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नोटबंदी के फैसले पर मुहर, 5 प्वाइंट में समझिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 6 वर्षों से ज्यादा समय से जारी नोटबंदी विवाद पर आज आखिकार अपने फैसला सुना दिया और सरकार के फैसले को पूरी तरह बरकरार रखा। अदालत ने 52 याचिकाएं खारिज करते हुए बताया है कि नोटबंदी क्यों सही थी।

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Demonetisation Supreme Court verdict: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को 8 नवंबर, 2016 के नोटबंदी के फैसले पर आज बहुत बड़ी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ना सिर्फ 1,000 और 500 रुपए के करेंसी नोट के प्रचलन को रद्द करने का सरकार फैसला बरकरार रखा है, बल्कि इसके खिलाफ दायर सभी 58 याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह फैसला बहुमत से सुनाया है और सिर्फ जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जस्टिस बीआर गवई के केंद्र के फैसले को कायम रखने के आदेश से अलग फैसला सुनाया है। इसके साथ ही 6 साल से नोटबंदी को लेकर देश में खड़े किए जा रहे विवाद पर भी विराम लग गया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ कहा है, उसके 5 महत्वपूर्ण बिंदु हैं।

आरबीआई ऐक्ट के तहत नोटबंदी का फैसला जायज

आरबीआई ऐक्ट के तहत नोटबंदी का फैसला जायज

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट की धारा 26 में वर्णित शब्द 'कोई' को सीमित अर्थ नहीं दिया जा सकता है (यह याचिकाकर्ताओं की उस दलिल से संबंधित है कि एक मूल्यवर्ग की सभी श्रृंखलाओं की करेंसी को रद्द नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आरबीआई ऐक्ट की धारा 26 में "किसी" का उल्लेख है और "सभी" का नहीं।)

'केंद्र से प्रस्ताव आना गलत नहीं'

'केंद्र से प्रस्ताव आना गलत नहीं'

सर्वोच्च अदालत ने नोटबंदी को सही ठहराते हुए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु यह सामने रखा है कि सिर्फ इसलिए निर्णय निर्माण की प्रक्रिया गलत ने कही जा सकती, क्योंकि प्रस्ताव केंद्र की तरफ से आया था। आरोप इसी तरह के लगाए जा रहे थे कि केंद्र सरकार ने यह फैसला मनमानी तरीके से लिया है, जबकि इसमें मुख्य रूप से रिजर्व बैंक को आगे होना चाहिए। मतलब, केंद्र सरकार ने जो भी फैसला लिया, वह पूरी तरह से अपने अधिकार क्षेत्र के तहत लिया।

'इसके उद्देश्यों से उचित संबंध था'

'इसके उद्देश्यों से उचित संबंध था'

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक बहुत बड़ा आधार यह रहा है कि सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि हमने पाया है कि प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्यों के साथ (इस फैसले का) एक उचित संबंध था। इससे ऐसे सारे आरोप खारिज हो गए कि केंद्र सरकार ने इस फैसले में मनमर्जी की और उसका ना तो कोई निश्चित उद्धेश्य था और ना ही वह कभी हासिल किया जा सका। अदालत ने माना है कि सरकार ने जो कदम उठाया उसका उदेश्य तय था।

'प्रपॉर्शनैलिटी के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता'

'प्रपॉर्शनैलिटी के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता'

सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के पांच में से चार न्यायाधीशों ने कहा है कि नोटबंदी की प्रक्रिया को प्रपॉर्शनैलिटी के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। इस मोर्चे पर भी नोटबंदी के खिलाफ विरोध जताने वाले याचिकाकर्ताओं को बड़ा झटका है। क्योंकि, इस मामले में नोटबंदी की प्रक्रिया को लेकर प्रपॉर्शनैलिटी का सवाल (अनुरूपता) उनकी याचिकाओं का एक बड़ा आधार था।

'नोट बदलने के लिए 52 दिनों का समय अनुचित नहीं'

'नोट बदलने के लिए 52 दिनों का समय अनुचित नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक और महत्वपूर्ण बात कही है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि तब बंद किए गए 1,000 रुपए और 500 रुपए की करेंसी नोट बदलने के लिए सरकार ने जो 52 दिनों की समय निर्धारित की थी, वह अनुचित थी। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि करेंसी नोट बदलने के लिए दिया गया 52 दिनों का समय अनुचित नहीं कहा जा सकता।

इसे भी पढ़ें- SC ने नोटबंदी के फैसले को बताया सही, 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए मोदी सरकार को दी क्‍लीन चिटइसे भी पढ़ें- SC ने नोटबंदी के फैसले को बताया सही, 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए मोदी सरकार को दी क्‍लीन चिट

8 नवंबर, 2016 को लिया गया था नोटबंदी का फैसला

8 नवंबर, 2016 को लिया गया था नोटबंदी का फैसला

गौरतलब है कि 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। उसी दिन रात 12 बजे से देश में तब के प्रचलन में मौजूद 1,000 रुपए और 500 रुपए के करेंसी नोट बंद कर दिए गए थे। सरकार के इस फैसले से तब प्रचलन में मौजूद 10 लाख रुपए मूल्य के करेंसी नोट रातों-रात वापस ले लिए गए। आम लोगों को नोटों को नई करेंसी से बदलने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। हालांकि, इसकी वजह से लोगों को अत्यधिक कठिनाई भी हुई थी। लेकिन, आम भावना यही थी कि यह कदम कालाधन खत्म करने और भ्रष्टाचारियों पर प्रहार के लिए उठाया गया है। लेकिन, इस फैसले का विरोधी दलों ने अपनी पूरी ताकत से विरोध किया। लेकिन, सोमवार यानि 2 जनवरी, 2023 को जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली देश की सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र के फैसले को वैधानिक करार दिया है।


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SC verdict on Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर सुनाया बड़ा फैसला | वनइंडिया हिंदी *Legal

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English summary
The Supreme Court basically upheld the demonetisation decision on five grounds and dismissed 52 petitions
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