छत्तीसगढ़ चुनाव: इस सीट पर पहली बार कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार पर लगाया दांव, ये है वजह
रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है सियासी घमासान तेज होता जा रहा है। सभी सियासी दल अपनी जीत के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। खास तौर से कांग्रेस ने इस चुनाव में काफी सोच-विचार के साथ उम्मीदवारों का चयन कर रही है। यही वजह है कि पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट में कई नए चेहरों को मौका दिया गया है। खास तौर से कसडोल विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से पार्टी ने पहली बार महिला उम्मीदवार शकुंतला साहू को मैदान में उतारा है। जिनका मुकाबला बीजेपी के दिग्गज नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल से होगा। आखिर कौन हैं शकुंतला साहू और कांग्रेस ने क्यों उन पर जताया है भरोसा बताते हैं आगे...
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शकुंतला साहू को कांग्रेस ने दिया टिकट
दरअसल छत्तीसगढ़ की कसडोल सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। 1998 और 2013 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो हमेशा से इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। इस बार उम्मीदवारों के चयन के दौरान कांग्रेस आलाकमान ने कई नेताओं के नाम पर चर्चा की, हालांकि पार्टी ने काफी सोच-विचार के बाद शकुंतला साहू को उम्मीदवार बनाया। शकुंतला साहू सडोल के सरौटा गांव की रहने वाली हैं और वर्तमान में जिला पंचायत की सदस्य भी हैं।
जिला पंचायत सदस्य हैं शकुंतला साहू
कसडोल सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चुने जाने पर शकुंतला साहू ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने बताया कि उनके पिता का टेंट हाउंस है। इसके साथ ही साथ उनके पिता ग्राम रसौटा के वर्तमान सरपंच हैं और इसके पहले भी वो 2 बार सरपंच रह चुके हैं। शकुंतला साहू ने कहा कि इतने कम उम्र में पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताकर टिकट दिया है, इसके लिए मैं पार्टी का धन्यवाद देती हूं।
इसलिए पार्टी ने शकुंतला को दिया टिकट
बता दें कि कसडोल सीट पर पूर्व विधायक रहे महंत रामसुंदर दास का नाम आगे चल रहा था लेकिन आखिरी वक्त में उनका पत्ता कट गया और शकुंतला साहू पर पार्टी ने भरोसा जताया है। इसके पीछे मुख्य वजह है कि कसडोल विधानसभा क्षेत्र में साहू समाज के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में कांग्रेस ने इस बार ओबीसी कार्ड खेलकर पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने की रणनीति अपनाई है। फिलहाल देखना होगा कि उनका ये दांव कितना कामयाब होता है।
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