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Demonetisation Judgement: नोटबंदी को अब सुप्रीम कोर्ट की भी हरी झंडी, पहले भी एक बार हुई थी नोटबंदी

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी बहुमत के साथ अपनी स्वीकृति दे दी हैं। अब इसकी कानूनी वैधता को लेकर लगाए जा रहे सभी कयास भी समाप्त हो गए हैं।

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supreme court Judgement on Demonetisation notebandi history india

Demonetisation Judgement: सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में हुई नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया है।

नोटबंदी पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और RBI के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद बीते सात दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। हालांकि, जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में इसे गैर-कानूनी बताया है। बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल थे।

नोटबंदी क्या होती है?

नोटबंदी को 'विमुद्रीकरण' भी कहा जाता है। नोटबंदी या विमुद्रीकरण का अर्थ है किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना जिससे वे किसी भी काम के नहीं रहते। न ही उनसे कोई लेन देन किया जा सकता है, न ही कुछ खरीदा जा सकता है। वहीं सरकार का तर्क है कि नोटबंदी के बाद टैक्स कलेक्शन बढ़ा है और कालेधन में इस्तेमाल होने वाला पैसा सिस्टम में आ चुका है।

जस्टिस नागरत्ना ने नोटबंदी पर क्या कहा ?

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत अलग राय रखी। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नोटबंदी की कार्रवाई अच्छे उद्देश्य से की गई किंतु प्रकिया से गैरकानूनी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी से जुड़ी समस्याओं से एक आश्चर्य होता है कि क्या सेंट्रल बैंक ने इनकी कल्पना की थी?

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि 500 रुपये और 1,000 रुपये की श्रृंखला के नोटों को चलन से बाहर संसद से पारित एक कानून के माध्यम से किया जाना था, न कि एक अधिसूचना के माध्यम से। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की पूरी कवायद 24 घंटे में की गई, जबकि गंभीर आर्थिक प्रभाव वाले केंद्र के इस प्रस्ताव को विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा जाना चाहिए था।

कई याचिकाएं हुई थीं दर्ज

नोटबंदी के फैसले पर विपक्ष ने सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाये थे। विपक्ष का कहना था कि यह एक तरह का घोटाला है। इसके खिलाफ कोर्ट में लगभग 58 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हुईं थी। 2016 में विवेक शर्मा ने याचिका दाखिल कर सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। इसके बाद 58 और याचिकाएं दाखिल की गयी। याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से दलील दी गयी थी कि इस मामले में RBI कानून 1934 की धारा 26(2) का इस्तेमाल किया गया है। RBI की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता पेश हुए थे। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। इसके साथ ही अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने केंद्र का पक्ष रखा था।

8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा

8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री का लोगों के नाम संदेश तो आपको याद होगा। यह वही संदेश था जिसमें प्रधानमंत्री ने उस रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान किया था। तब सरकार ने अलग-अलग मौकों पर नोटबंदी के पांच बड़े मकसद बताए थे। इसमें काले धन को खत्म करना, देश को कैशलेस बनाना, नकली नोटों को खत्म करना, बड़े नोटों को कम करना और आतंक की कमर तोड़ना शामिल थे।

बढ़ गया है सर्कुलेशन

नोटबंदी से पहले 2016 में देश में चलन में रहने वाले कुल नोटों का मूल्य 17.74 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन अक्टूबर 2021 को यह सर्कुलेशन 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। यानी नोटबंदी के बाद से अब तक वैल्यू के लिहाज से नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़त हुई। वहीं 2022 में यह सर्कुलेशन बढ़कर 31,05,721 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

आजादी से भी पहले भी हुई नोटबंदी

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि भारत में आजादी से पहले अंग्रेजों के काल में भी नोटबंदी हो चुकी है। 12 जनवरी 1946 को भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने एक अधिनियम लाकर भारत में प्रचलित नोटों की गिनती सुनिश्चित की थी। उस समय सरकार ने 500, 1000 और 10,000 के बड़े नोट बंद करने की घोषणा की थी। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1978 में 'दूसरी नोटबंदी' की थी। मोरारजी ने 16 जनवरी 1978 को 1,000, 5,000 व 10,000 के नोट बंद किये थे। जो कुल करेंसी का 20 प्रतिशत हिस्सा थे।

यह भी पढ़ें: नोटबंदी के फैसले पर मुहर, 5 प्वाइंट में समझिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

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supreme court Judgement on Demonetisation notebandi history india
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