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Women's Day 2021: 'स्त्री क्या बस इतना ही वजूद है तेरा?
'महिला दिवस' के मौके पर पढ़ें ये खास कविता, जो आज के समाज में महिलाओं की स्थिति को बयां करती हैं।
- बातें होती रहती नारी उत्थान की ,
- तो कभी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के आंदोलन की
- नारी सशक्तिकरण के मुद्दें भी हैं,
- भाषणों की भी कोई कमी नहीं,
- आज यूं ही न जाने क्यों ,
- मन में कुछ ख्याल सा आया,
- और समाज के इस परंपरा पर
- कुछ टिप्पणी करने को जी में आया,
- जिसे निरंतर समाज में अनगिनत नामों से पुकारा गया
- कभी तो बहुत सराहा गया
- तो कभी दुत्कारा गया,
- वो, जो न जाने कितने रिश्तों को समेटे हुए है,
- कभी मां की तरह पूजी गई
- तो कभी अर्द्धांगिनी के रूप में सामने आई
- कभी बेटी बन घर की फुलवारी को चहकाया
- तो कभी बहन का फर्ज निभाते पाया
- भले ही उसको सबकी नजर लगी हो
- पर उसे सबकी नजर उतारते ही पाया
- चुपचाप सुनती कभी
- तो कभी खुद को सुनाते पाया
- कभी आंखों में सूनापन था
- तो कभी अनगिनत सवालों को पाया
- खुद में सिमटती रहती कभी
- तो कभी रोते हुए,खुद से ही लिपटते पाया
- बिखेरती रोशनी है कभी
- तो कभी खुद में इसे बिखरते पाया
- न जाने कौन सी मिटटी की यह है काया
- खुद भी न समझी और न हमें समझ आया
- जो लफ्जों की मोहताज थी कभी
- तो कभी उसे गूंजों में पाया
- स्त्री ... क्या तेरी यही कहानी है,
- बंद किताबों के पन्नों में सिमटी,
- न हमने पढ़ा और न किसी ने सुनाया,
- क्या बस इतना ही वजूद, है तेरा?
- संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना कहलाने वाली
- कहते हैं कुछ लोग जिन्हें
- आलम यह है कि
- अभी आगाज भी नहीं हुआ अस्तित्व में आने का ,
- की तभी उसके अंजाम को हमने जन्नत में पाया।
Comments
English summary
Read Heart Touching Poem on International Womens Day 2021. its really Touching, here is full poem, please have a look. this poem is written By Soni R Medhi.
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