नई दिल्ली। इबेनेजर के साथ घर के सामने फुटबॉल खेलने वाले दिन आज भी याद आते हैं तो दिल सिहर उठता है। उसकी हंसी, उसकी मुस्कान, मुझे वो सब कुछ बहुत याद आता है। उसकी प्यारी सी आवाज़ सुनने को मेरे कान तरस गए हैं। पहले वो मुझसे कितनी बातें किया करता था लेकिन अब तो जैसे उसकी आवाज़ सुने ही अरसा हो गया है। जब से उसकी बीमारी के बारे में पता चला है तब से हमारी पूरी ज़िंदगी ही बदल गई है। हम तो अब बस यही चाहते हैं कि हमारा बेटा जल्द से जल्द ठीक हो जाए। उसकी रेडिएशन थेरेपी के लिए हमें 8 लाख रुपयों की ज़रूरत है और इस बात को लेकर मेरी रातों की नींद उड़ गई है।
मैं स्टीफन, चेन्नई शहर में रहता हूं और इबेनेज़र इमैनुअल का पिता हूं। मेरे 8 साल के बेटे को पोंटिन ग्लाइओमा बीमारी है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। अपने बच्चे की जान को बचाने के लिए हमें उसकी ज़िंदगी को बेहतर करना होगा। इस साल अप्रैल के महीने में इबेनेज़र को बहुत तेज़ सिरदर्द हुआ था और लोकल डॉक्टर ने उसे पास के अस्पताल ले जाने के लिए कहा।
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हमने उसे कई अस्पतालों में दिखाया जिसमें से एक हिंदू मिशन अस्पतान, ग्रेस मल्टी स्पेशियेलिटी अस्पताल भी था लेकिल एसआरएम अस्पताल में मेरे बेटे का स्कैन हुआ और तब हमें पता चला कि मेरे बेटे को दिमाग में ट्यूमर है। हम उसे अपोलो अस्पताल में रेडिएशन के लिए ले जाते रहे और इस दौरान उसके अंगों ने काम करना बंद कर दिया। अब वो बोल भी नहीं पाता है और अपने होश खो चुका है।
जब हम उसे अपोलो अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रख दिया क्योंकि उसकी सांस बहुत धीमी चल रही थी। उसकी हालत में थोड़ा सुधार आया तो कुछ ही हफ्तों में अस्पताल से छुट्टी मिल गई। अस्पताल से आने के 10 दिन बाद ही उसकी हालत फिर से खराब होने लग गई और अब तो वो अपनी आंखे तक नहीं खोल पा रहा था। हम तुरंत उसे लेकर कांची कामाकोटि अस्पताल गए। अब वो रेडिएशन थेरेपी से ज़िंदा है और उसे देखकर हर वक्त हमारी सांसे अटकी रहती है कि हमारे बच्चे का भविष्य क्या होगा।
अस्पताल हमारे घर से काफी दूर है और इसलिए अब हमने अस्पताल को ही अपना घर बना लिया है। अब पैसा कमाने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं है। पिछले तीन महीनों से मैं काम पर भी नहीं गया हूं क्योंकि मेरे बेटे का ख्याल रखने के लिए कम से कम दो लोगों की ज़रूरत पड़ती है। मैं एक ऑटोमोबाइल कंपनी में मैनेजर था और मेरी पत्नी घर चलाती थी। पिछले महीने बड़ी मुश्किलों से हमने 11 लाख रुपयों का इंतज़ाम किया था, वो भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर। अब हमें तुरंत 8 लाख रुपयों की ज़रूरत है ताकि मेरे बेटे का इलाज हो सके। पैसों के इंतज़ाम के लिए अब कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। आप हमारी मदद करें तो मेरे मासूम बेटे की जान बच सकती है।
आपके सहयोग से बच सकता है घर का चिराग
तो चलिए इबेनेज़र की जान बचाने के लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाते हैं। उसकी बीमारी का तो कोई इलाज नहीं है लेकिन हम अपनी तरफ से कोशिश करके तो देख ही सकते हैं। आपके योगदान से ना केवल इबेनेज़र को ज़िंदगी मिलेगी बल्कि उसके मां-बाप की दुनिया भी फिर से आबाद हो जाएगी। आप से गुज़ारिश है कि आप स्टीफन की सहायता करें ताकि उसके बेटे की ज़िंदगी बेहतर हो सके, मदद के लिए यहां क्लिक करें।