क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

'ब्राह्मणों' के समाजवादी पार्टी से जुड़ने से कितना बढ़ेगा योगी आदित्यनाथ पर दबाव?

अखिलेश यादव अब ये संकेत देना चाह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण, बीजेपी और योगी सरकार से नाराज़ हैं. लेकिन हक़ीक़त क्या है. पढ़िए एक विश्लेषण.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

बहुजन समाज पार्टी से निकाले गए नेता और पूर्वांचल के गोरखपुर के आसपास एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले हरिशंकर तिवारी रविवार को अपने दो बेटों के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.

Brahmins join the Samajwadi Party increase pressure on Yogi Adityanath

उनके बड़े बेटे भीम शंकर तिवारी उर्फ़ कुशल तिवारी संत कबीर नगर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. वहीं उनके छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी गोरखपुर के चिल्लूपार से बसपा के विधायक हैं. सभी के सपा में शामिल होने की संभावनाओं को देखते हुए पिछले हफ़्ते इन लोगों को बहुजन समाज पार्टी से निकाल दिया गया था.

इन सबके अलावा, संत कबीर नगर के ख़लीलाबाद से विधायक दिग्विजय नारायण चौबे उर्फ़ जय चौबे ने भी बीजेपी छोड़कर सपा की सदस्यता ले ली. भाजपा से सपा में शामिल होने वाले वो दूसरे विधायक हैं. इससे पहले सीतापुर से बीजेपी विधायक राकेश राठौड़ भी सपा से जुड़ चुके हैं. बसपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष गणेश शंकर पांडेय ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है.

पार्टी में इन नेताओं का स्वागत करते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, "इतना बड़ा परिवार अब हमारे साथ जुड़ गया है और विधायक विनय शंकर तिवारी भी पार्टी में आ गए हैं, तो फिर सपा का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता. सपा में आकर आपने पार्टी की लड़ाई को और मज़बूत बना दिया है."

हरिशंकर तिवारी के परिवार और जय चौबे के सपा में शामिल होने से अखिलेश यादव अब ये संकेत देना चाह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण, बीजेपी और योगी सरकार से नाराज़ हैं और चुनावी जंग में सपा को ज़्यादा मज़बूत मान रहे हैं. 2022 के विधानसभा चुनावों के पहले विपक्ष भाजपा को ब्राह्मण विरोधी साबित करने में लगा हुआ है.

चिल्लूपार से विधायक विनय शंकर तिवारी ने कहा, "हम लोग ब्राह्मण समाज से आते हैं और उस समाज पर इतना अन्याय और अत्याचार हुआ है जितना शायद ही किसी ने कभी किया हो."

यूपी की सियासत में कैसी है ब्राह्मणों की हिस्सेदारी?

एक अनुमान के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में 11 प्रतिशत ब्राह्मण हैं. पूर्वांचल में इनकी तादाद 20 प्रतिशत मानी जाती है. वहीं राज्य में ठाकुर यानी राजपूतों की तादाद क़रीब 7 प्रतिशत बताई जाती है.

राज्य के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को प्रदेश की बीजेपी का सबसे बड़ा ब्राह्मण चेहरा माना जाता है. उनके अलावा विधि मंत्री बृजेश शुक्ल भी पार्टी के कद्दावर ब्राह्मण नेताओं में गिने जाते हैं.

बीजेपी प्रबुद्ध सम्मेलनों के ज़रिए ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़े रखने की लगातार कोशिशें कर रही है. बसपा भी अपने नेता और राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र के नेतृत्व में ब्राह्मणों को 2007 के चुनावों की तर्ज़ पर फिर से पार्टी से जोड़ने के लिए प्रबुद्ध वर्ग सम्मलेन करा रही है. लेकिन अपने पुराने नेताओं से बसपा की नाराज़गी और विधायकों के निलंबन और निष्कासन के बाद हरिशंकर तिवारी जैसे नेता अब दूसरी पार्टियों में अपना भविष्य तलाशने को मजबूर हो गए हैं.

रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में प्रदेश की वरिष्ठ पत्रकार सुमन गुप्ता भी मौजूद थीं. उनके मुताबिक़, "ब्राह्मण बिरादरी का वोट भले कम है, लेकिन ब्राह्मण 'ओपिनियन मेकिंग' बिरादरी है, तो वो राय बनाने का काम करती है. इन नेताओं के सपा में शामिल होने से गोरखपुर या उसके आसपास के इलाक़ों में ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर में थोड़ा संदेश जाएगा कि पिछड़ों की पार्टी माने जाने वाली सपा में गोरखपुर के ब्राह्मण शामिल हो रहे हैं."

तो क्या हरिशंकर तिवारी के परिजनों के सपा में शामिल होने से गोरखपुर में सपा को मज़बूती मिलेगी? इस बारे में सुमन गुप्ता कहती हैं, "गोरखपुर में ब्राह्मण और ठाकुर की अलग अलग राजनीति चलती है. यानी जहां ठाकुर जाता है, वहां अक्सर ब्राह्मण नहीं जाता. दोनों में पूरा सामंजस्य नहीं होता. इसलिए तिवारी परिवार के सपा में शामिल होने का थोड़ा फ़ायदा तो अखिलेश यादव को ज़रूर मिलेगा.''

