कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे मोहर सिंह ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, की ये मांग
भोपाल। बुंदेलखंड बीहड़ों पर कभी राज करने वाले डाकुओं के सरदार ने प्रधानमंत्री मोदी से मंदिर का जीर्णोद्धार करने की गुहार लगाई है। 85 साल के पूर्व दस्यु सरगना मोहर सिंह ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर रहा है कि मुरैना के बटेश्वरा मंदरि का जीर्णोद्धार करवाया जाए। मुरैना के बटेश्वर में गुप्तकाल से गुर्जर प्रतिहार काल के करीब 200 मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था हैं लेकिन उसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
मोहर सिंह ने पीएम से मंदिरों को बचाने की मांग की
बटेश्वर मंदिरों की श्रृंखला मुरैना के दूर-दराज इलाकों में स्थित है, इस इलाके में पहले कुख्यात डाकू निर्भय सिंह गुज्जर, मोहर सिंह और तहसीलदार सिंह का दबदबा था। इन इलाकों में डाकुओं का साम्राज्य था। वहीं, डाकुओं के सरदार रह चुके मोहर सिंह का कहना है कि इन ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार कराया जाए ताकि युवाओं को पता चले कि उनकी ऐतिहासिक धरोहरें कितनी समृद्ध थीं।
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पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
दरअसल, एएसआई ने बटेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार का काम साल 2005 में शुरू किया था, तब उस वक्त के ग्वालियर जोन के डायरेक्टर रहे केके मोहम्मद ने इन मंदिरों के जीर्णोद्धार में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन साल 2013 के बाद से ये काम रुका पड़ा है। इस इलाके में चल रहे अवैध खनन और चोरों के चलते गुप्तकाल के इन मंदिरों का अस्तित्व संकट में आ गया है। पूर्व दस्यु सरगना मोहर सिंह 60 के दशक में बीहड़ों में आतंक का पर्याय रह चुके हैं।
जेल से बाहर आकर गुमनाम जिंदगी जी रहे मोहर सिंह
चंबल की जमीन ने अपने घने कांटेदार बबूल के साए में सैकड़ों डाकूओं को पनाह दी है। मोहर सिंह के ऊपर हत्या और लूटपाट के करीब 200 से अधिक मुकदमे दर्ज थे और बीहड़ में तब डाकू मोहर सिंह के सिर पर दो लाख का ईनाम रखा गया था। मोहर सिंह कई साल तक चंबल के बीहड़ों में पुलिस को अपने पीछे भटकाते रहे। हालांकि, साल 1972 में जयप्रकाश नारायण की अपील पर डाकू मोहर सिंह ने सरेंडर कर दिया था। सालों तक जेल में रहने के बाद अब मोहर सिंह आजाद हैं और मुरैना से कुछ दुर महगांव कस्बे में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं, वे 85 साल के हो चुके हैं।