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जवाहर लाल नेहरू और 14 नवंबर 1962 से जुड़ी अनसुनी बातें

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[विवेक शुक्ला] हो सकता है कि बहुत से लोगों को मालूम ना हो कि पंडित जवाहरलाल नेहरु के लिए 14नवंबर, 1962 अहम दिन था। इसलिए नहीं कि वह उनका जन्म दिन था। बेशक, भारत औऱ पंडित नेहरु के लिए 14 नवंबर,1962 की खास अहमियत थी। दरअसल संसद को उस दिन पारित करना था उस प्रस्ताव को, जिसमें चीन द्वारा हड़पी गई भारतीय भूमि को वापस लेने का राष्ट्रीय संकल्प था।

प्रस्ताव को 8 नवंबर,1962 को लोकसभा में रखा गया था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने प्रस्ताव रखा था। चीन ने 1962 की जंग में अक्सईचिनको कब्जा लिया था। प्रस्ताव में कहा गया था- "ये सदन पूरे विश्वास के साथ भारतीय जनता के संकल्प को दोहराना चाहता है कि भारत की पवित्र भूमि पर से आक्रमणकारी को खदेड़ दिया जाएगा।इस बाबत भले ही कितना लंबा और कठोर संघर्ष करना पड़े।"

चीन से मिली हार

चीन से मिली शमर्नाक हार के कारण देश नौराश्य में डूबा हुआ था। उसकी कहीं न कहीं अभिव्यक्ति सदन के माहौल में भी महसूस हो रही थी। नेहरु प्रस्ताव पर बोलने लगे। उन्होंने कहा, "मुझे दुख और हैरानी होती है कि अपने को विस्तारवादी शक्तियों से लड़ने का दावा करने वाला चीन खुद विस्तारवादी ताकतों के नक्शेकदम पर चलने लगा।"

असल में यह सब चीन की वादाख‍िलाफी की वजह से हुआ और तभी कुछ ऐसा हुआ कि पंडित नेहरू ने सरहदों पर सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया। तब क्या हुआ जानने के लिये NEXT पर क्ल‍िक करें।

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English summary
Why 14 November,62 was important for Nehru? Will China ever give land that it grabbed in 1962? Here are some rarely known facts about this date and Nehru.
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