धर्म संसद का निर्णय: एक माह में बनेगा राम मंदिर, हटेंगी साईं मूर्तियां
नई
दिल्ली।
सांईं
बाबा
पर
मचा
घमासान
कुछ
दिनों
से
भले
ही
शांत
रहा
हो
पर
एक
बार
फिर
नए
सिरे
से
सामने
आ
गया
है।
धर्म
संसद
में
साई
को
भगवान,
संत
और
गुरु
नहीं
माना
गया
है।
इस
पर
काशी
विद्वत
परिषद
के
संरक्षक
शंकराचार्य
स्वामी
स्वरूपानंद
सरस्वती
ने
परिषद
के
निर्णय
पर
अंतिम
मुहर
लगाई
है।
शंकराचार्य
का
कहना
है
कि
अब
मंदिरों
में
साई
की
पूजा
नहीं
होगी
व
भविष्य
में
साई
के
नाम
से
कोई
मंदिर
नहीं
बनाया
जाएगा।
धर्म संसद में आए प्रस्तावों पर काशी विद्वत परिषद ने यह फैसला सुनाया है। सम्बंधित परिषद ने कहा कि साई को भगवान कहना शास्त्र और वेद सम्मत नहीं है। उनको भगवान, गुरु और संत नहीं माना जा सकता। हालांकि फैसला करने वालों की कसौटी पर भगवान साबित नहीं हुए हैं। कहा गया कि लोग साई को अवतार मान रहे हैं, जबकि अवतार उसे माना जाता है, जो अपनी इच्छा से शरीर का धारण करते हैं। साई को तो अपने वर्तमान का पता नहीं था, तो वे भगवान आखिर कैसे हो सकते हैं।
बातचीत यहीं नहीं थमीं, शंकराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें उम्मीद है कि वो गोहत्या रोकने के लिए प्रयास करेंगे। सरकार लोगों को धर्म की शिक्षा दिलाए। निरंजन अखाड़े के नरेंद्र गिरी ने कहा कि अगर तमाम मंदिरों से साई की मूर्तियों को नहीं हटाया गया तो वहां साईं मूर्तियों के विसर्जन की व्यवस्था कर दी जाएगी।
इसी मसले पर शंकराचार्य ने एक नया ज्ञान भी सुझाया। वे बोले कि अगर किसी हिंदू को संतान नहीं हो रही है तो वह दूसरी शादी कर सकता है। विश्वविद्यालयों में गीता, रामायण और महाभारत की पढ़ाई हर हाल में अनिवार्य होना चाहिए। व नकली संतों का बहिष्कार करना चाहिए।