स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत पर उठते सवालों पर केंद्र ने दी सफाई, कहा- स्वामी के स्वास्थ्य की निगरानी....
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में न्यायिक हिरासत में लिए गए मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी की हिरासत में हुई मौत पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं।
नई दिल्ली, 6 जुलाई। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में न्यायिक हिरासत में लिए गए मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी की हिरासत में हुई मौत पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। जहां कुछ लोग उनकी मौत को हत्या करार दे रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने उनकी मौत पर सरकार की जवाबदेही तय करने की मांग की है। वहीं विदेश मंत्रालय ने उनकी मौत पर सफाई देते हुए मंगलवार को कहा कि उनके स्वास्थ और उपचार की कोर्ट द्वारा निगरानी की जा रही थी। मंत्रालय ने आगे कहा कि भारतीय अधिकारी अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी को कानून के तहत उचित प्रक्रिया के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार और हिरासत में लिया गया था। उनपर लगे आरोपों की विशिष्ट प्रकृति के कारण उनकी जमानत याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया था। भारत में प्राधिकरण कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ। उनके खिलाफ जो भी कार्रवाई हुई कानून के दायरे में हुई।
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विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र द्वारा 84 वर्षीय अधिकार कार्यकर्ता और जेसुइट पादरी के निधन पर शोक व्यक्त करने के बाद आई है। बता दें कि स्वामी में आरोपी थे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने स्वामी की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए जेनेवा में कहा, 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी के निधन से हम अत्यंत दुखी और व्यथित हैं।
यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के शीर्ष अधिकारियों ने भी स्वामी की मृत्यु को दिल दहलाने वाला करार दिया है। स्टेन स्वामी के स्वास्थ्य के उपचार का विवरण देते हुए बागची ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक निजी अस्पताल में उनके चिकित्सा उपचार की अनुमति दी थी, जहां उन्हें 28 मई से हर संभव चिकित्सा मिल रही थी। उन्होंने आगे कहा कि उनके स्वास्थ्य और इलाज की कोर्ट द्वारा निगरानी की जा रही थी। चिकित्सा जटिलताओं के बाद 5 जुलाई को उनका निधन हो गया।
बागची ने आगे कहा कि भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक राजनीति एक स्वतंत्र न्यायपालिका, राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मानवाधिकार आयोगों की एक श्रृंखला द्वारा पूरक है जो उल्लंघनों की निगरानी करते हैं, साथ ही भारत का स्वतंत्र मीडिया और मुखर समाज भी मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी करता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।