क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कौन वसूल रहा है पेट्रोल पर ज़्यादा टैक्स- केंद्र या राज्य सरकार? फ़ैक्ट चेक

दावा किया जा रहा है पेट्रोल के तेज़ी से बढ़ते दाम के पीछे मोदी सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकारों का हाथ है. मैसेज के हवाले से कहा जा रहा है कि राज्य सरकारें पेट्रोल की क़ीमत पर मोटा टैक्स वसूलती हैं. पर सच क्या है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
पेट्रोल कीमतें
Getty Images
पेट्रोल कीमतें

देश में पेट्रोल की क़ीमतें कई राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर का आँकड़ा पार कर गई हैं. हर महीने ये क़ीमतें मँहगाई का एक नया रिकॉर्ड बना रही हैं. बढ़ती पेट्रोल की क़ीमतों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करती रही हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज खूब फैलाया जा रहा है.

इस मैसेज में पेट्रोल की क़ीमत का ब्रेकअप दिखा कर ये दावा किया जा रहा है पेट्रोल के तेज़ी से बढ़ते दाम के पीछे मोदी सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकारों का हाथ है. मैसेज के हवाले से कहा जा रहा है कि राज्य सरकारें पेट्रोल की क़ीमत पर मोटा टैक्स वसूलती हैं जो केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए टैक्स से काफ़ी ज़्यादा है और इसलिए पेट्रोल की क़ीमत आम लोगों के लिए इतनी ज़्यादा हो गई है.

दावा किया जा रहा है कि "हर पेट्रोल पंप पर एक बोर्ड लगाया जाए जिसमें पेट्रोल के टैक्स से जुड़ी ये जानकारी दी जाए- बेसिक क़ीमत- 35.50, केंद्र सरकार टैक्स- 19 रुपये, राज्य सरकार टैक्स- 41.55 रुपये, वितरक-6.5 रुपये, कुल- 103 रुपये प्रति लीटर.

तब जनता समझेगी कि पेट्रोल की बढ़ती क़ीमत के लिए कौन ज़िम्मेदार है.''

इस मैसेज में ये बताया जा रहा है कि पेट्रोल की क़ीमत में सबसे बड़ा हिस्सा राज्य सरकार टैक्स के रूप में वसूलती है.

फ़ैक्ट चेक

ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) के मुताबिक़ भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा पेट्रोल आयात करने वाला देश है, जहाँ 30 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया जाता है, आर्थिक कारणों से ये मांग बीते 6 साल में सबसे कम है.

पेट्रोल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. इस वजह से इस पर लगने वाला टैक्स हर राज्य में अलग-अलग है. साथ ही हर दिन अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की 58021769 बढ़ती और घटती रहती है. लिहाज़ा हर दिन इसके दाम की बदलते रहते हैं.

सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि तेल की क़ीमतें चार स्तर पर तय होती हैं-

- अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में तेल के दाम, रिफ़ाइनरी तक पहुंचने में लगा फ़्रेट चार्ज (समुद्र के ज़रिए आने वाले सामानों पर लगने वाला कर)

- डीलर का मुनाफ़ा और पेट्रोल पंप तक पहुंचने का सफ़र

- जब पेट्रोल पंप पर पहुँचता है तो यहाँ इस पर केंद्र सरकार की ओर से तय एक्साइज़ ड्यूटी जुड़ जाता है.

- इसके साथ ही राज्य सरकारों की ओर से वसूला जाने वाला वैल्यू ऐडेड टैक्स यानी वैट भी इसमें जुड़ जाता है.

केंद्र सरकार कितना टैक्स ले रही है?

अब सवाल ये कि केंद्र सरकार एक्साइज़ ड्यूटी के नाम पर कितने पैसे ले रही है?

वर्तमान समय में पेट्रोल पर लगने वाली एक्साइज़ ड्यूटी 32.90 रुपये प्रति लीटर है.

साल 2014 से लेकर 2021 तक पेट्रोल और डीज़ल की एक्साइज़ ड्यूटी को केंद्र सरकार ने 300 फ़ीसदी तक बढ़ाया है. ये तथ्य इसी साल मार्च में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था.

