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प्रतापगढ़ में भी कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर, राजकुमारी की डगर आसान नहीं

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प्रतापगढ़। आज लोकसभा चुनाव का आठवां चरण है। आज यूपी की 15 सीटों के लिए वोट डालें जा रहे हैं जिनमें से एक अहम सीट है प्रतापगढ़ सीट। प्रतापगढ़ में हमेशा से यहां की कालाकांकर रियासत का ही सिक्का चलता रहा है।

यूपी के प्रतापगढ़ शहर का राजनीतिक इतिहास

इस बार राजवंशियों का प्रतिनिधित्व कर रहीं राजकुमारी रत्ना सिंह की विरोधियों ने तगड़ी घेरेबंदी कर रखी है। स्थानीय लोगों की पीड़ा यह है कि अच्छी शिक्षा और अस्पताल के लिए अभी भी उन्हें इलाहाबाद का मुंह देखना पड़ता है।

भाजपा और अनुप्रिया पटेल की अपना दल के बीच हुए गठबंधन के कारण प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर इस बार भाजपा का प्रत्याशी यहां से चुनाव नहीं लड़ रहा है।

वर्ष 1952 से हुए अब तक 15 लोकसभा चुनावों में 11 बार यहां राजवंशियों ने विजय पताका फहराई। 1952 व 57 (कांग्रेस के मुनीश्वर दत्त उपाध्याय चुने गए) के चुनाव को छोड़ दें तो 1962 से लेकर 2009 तक 11 बार राजघराने के लोग ही प्रतापगढ़ की सीट पर काबिज रहे।

राजवंशियों को पहली जीत प्रतापगढ़ सीटी किला राजघराने के राजा अजीत प्रताप सिंह ने जनसंघ के टिकट पर 1962 में दिलाई। 1967 में यहां कालाकांकर राजघराने का सितारा चमका। राजा दिनेश सिंह इस सीट पर काबिज हुए तो फिर 20 वर्ष तक बने रहे। वह चार बार कांग्रेस के टिकट पर जीते। सरकार के अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। इस दरम्यान किला राजघराने के राजा अजीत प्रताप सिंह ने 1980 में और 1991 के मध्यावधि चुनाव में राजा अभय प्रताप सिंह ने जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की।

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राजकुमारी रत्ना सिंह

राजकुमारी रत्ना सिंह

1996 में कालाकांकर की सियासी बागडोर राजा दिनेश की बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह ने संभाली और प्रतापगढ़ में कांग्रेस की पहली महिला सांसद बन कर राजवंशियों की जिताऊ परंपरा को आगे बढ़ाया। राजकुमारी रत्ना मौजूदा सांसद भी हैं। कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार जीत के लिए वह एक बार फिर मैदान में हैं। अन्य राजनीतिक दलों ने अपना ताना-बाना भी उन्हीं को केंद्र में रखकर बुना है।

अपना दल

अपना दल

अपना दल के प्रत्याशी ठाकुर हरवंश सिंह कहते हैं, "हमारी लड़ाई बसपा से है। कांग्रेस प्रत्याशी ने अपने पिछले 15 वर्षो के कार्यकाल में कोई विकास कार्य नहीं कराया है।"प्रतापगढ़ में विकास के मुद्दे भी खूब उठ रहे हैं। सड़क-पानी से लेकर शिक्षा-अस्पताल व उद्योग लगाने के वादे किए जा रहे हैं। मतदान का दिन आते-आते ये सारे मुद्दे काफूर हो जाते हैं। धन और बाहुबल अपना असर दिखाने लग जाता है।

आंवला दशकों से उद्योग का रूप पाने के इंतजार में

आंवला दशकों से उद्योग का रूप पाने के इंतजार में

सिटी शुक्लान गांव के निवासी सतीश शुक्ला कहते हैं, "प्रतापगढ़ का बेशकीमती आंवला दशकों से उद्योग का रूप पाने के इंतजार में है। मौजूदा तस्वीर यह है कि किसान बागों में लगे आंवले के पेड़ों को खुद अपने हाथों से काट इससे मुक्ति पाने में लग गए हैं। शिक्षा के लिए यहां के लोगों को इलाहाबाद का रुख करना पड़ता है।"

ऑटो ट्रैक्टर लिमिटेड (एटीएल) बंद

ऑटो ट्रैक्टर लिमिटेड (एटीएल) बंद

जिले में अब तक हुए विकास की बात करें तो राजा दिनेश सिंह के विदेश मंत्री रहते जिले को एक बड़ा उद्योग ऑटो ट्रैक्टर लिमिटेड (एटीएल) के रूप में मिला था जो काफी समय से बंद पड़ा है।

अपना दल के प्रत्याशी की स्थिति कमजोर

अपना दल के प्रत्याशी की स्थिति कमजोर

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक डा. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं, "यहां पर लड़ाई त्रिकोणीय है। अपना दल के प्रत्याशी की स्थिति कमजोर है और उनको अपनी पार्टी का पूरा सहयोग नहीं मिल पा रहा है क्योंकि सारे लोगों का ध्यान अनुप्रिया को जिताने में लगा हुआ है।" उल्लेखनीय है कि प्रतापगढ़ में बसपा के आसिफ सिद्दीकी और सपा के प्रमोद पटेल भी चुनाव मैदान में हैं।

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English summary
In Pratapgarh, Asif Nizamuddin Siddique BSP and SP Pramod Kumar Singh Patel are challenging the royal Rajkumari Ratna Singh of Congress who is the current MP in the constituency.
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