सरकार द्वारा खरीदी गई 10 फीसदी कोरोना वैक्सीन हो जाएगी कचरा, ये है वजह
नई दिल्ली। coronavirus vaccine updates. केंद्र सरकार द्वारा खरीदी गईं 10 फीसदी कोरोना वैक्सीन (coronavirus vaccine) कचरा हो जाएगी। जिसके चलते सरकार को 1320 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी वैक्सीनेशन(vaccination) प्लान गाइडलाइन से सामने आयी है। यह नुकसान 'प्रोग्रेमेटिक वेस्टेज' के रूप में होगा। मतलब हर 100 वैक्सीन में से करीब 10 वैक्सीन इसके प्रबंधन यानी कंपनी के प्लांट से निकलने से लेकर स्वास्थ्य केंद्र में रखने तक में बेकार हो जाएगी।
सरकार करीब 3 करोड़ लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देगी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तरह केंद्र सरकार को हर 50 व्यक्तियों के टीकाकरण के लिए कम से कम 110 वैक्सीन का ऑर्डर देना होगा। हर व्यक्ति को कोविड-19 टीके का 2 डोज लगाया जाएगा। शुरू में उपलब्ध सीमित स्टॉक के बावजूद, टीकों का अपव्यय टीकाकरण प्रगति में बाधा बनेगा। जिससे सरकार पर एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ होगा। सरकार करीब 3 करोड़ लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देगी।
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1,320 करोड़ रुपये का होगा नुकसान
केंद्र शुरू में 30 करोड़ टीकाकरण (60 करोड़ खुराक-2 खुराक के लिए प्रति व्यक्ति 440 रुपये) की लागत 13,200 करोड़ रुपये होगी। लेकिन अब पहले चरण के लिए कुल 66 करोड़ डोज वैक्सीन तैयार रखने होंगे और कुल बिल बढ़कर 14,250 करोड़ रुपये हो जाएगा। इस तरह से सरकार को अतिरिक्त 1,320 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। केंद्र का कहना है कि 1 महीने के लिए आवश्यक कुल COVID-19 वैक्सीन एक क्षेत्र में कवर की जाने वाली जनसंख्या पर निर्भर करेगा।
दो टीकों को मिली इस्तेमाल की मंजूरी
देश में चार कंपनियां कोरोना वैक्सीन के ट्रायल कर रही हैं। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया अन्य कंपनियों भारत बायोटेक, रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन और जाइडस कैडिला के मुकाबले आगे चल रही है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को देश में इमरजेंसी उपयोग की मंजूरी मिल गई है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले एक करोड़ की संख्या को पार कर चुके हैं, अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ा है। सरकार की कोशिश है कि जुलाई तक 30 करोड़ का टीकाकरण किया जाए।
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