जानिए कब सरहदों की रक्षा के लिये गंभीर हुए नेहरू
(विवेक
शुक्ल)।
पूर्व
प्रधानमंत्री
जवाहर
लाल
नेहरू
की
जयंती
के
मौके
पर
हम
उन
सभी
बिन्दुओं
को
विस्तार
से
रख
रहे
हैं,
जिसके
चलते
चीन
ने
वादा
खिलाफी
की
थी।
हम
आपको
बतायेंगे
कि
तब
ऐसा
क्या
कि
पंडित
नेहरू
बॉर्डर
सिक्योरिटी
को
लेकर
गंभीर
हो
गये
थे।
ये
वो
वक्त
था
जब
चीन
ने
भारत
पर
हमला
किया
था।
संसद में नेहरू बोल ही रहे थे कि पहली बार उन्हें टोकते हुए करनाल से सांसद स्वामी रामेश्वरनंद ने कहा, ‘चलो अब तो आपको चीन का असली चेहरा दिखने लगा।‘वे एक तरह से तंग कस रहे थे नेहरु पर क्योंकि वे चीन पर खासा चकीन करते थे। चीनी नेताओं से अपने संबंधों की दुहाई देते थे। स्वामी रामेश्वरनंद की टिप्पणी से कुछ नाराज होते हुए नेहरु ने कहा, "अगर माननीय सदस्य चाहें तो उन्हें सरहद पर भेजा जा सकता है। सदन को नेहरु जी की यह बात समझ नहीं आई।"
पंडित नेहरु प्रस्ताव पर बोलते ही जा रहे थे। तब वरिष्ठ सदस्य एचवी कामथ ने कुछ व्यंग्यभरे अंदाज में कहा, 'आप बोलते रहिए। हम बीच में व्यवधान नहीं डालेंगे।' अब नेहरुजी विस्तार से बताने लगे कि चीन ने भारत पर हमला करने से पहले कितनी तैयारी की हुई थी। इसी बीच, स्वामी रामेश्वरानंद ने फिर तेज आवाज में कहा, 'मैं यह जानने में उत्सुक हूं कि जब चीन तैयारी कर रहा था,तब आप क्या कर रहे थे।' अब नेहरु जी आपा खोते हुए हिन्दी में कहने लगे, मुझे लगता है कि स्वामी जी को कुछ समझ नहीं आ रहा। मुझे अफसोस है कि सदन में इतने सारे सदस्यों को रक्षा मामलों की पर्याप्त समझ नहीं है।"
अक्सईचिन से चीन को खदेड़ने की वकालत
बहस में 165 सदस्यों ने भाग लिया। सभी ने चीन को अक्सईचिन से खदेड़ने की वकालत की। बहस बेहद भावुक हुई। सदन ने प्रस्ताव को 14 नवंबर को पारित कर दिया। अब पंडित नेहरु ने 22 दिसंबर, 1962 को सभी मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने एक प्रकार से कहा कि चीन का भारत पर हमला हमारे लिए बुरे में अच्छा ही साबित होगा। अब हम अपनी सरहदों की रक्षा करने के लिए और गंभीर होंगे। हालांकि नेहरु के इस तर्क को ना तो तब किसी ने सहीम माना था, ना ही कोई अब मानेगा।
बहरहाल इतना लंबा वक्त गुजरने के बाद भी चीन ने हमारे अक्सईचिन पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। क्या आपको मालूम है कि चीन की तरफ से कब्जाये हुए इलाके का क्षेत्रफल कितना है? ये 37,244 वर्ग किलोमीटर है। सवाल उठता है कि क्या हमारे नेता चीन के शिखर नेताओं से मुलाकात के वक्त अक्सईचिन के मसले को उठाते हैं? क्या कभी किसी भारतीय राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ने अपने चीनी समकक्ष से पूछा कि उनका देश अक्सईचिन को कब खाली करेंगा?