World Economic Forum: जानिए WEF के दावोस सम्मेलन का पूरा लेखा-जोखा? भारत की भूमिका क्यों हैं अहम
विश्व आर्थिक मंच पर दुनियाभर के हजारों नेता इसमें शामिल हो रहे हैं। इस बार दावोस में हजारों प्रतिनिधि ‘खंडित दुनिया में सहयोग’ के 2023 विषय पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए हैं।
World Economic Forum: विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) की 5 दिवसीय 53वीं सालाना बैठक स्विट्जरलैंड में लैंड वासर नदी के तट पर, स्विस आल्प्स पर्वत के प्लेसूर शृंखला और अल्बूला शृंखला के बीच बसे शहर दावोस में इस महीने की 20 तारीख तक चलेगी। इस बार बैठक में व्यापार और विश्व के हजारों नेता 'खंडित दुनिया में सहयोग' के 2023 विषय पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए हैं। इस दौरान लगभग 500 सत्र होंगे, जिसमें वैश्विक मुद्दों पर चर्चा को अहम रखा गया है। वैसे विश्व आर्थिक मंच का दावोस सम्मेलन आमतौर पर जनवरी में ही होता है।
इस बार की बैठक में 130 देशों के 2,700 से अधिक नेता शामिल हो रहे हैं। जिनमें 52 राष्ट्राध्यक्ष/सरकार शामिल होने की उम्मीद हैं। वहीं भारत की तरफ से भी कई मंत्री, नेता और कारोबारी शामिल हुए हैं। भारत की तरफ से केंद्रीय मंत्रियों में मनसुख मांडविया, अश्विनी वैष्णव, स्मृति ईरानी और आरके सिंह शामिल हैं। इनके अलावा राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा, तेलंगाना में मंत्री केटी रामाराव और तमिलनाडु के मंत्री थंगम थेनारासु दावोस पहुंच चुके हैं।
क्या है 'विश्व आर्थिक मंच' और दावोस बैठक?
विश्व आर्थिक मंच स्विट्जरलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था (Non-Profit Organiation) है। इसका मुख्यालय कोलोनी (Cologny) में है। WEF को निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक इंटरनेशनल संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसका काम विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ लाकर वैश्विक मंच देकर क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा में मिलकर काम करना है। वैसे तो इसकी स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जेनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम. श्वाब ने की थी। तब प्रोफेसर क्लॉस ने यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन प्रोद्योगिकी संगठन के साथ मिलकर यूरोपीय बिजनेस से जुड़े 444 लोगों को अमेरिकी प्रबंधन से अवगत कराया था। बाद में इसकी लोकप्रियता बढ़ी और साल 1987 में इसका नाम विश्व आर्थिक मंच कर दिया गया। तभी से हर साल जनवरी में इसकी बैठक का आयोजन होता है। इस समिट में विश्वस्तरीय मुद्दों पर बात होती है।
1000 से ज्यादा कंपनियां करती हैं फंड
इस फोरम में 1,000 से अधिक सदस्य कंपनियां हैं जो इसे फंड करती है। आमतौर पर ये पांच बिलियन डॉलर से अधिक टर्नओवर वाले वैश्विक उद्यम (इंटरप्राइजेज) हैं। यह उद्यम अपने उद्योग और देश के भीतर शीर्ष कंपनियों में टॉप रैंक वाले होते हैं। बिजनेस इंसाइडर के अनुसार साल 2011 में एक व्यक्तिगत सदस्य के लिए सलाना सदस्यता शुल्क 52,000 डॉलर था। उद्योगपतियों के लिए 263,000 डॉलर और रणनीतिक भागीदारों के लिए 527,000 डॉलर थी। जबकि इसका प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 19,000 डॉलर खर्च होता है। जबकि साल 2014 में, WEF ने सलाना शुल्क 20 प्रतिशत बढ़ा दिया था। जिससे रणनीतिक भागीदारों की लागत 628,000 डॉलर हो गई।
WEF सलाना चार बैठकें करता है
यहां गौर करने वाली बात ये है कि विश्व आर्थिक मंच 'सालाना महोत्सव' स्विट्जरलैंड के दावोस में करता है। जो जनवरी महीने में होता है। इसमें पूरे साल दुनिया किस दिशा में आगे बढ़ेगी, इस पर चर्चा की जाती है। वहीं न्यू चैंपिंयस वार्षिक महोत्सव चीन में होता है। इसमें नए अविष्कारों, विज्ञान और तकनीक पर चर्चा होती है। इसके बाद ग्लोबल फ्यूचर काउंसिल्स वार्षिक महोत्सव की बैठक होती है जो विश्व के ज्ञानी समुदायों को बुलाया जाता है। ये दुनिया के बड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं और विश्व की दिशा तय करने में मदद करते हैं। इसके लिए कोई जगह निर्धारित नहीं होती। इसके बाद इंडस्ट्री स्ट्रेटजी मीटिंग उद्योग जगत से जुड़े मुद्दों पर बात के लिए होती है।
इस बार की बैठक में क्या अहम है?
