अयोध्या पर फैसला: ओवैसी पर देशद्रोह और सांप्रदायिक भावना भड़काने के आरोप में FIR
नई दिल्ली- एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ देशद्रोह और एक खास समुदाय के प्रति सांप्रदायिक भावना भड़काने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है। भोपाल के जहांगीराबाद थाने में ये शिकायत अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनकी विवादित प्रतिक्रिया के चलते दर्ज कराई गई है। 9 तारीख को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ओवैसी ने न सिर्फ असंतोष जताया था, बल्कि कुछ विवादित टिप्पणियां भी की थी और अदालत के निर्णय पर सवाल भी उठाए थे। उनके ऐसे बयान के लिए हैदराबाद के ही एक बीजेपी विधायक ने उनकी गिरफ्तारी की भी मांग की थी।
ओवैसी पर देशद्रोह के आरोप में एफआईआर
असदुद्दीन ओवैसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी विवादित टिप्पणी के लिए कानूनी शिकंजे में उलझ गए हैं। उन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि केस में राम लला के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बेहद तीखी टिप्पणियां की थी और फैसले पर सार्वजनिक तौर पर सवाल भी उठाए थे। अब भोपाल के जहांगीराबाद थाने में उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज करवाई गई है, उसमें उनपर देशद्रोह और समुदाय विशेष की धार्मिक भावना भड़काने के आरोप लगाए गए है। एफआईआर में ओवैसी के उस बयान के कई अंश को कोट भी किया गया है, जो उन्होंने 9 तारीख को आए फैसले के तत्काल बाद दिया था। उन्होंने सर्वोच्च अदालत पर सवाल उठाते हुए उसके फैसले पर असंतोष भी जताया था।
क्या बोल गए थे ओवैसी
ओवैसी ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कई विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा था, '1992 में जिन्होंने बाबरी मस्जिद तोड़ी......सुप्रीम कोर्ट आज उन्हीं से ट्रस्ट बनाने और मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए कह रहा है।' उन्होंने फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, 'भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे। हमें जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए।' औवैसी ने कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने भी कहा कि वे इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं।'
गिरफ्तारी की भी हो चुकी है मांग
ओवैसी के इस बयान के बाद हैदराबाद के गोशामहल सीट से भाजपा विधायक और सदन में पार्टी के नेता राजा सिंह ने कहा कहा था कि, "ओवैसी अपने बयान से भय का माहौल पैदा कर रहे हैं। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दोनों समुदायो ने स्वीकार किया है...हम नहीं चाहते कि हैदराबाद या किसी दूसरे शहर की शांति भंग हो....गृहमंत्री अमित शाह जी से निवेदन करता हूं कि ओवैसी को गिरफ्तार करें।"
अदालत ने क्या फैसला सुनाया है?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में जन्मभूमि की जमीन राम लला को देने के पक्ष में फैसला सुनाया था। जबकि, उस जमीन के दो दावेदारों में से सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में अलग से मस्जिद बनाने के लिए सरकार को 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था। वहीं तीसरे दावेदार निर्मोही अखाड़ा के दावे को भी खारिज कर दिया। अदालत ने केंद्र सरकार से वक्फ को जमीन देने के साथ ही राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करने का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी स्वीकार कर लिया है। लेकिन, ओवैसी ने इसके खिलाफ कुछ विवादित टिप्पणी करने से भी परहेज नहीं किया।
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