Maharaja Hari Singh: जानिए कश्मीर के आखिरी राजा के बारे में सबकुछ, BJP ने सार्वजनिक अवकाश की मांग की
जम्मू। भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से जम्मू कश्मीर के आखिरी महाराजा हरि सिंह के जन्मदिवस के मौके पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश की मांग की। बता दें कि आज से 70 साल पहले महाराजा हरि सिंह ने ही जम्मू कश्मीर को भारत में विलय की घोषणा की। भाजपा इन्हीं की याद में उनके जन्मदिवस पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश की मांग कर रही है। जम्मू कश्मीर रियासत के अंतिम राजा हरि सिंह का जीवन कैसा था, आइए जानते हैं...
4 शादियां की थी
महाराजा हरि सिंह का जन्म 21 सितंबर 1895 को जम्मू के अमर पैलेस में हुआ था। महाराजा अमर सिंह के सबसे छोटे बेटे हरि सिंह ने 23 सितंबर 1925 को जम्मू कश्मीर रियासत की राजगद्दी संभाली। हरि सिह ने अपने जीवन काल में 4 शादियां की थीं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और लेखक कर्ण सिंह इन्हीं के बेटे हैं। ये भी पढ़ें- भारत ने पाक को चेताया- अगर हमारे जवान शहीद हुए तो करारा जवाब मिलेगा
20 साल में बने सेनापति
13 साल की उम्र में हरि सिंह को अजमेर के मायो कालेज में पढ़ने के लिए भेज दिया गया था। इसके अगले ही साल हरि सिंह के पिता महाराजा अमर सिंह की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनके चाचा प्रताप सिंह को जम्मू कश्मीर का राजा बनाया गया। 20 साल की उम्र में हरि सिंह को जम्मू रियासत का मुख्य सेनापति नियुक्त किया गया।
जातिप्रथा, वेश्यावृत्ति पर लगाई रोक
हरि सिंह प्रगतिशील ख्याल के इंसान थे। उन्होंने 1925 में महाराजा बनने के बाद राज्य में बाल विवाह पर बैन लगा दिया। इसके अलावा उन्होंने राज्य में सभी के लिए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जिसे एक बड़े फैसले के रूप में जाना जाता है। हरि सिंह ने दलित समुदाय के लोगों के लिए मंदिरों के दरवाजे खुलवाए। इसके अलावा भी हरि सिंह ने अपने सेवाकाल में जातिप्रथा, वेश्यावृत्ति रोकने समेत कई सामाजिक सुधारों के लिए काम किया। ये भी पढ़ें- जम्मू और कश्मीर में शांति के लिए राजनाथ ने सुझाया '5 CS' का फार्मूला
कश्मीर के भारत में विलय की घोषणा
आजादी के बाद पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर रियासत पर हमला बोल दिया जिसके बाद 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने राज्य के भारत में विलय के लिए एक कानूनी दस्तावेज को साइन किया था। इस दस्तावेज जिसे 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' कहा गया, को भारतीय स्वतंत्रता कानून, 1947 के तहत ही साइन किया गया था। इसे साइन करते ही महाराजा हरि सिंह जम्मू कश्मीर को भारत के प्रभुत्व वाला राज्य मानने पर सहमत हो गए थे। जिसके बाद से आज तक जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है।
जम्मू के बने राष्ट्रपति
हरि सिंह को आजादी के बाद जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक जम्मू का राष्ट्रपति बनाया गया। बाद में यह पद राज्यपाल में बदल दिया गया। हरि सिंह ने अपने जीवन के आखरी पल जम्मु में अपने हरि निवास महल में बिताया। उन्की मृत्यु 26 अप्रैल 1969 को मुंबई में हुई। उनकी इच्छानुसार उनकी राख को जम्मू लाया गया और तावी नदी में बहा दिया गया।