48000 झुग्गियां तोड़ने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता अजय माकन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में रेलवे ट्रैक के आसपास बसी करीब 48 हजार झुग्गी बस्तियों को हटाने के आदेश के बाद से ही न्यायालय के इस फैसले का विरोध हो रहा है। शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने पूर्व जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच द्वारा दिए गए इस आदेश को अब सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी है। इस बीच कोर्ट के आदेश के बाद झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई भी तेज कर दी गई है। मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे ने दिल्ली इलाके में झुग्गियों पर नोटिस चिपकाया है।
कांग्रेस का कहना है कि पूर्व जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के फैसले से रेल की पटरियों के पास बसी झुग्गियों में रहने वाले करीब 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो जाएंगे। लिहाजा कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर समीक्षा याचिका दायर करने का फैसला किया है। इस बीच कांग्रेस ने इस बर्बादी के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने कहा, जेजे कलस्टर में रह रहे लोगों की बर्बादी के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले के तहत दिल्ली में रेलवे ट्रैक के आसपास बसी करीब 48 हजार झुग्गी बस्तियों को हटाने के आदेश दिए हैं। ये झुग्गी-बस्तियां लगभग 140 किमी रेलवे ट्रैक के दायरे में फैली हुई हैं। 'लाइव लॉ' वेबसाइट की खबर के मुताबिक, जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने आदेश देते हुए कहा था कि इन झुग्गी बस्तियों को हटाने का काम तीन महीने के अंदर पूरा हो जाना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट यह भी निर्देश दिया था कि कोई भी अदालत इस मामले में स्टे ना दे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश, भारतीय रेलवे के उस हलफनामे पर दिया था, जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में करीब 140 किलीमीटर लंबे रेलवे ट्रैक के दायर में बड़ी संख्या में झुग्गी-बस्तियां बसी हुई हैं। अपने हलफनामे में भारतीय रेलवे ने कहा कि इसमें लगभग 70 किलोमीटर रेलवे ट्रैक इन झुग्गियों से व्यापक तौर पर प्रभावित है, क्योंकि ये ट्रैक के आसपास एक क्लस्टर की तरह बसी हुई हैं। इन झुग्गी बस्तियों की संख्या तकरीबन 48 हजार है। रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि इन झुग्गियों को हटाने में राजनीतिक हस्तक्षेप एक बड़ी रुकावट है।
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