जानिए उन सात महिलाओं के बारे में जिन्होंने इसरो की सफलता में अदा किया बड़ा रोल
इसरो के चंद्रमा और मंगल से जुड़े अभियान के पीछे शामिल हैं कई महिलाओं की भी मेहनत। सात महिलाओं के अहम योगदान के साथ ही इस समय इसरो में काम कर रही हैं करीब 16,000 महिलाएं।
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 15 फरवरी को एक साथ 104 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। चंद्रमा और मंगल से जुड़े मिशन को लेकर इसरो और भारत दुनिया के बाकी देशों का आदर्श बन रहे हैं। यहां तक कि कई विकसित देश भी अब इसरो का गुणगान कर रहे हैं।
16,000 महिलाएं इसरो का हिस्सा
आपने अक्सर सुना होगा कि हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी न किसी महिला का हाथ होता है और अब इसरो की सफलता से भी यही बात सच लगने लगी है। इसरो की हालिया कई सफलताओं के पीछे एक नहीं बल्कि आठ महिलाओं का हाथ है। ये महिलाएं ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि परिवार की जिम्मेदारियों के साथ ही कई कीर्तिमानों को भी छुआ जा सकता है अगर, आपमें हिम्मत हो तो। आइए आपको उन आठ महिलाओं से मिलवाते हैं जिन्होंने इसरो की सफलता में एक बड़ा योगदान दिया है। वर्तमान में करीब 16,000 महिलाएं इसरो के लिए काम कर रही हैं और इस संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। यह बात यहां पर इसलिए और भी अहम हो जाती है क्योंकि इसरो के अब तक सात प्रमुख हुए हैं और ये सभी पुरुष हैं। पढ़ें-भारत की असली 'मिसाइल वुमन' से
ऋतु करिधाल
दो बच्चों की मां ऋतु इसरो के मार्स मिशन में की डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर बनीं। इसके बाद से उन्हें अब इसरो के कई बड़े मिशन का जिम्मा सौंपा गया है। ऋतु जब एक छोटी बच्ची थीं तो इस बात को देखकर हैरान होती थीं कि आखिर चांद क्यों बड़ा और छोटा होता जाता है। बचपन में उन्होंने स्पेस साइंस से जुड़ी हर चीज को काफी ध्यान से पढ़ा था।
मौमिता दत्ता
मौमिता ने एक स्टूडेंट के तौर पर चंद्रयान मिशन के बारे में सबकुछ पढ़ा था और अब वह मार्स मिशन के साथ बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर जुड़ी हुई हैं। मौमिता ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से अप्लाइड साइंस में एम टेक किया हुआ है और अब वह ऑप्टिकल साइंस में एक टीम को लीड करती हैं। यह टीम मेक इन इंडिया का हिस्सा है।
नंदिनी हरिनाथ
नंदिनी हरिनाथ का कैरियर ही इसरो से शुरू हुआ और आज उन्हें इसरो के साथ 20 वर्ष हो चुके हैं। जब उन्होंने स्टार ट्रेक सीरिज देखी तभी वह विज्ञान के प्रति आकर्षित हुईं। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां पर सभी टीचर्स और इंजीनियर्स हैं। उनका झुकाव हमेशा से ही विज्ञान और टेक्नोलॉजी वाले विषयों के लिए रहा। आज वह मार्स मिशन के साथ बतौर डिप्टी डायरेक्टर जुड़ी हुई हैं। मंगलयान की लॉन्चिंग से पहले वह कई दिनों तक घर नहीं गई थीं।
अनुराधा टीके
अनुराधा टीके इसरो की सबसे वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं और वह जियोसैट प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। वह सिर्फ नौ वर्ष की थीं जब उन्होंने स्पेस साइंटिस्ट बनने का सपना देखा था। जब नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा तो अनुराधा की शादी हो गई थी। आज वह इसरो में बाकी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं।
एन वालारमती
52 वर्ष की एन वालारमती ने भारत के पहले स्वदेशी रडारा इमेजिंग सैटेलाइट के लॉन्च को लीड किया था। इस सैटेलाइट का नाम रीसैट-1 था। वह टीके अनुराधा के बाद दूसरी महिला हैं तो इसरो के सैटेलाइट मिशन को लीड करती हैं। तमिलनाडु की वालारमती पर न सिर्फ उनके राज्य बल्कि पूरे देश को गर्व है। वह देश की पहली महिला हैं जो रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट मिशन से जुड़ी हैं।
मीनल संपत
मीनल संपत मार्स मिशन के साथ जुड़ी हैं और उन्होंने इस मिशन के लिए दिन में 18 घंटे तक काम किया। दो वर्षों तक मीनल ने रविवार और नेशनल हॉलीडे वाले दिन भी छुट्टी नहीं ली। मीनल ने इसरो के 500 वैज्ञानिकों की टीम को बतौर सिस्टम इंजीनियर लीड किया था।
कीर्ति फौजदार
एक कंप्यूटर साइंटिस्ट कीर्ति फौजदार मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी के साथ काम करती हैं। वह उस टीम का हिस्सा हैं तो सैटेलाइट्स और दूसरे मिशन पर नजर रखती है। कीर्ति पर जिम्मेदारी है कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो वह उसे तुरंत ठीक करें। वह अब एमटेक की पढ़ाई करके इसरो में एक बेहतर साइंटिस्ट बनना चाहती हैं।