया था और यह देश की उत्तर-पूर्वी सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के जेचाप ला पर जाकर संपूर्ण होगा। आईटीबीपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से रविवार को एक वीडियो पोस्ट करके इसके बारे में जानकारी दी है। इस दौरान उत्तराखंड में उत्तरकाशी के हर्षिल में आईटीबीपी की दूसरी बटालियन ने 12वीं बटालियन को रिले लॉन्ग रेंज पेट्रोल का 'अमृत' झंडा सौंपा है। इस यात्रा को आजादी का अमृत महोत्सव के हिसाब से 75 दिन का रखा गया है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी का है वीडियो
वीडियो में आईटीबीपी के जवान तिरंगा लिए देखे जा सकते हैं, जिसमें वह एक पहाड़ी और उफनती हुई नदी को रस्सी के सहारे पार कर रहे हैं। इस दौरान ये जांबाज लगातार भारत माता की जय और वंदे मातरम जैसे नारे लगा रहे हैं। इस वीडियो के अगले हिस्से में जवानों को एक चोटी के ऊपर बैठे हुए जयकारे लगाते हुए देखा जा सकता है। आईटीबीपी ने वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा है, 'उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक पहाड़ी नदी को पार करते हुए आईटीबीपी की आजादी का अमृत महोत्सव 'लॉन्ग रेंज पेट्रोल '
रास्ते में कई नागरिक कैंप भी लगाने का है कार्यक्रम
आईटीबीपी से मिली जानकारी के मुताबिक 'लॉन्ग रेंज पेट्रोल के दौरान रास्ते में स्थित सीमावर्ती इलाकों के दूर-दराज के गांवों में नागरिकों से जुड़े कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें वृक्षारोपण अभियान, चिकित्सा और पशु चिकित्सा शिविर शामिल हैं। शनिवार को आईटीबीपी की टीम ने हर्षिल के बागोरी गांव में स्थानीय लोगों के लिए एक मुफ्त चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया।
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आईटीबीपी क्या है ?
आईटीबीपी की स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को की गई थी। इस समय भारत तिब्बत सीमा पुलिस पर मुख्य तौर पर लद्दाख में काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। देश के आंतरिक हिस्सों में यह बल कई और संस्थाओं की सुरक्षा को भी संभाल रहा है और छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अभियानों में भी खास रोल निभा रहा है। आईटीबीपी की सीमा सुरक्षा चौकियां 9,000 फीट से 18,800 फीट तक की ऊंचाइयों पर मौजूद हैं, जिनमें से कई स्थानों का तापमान शून्य से भी 45 डिग्री नीचे तक गिर जाता है। यह बल हिमालय क्षेत्र में होने वाली प्राकृतिक त्रासदियों के समय भी 'फर्स्ट रेस्पोंडर' के रूप में बचाव अभियानों का संचालन करती है।