साल 2014 में पेट्रोल पर 9.48 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी लगती थी, जो अब बढ़ कर 32.90 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की वेबसाइट पर दिल्ली में पेट्रोल की क़ीमत का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है. इससे आसानी से समझा जा सकता है कि केंद्र और राज्य सरकार में से कौन आम जनता से कितना टैक्स वसूल रहा है.

16 जुलाई, 2021 से लागू ये आँकड़ा बताता है कि पेट्रोल की बेस क़ीमत 41 रुपये प्रति लीटर है.

इसमें फ़्रेट चार्ज (कार्गो जहाज़ों के लाने पर दिया जाने वाला कर) 0.36 रुपये प्रति लीटर लगा है. इसमें 32.90 रुपये एक्साइज़ ड्यूटी लगी जो केंद्र सरकार के खाते में जाएगा. 3.85 रुपये डीलर का मुनाफ़ा जोड़ा गया है. अब इसपर दिल्ली सरकार की ओर से तय किया गया वैट 23.43 रुपये लगा और इस तरह दिल्ली में पेट्रोल की बेस क़ीमत 101.54 रुपये प्रति लीटर हो गई.

दिल्ली सरकार पेट्रोल पर 30 फ़ीसदी वैट लेती है, जो एक्साइज़ ड्यूटी, डीलर चार्ज और फ़्रेट चार्ज सब के पेट्रोल पर जुड़ जाने पर लगता है.

लेकिन केंद्र सरकार की तरफ़ से लगने वाली एक्साइज़ ड्यूटी, पेट्रोल के बेस प्राइस, डीलर का मुनाफ़ा और फ़्रेट चार्ज को जोड़ कर लगती है. सरकार इसके लिए प्रतिशत नहीं निर्धारित करती है, बल्कि एकमुश्त पैसा निर्धारित करती है. इस वक़्त 16 जुलाई के आँकड़ों के मुताबिक़ ये 32.90 रुपये है.

ये भी पढ़ें:NEET परीक्षा में ओबीसी आरक्षण न मिलने का पूरा सच - फ़ैक्ट चेक

राज्य सरकार कितना टैक्स ले रही है?

26 जुलाई को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में बताया कि सबसे ज्यादा वैट मध्य प्रदेश सरकार पेट्रोल पर लेती है. जो 31.55 रुपये प्रति लीटर है. वहीं डीज़ल पर सबसे ज्यादा वैट राजस्थान सरकार लेती है जो 21.82 रुपये प्रति लीटर है. यानी जो राज्य सरकार सबसे ज्यादा वैट पेट्रोल पर लगा रही है वो क़ीमत भी केंद्र सरकार की एकसाइज़ ड्यूटी से कम ही है. सबसे कम वैट लेने वाला अंडमान निकोबार द्वीप समूह है जहाँ पेट्रोल पर 4.82 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल पर 4.74 प्रति लीटर वैट लिया जाता है.

ये भी पढ़ें:अमूल के 1 लाख से ज़्यादा मुसलमानों को नौकरी से निकालने के दावे का सच- फ़ैक्ट चेक

राज्य सरकारें वैट के साथ साथ कई बार कुछ अन्य टैक्स भी जोड़ देती हैं जिन्हें ग्रीन टैक्स, टाउन रेट टैक्स जैसे नाम दिए जाते हैं.

पेट्रोल और डीज़ल केंद्र सरकार राज्य सरकार दोनों के लिए कमाई का मोटा ज़रिया होते हैं.

फ़ैक्ट चेक: वर्तमान समय में किया जा रहा दावा हमारे फ़ैक्ट चेक में झूठा पाया गया है. केंद्र सरकार की ओर से वसूली जा रही एक्साइज़ ड्यूटी किसी भी राज्य द्वारा वसूले जा रहे वैट से ज़्यादा है. ये बात सरकार ने ख़ुद संसद में दिए गए अपने जवाब में स्वीकार किया है.

ये भी पढ़ें : भारत में अरबों डॉलर के निवेश का विज्ञापन, दफ़्तर का पता नहीं

फैक्ट चेक
BBC
फैक्ट चेक

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
central or state government who is charging more tax on petrol ?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X