विश्व आर्थिक मंच की यह बैठक वैश्विक महंगाई, ऊर्जा संकट, यूक्रेन युद्ध और चीन में फिर से बढ़ते कोविड के बीच चल रही है। इसलिए महंगाई, ऊर्जा संकट, तनाव (युद्ध) और चीन (कोविड) बातचीत का बड़ा मुद्दा बन रहे हैं। हालांकि, फोरम के संस्थापक और प्रमुख क्लाउस शवाब ने कहा था कि आर्थिक, सामाजिक, भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय संकट एक साथ मिलते दिख रहे हैं, जो बहुत विविध और अनिश्चित भविष्य बना रहे हैं। दावोस की वार्षिक बैठक में हम सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि नेता संकट वाली मानसिकता में फंसे ना रह जाएं।
WEF में भाग लेने वाले मुख्य देश
कोविड आने से पहले दावोस में 2020 की सलाना बैठक में लगभग 3,000 लोग शामिल हुए थे। इसमें सबसे अधिक उपस्थिति वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका (674 प्रतिभागी), यूनाइटेड किंगडम (270), स्विट्जरलैंड (159), जर्मनी (137) और भारत (133) शामिल थे। साल 2021 में कोविड को लेकर यह बैठक कैंसिल कर दी गयी थी और 2022 में ऑनलाइन समिट किया गया था।
इसमें भारत का एजेंडा और फायदा क्या है?
दरअसल भारत इस वक्त तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश है। भारत को वर्तमान समय में दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक शक्तियों के समूह G20 की अध्यक्षता का जिम्मा मिला है। जिसकी वजह से भारत के मुद्दों पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। भारत का फोकस आने वाले समय में अक्षय ऊर्जा, सस्टेनेबिलिटी, आधारभूत ढांचा, स्वास्थ्य, मेडिकल डिवाइस, स्टार्टअप, व्यापार, तकनीक और संस्थागत निवेश पर रहेगा। इसलिए भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरने की कोशिशों में लगा हुआ है। ऐसे में विश्व आर्थिक मंच के जरिए भारत वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को और भी ज्यादा मजबूत करना चाहता है। विशेष तौर पर 2023 में भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता करने के संदर्भ में। वहीं WEF भारत को एक मजबूत आर्थिक विकास के तौर पर पेश करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा। इससे भारत के लिए व्यापार का बड़ा बेस तैयार करना WEF के माध्यम से आसान होगा।
PIB की रिपोर्ट के मुताबिक आज भारत में भारतीय स्टार्टअप परिवेश वाले यूनिकॉर्न (स्टार्टअप जब 1 बिलियन डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हासिल कर लेता है) की संख्या के लिहाज से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है। यहां 5 मई 2022 तक 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं जिनका कुल मूल्यांकन 332.7 अरब डॉलर है। साथ ही स्टार्टअप इंडिया अभियान के शुरूआत 16 जनवरी 2016 के बाद से 2 मई 2022 तक देश में 69,000 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी गई है। इसलिए ये फोरम भारत के लिए काफी अहम है।
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