उनके अनुसार, ''इस परिवार का प्रभाव सिर्फ़ पूर्वांचल के गोरखपुर में ही नहीं, बल्कि पड़ोस के बस्ती और संत कबीर नगर ज़िले में भी दिखता है. हरिशंकर तिवारी बेरोज़गार और ग़रीब ब्राह्मण लड़कों की पढ़ाई में भी मदद करते हैं. इसलिए उनका दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में बहुत ज़्यादा तो नहीं, लेकिन थोड़ा असर तो ज़रूर पड़ेगा."

सपा के इस दांव पर बसपा और बीजेपी की राय

अगस्त और सितंबर से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलनों के ज़रिए ब्राह्मणों को फिर से अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगी बसपा का मानना है कि तिवारी परिवार के सपा में शामिल होने से पार्टी को कोई ख़ास नुक़सान नहीं होगा.

बसपा के प्रवक्ता एमएच ख़ान का कहना है, "हरिशंकर तिवारी और उनके परिवार को जो कुछ भी बनाया वो बहन मायावती ने बनाया. उन्हें एमएलए, मिनिस्टर बनाया. ये धोख़ेबाज़ लोग हैं. पार्टी में अनुशासनहीनता को कोई बर्दाश्त नहीं करेगा. इसलिए ये पार्टी से निकाले गए हैं. अब वे जहां चाहें वहां जाएं, उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता."

बसपा का मानना है कि उसके पास अभी भी सतीश चंद्र मिश्र, पूर्व मंत्री नकुल दुबे, मथुरा के पूर्व विधायक श्याम सुंदर शर्मा जैसे नेता मौजूद हैं जो ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने की कोशिशें कर रहे हैं.

वहीं सपा की इस ब्राह्मण स्ट्रेटेजी के बारे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव कहते हैं, "ख़लीलाबाद से विधायक जय चौबे हमारे विधायक रहे हैं, पर असल में वो हरिशंकर तिवारी के क़रीबी रहे हैं. 2017 में भाजपा में शामिल हुए और विधायक बन गए. चुनाव में ऐसे लोग आते-जाते रहते हैं और उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.''

वो आगे कहते हैं, ''हरिशंकर तिवारी के परिवार की जहां तक बात है तो वो भाजपा के विरोध में ही पिछले 20 वर्षों से बसपा में थे. उनके समर्थक भाजपा के विरोधी रहे हैं, तो उनके कहीं आने-जाने का भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कुछ नेताओं के आने-जाने को पूरे ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व नहीं मान सकते. ब्राह्मण बुद्धिजीवी है. ब्राह्मण राष्ट्र का निर्माता है और हमेशा राष्ट्रवादी विचारधारा वाली पार्टी के साथ रहता है. जिन्ना प्रेमियों के साथ ब्राह्मण समाज कभी नहीं जा सकता."

विधायकों का सपा से जुड़ने का सिलसिला

नवंबर में बसपा के कद्दावर नेता और कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा और अकबरपुर से बसपा विधायक राम अचल राजभर ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में अकबरपुर में जनसभा कर अपने समर्थकों के साथ सपा की सदस्यता ले ली.

उससे पहले, अक्टूबर में बसपा के 6 निलंबित विधायकों असलम राइनी (भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली चौधरी (धौलाना-हापुड़), मुज़्तबा सिद्दीक़ी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हंडिया-प्रयागराज), हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर) और सुषमा पटेल (मुंगरा-बादशाहपुर) ने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था. उनके साथ बीजेपी के सीतापुर से विधायक राकेश राठौर भी सपा में शामिल हो गए थे.

पूर्वांचल में सपा बढ़ा रही बीजेपी पर दबाव?

अखिलेश यादव ख़ुद पूर्वांचल के आजमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं. नवंबर में वो पूर्वांचल को अपनी रथ यात्राओं से नाप चुके हैं. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के साथ देर रात तक निकाली गई समाजवादी रथ यात्राओं में ख़ासी भीड़ उमड़ी. इससे पार्टी को इलाक़े की क़रीब 150 सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की नई उम्मीद जगी है.

गोरखपुर सीएम योगी आदित्यनाथ का गृह ज़िला है और उसे 'सीएम सिटी' का दर्जा हासिल है. अखिलेश यादव पहले भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इलाक़े में राजनीतिक दबाव बरक़रार रखने वाले फ़ैसले लेते आए हैं. 2018 के गोरखपुर उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी का समर्थन कर बीजेपी प्रत्याशी को हराने में मदद की थी. हालांकि बाद में निषाद पार्टी ने सपा छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था.

ओम प्रकाश राजभर की पूर्वांचल के चार विधायकों वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने का फ़ैसला भी इस इलाक़े में सपा को मज़बूत करने की उम्मीद से किया गया है.

पूर्वांचल के 10 से 12 ज़िलों में राजभर बिरादरी का वोट 20 प्रतिशत है और उस नज़रिए से सपा और ओम प्रकाश राजभर का गठबंधन काफ़ी कारगर साबित हो सकता है.

शायद इसीलिए ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल के गोरखपुर, सुल्तानपुर, कुशीनगर और बलरामपुर के सरकारी लोकार्पण कार्यक्रमों में सीधे अखिलेश यादव पर राजनीतिक वार किया है.

ये भी पढ़ें:-

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
'Brahmins' join the Samajwadi Party increase pressure on Yogi Adityanath
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X