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Ramlala Statue: नेपाल की काली गंडकी नदी के शालिग्राम पत्थर की क्या है खासियत

नेपाल के काली गंडकी नदी में मिलने वाले शालिग्राम पत्थर असल में करोड़ों साल पुराने हैं। भगवान विष्णु के रूप में शालिग्राम पत्थरों की पूजा की जाती है, जिस कारण से इसे देवशिला भी कहा जाता है।

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Ramlala Statue specialty of Shaligram stone of Kali Gandaki river Nepal Devshila significance

Ramlala Statue: अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नेपाल की पवित्र नदी काली गंडकी से आ रही शिलाओं (पत्थर) से भगवान राम की बाल रूप मूर्ति का निर्माण किया जाएगा। यह कोई आम पत्थर नहीं बल्कि इनका ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। दरअसल, काली गंडकी नदी को नेपाल में सालिग्रामि या सालग्रामी और मैदानों में नारायणी और सप्तगण्डकी कहते हैं। हिन्दू ग्रंथों में उल्लेखित सदानीरा और नारायणी नदी भी यही है। यह नदी हिमालय से निकलकर दक्षिण-पश्चिम नेपाल में बहती हुई भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और पटना के पास गंगा नदी में मिल जाती है। इसी पवित्र नदी के गर्भ में जीवित शालिग्राम पाए जाते हैं। इस पत्थर को साक्षात विष्णु का स्वरूप माना गया है।

भगवान विष्णु का विग्रह रूप है 'शालिग्राम'

भगवान शिव का विग्रह या निराकार रूप शिवलिंग है। उसी तरह भगवान हरि विष्णु का विग्रह रूप शालिग्राम है। शिवपुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने खुद ही गंडकी नदी में अपना वास बताते हुए कहा है कि नदी में रहने वाले कीड़े अपने तीखे दांतों से काट-काटकर उस पाषाण में मेरे चक्र का चिह्न बनाएंगे और इसी कारण इस पत्थर को मेरा रूप मान कर उसकी पूजा की जाएगी। वैसे शालिग्राम, शिवलिंग से थोड़ा भिन्न होता है। जो मुख्य और दुर्लभ शालिग्राम होता है उस पर चक्र, गदा व अन्य प्राकृतिक निशान होते हैं। पूर्णरुप से काले और भूरे शालिग्राम के अलावा सफेद, नीले और ज्योतियुक्त शालिग्राम का पाया जाना थोड़ा दुर्लभ है।

नेपाल ने भारत और यूपी सरकार को लिखा खत

जब भगवान राम का भव्य मंदिर बनने की बात हुई तो पूरी दुनिया से मंदिर निर्माण के लिए चंदा आया। इसी दौरान नेपाल के तत्कालीन मंत्रिमंडल की ओर से यूपी सरकार को चिट्ठी लिख कर अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम मंदिर की मूर्ति के लिए शालिग्राम पत्थर मुहैया कराने की मंशा जताई थी। क्योंकि एक तरह से नेपाल (मिथिला, जनकपुर) भगवान राम का ससुराल और माता सीता का मायका है। भारत सरकार और राममंदिर ट्रस्ट की तरफ से हरी झंडी मिलते ही राम मंदिर ट्र्स्ट के पदाधिकारी, विश्व हिन्दू परिषद नेपाल के साथ समन्वय करते हुए यह तय किया गया कि मंदिर में लगने वाली मूर्ति का पत्थर वहीं से मंगवाया जायेगा।

जुलूस के साथ अयोध्या भेजेंगे शिलाएं

जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास के उत्तराधिकारी राम रोशन दास ने काठमांडू से प्रकाशित एक राष्ट्रीय अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि कालीगण्डकी की देवशिला को जनकपुरधाम ले जाने के बाद, हम इसे जुलूस के साथ अयोध्या भेजेंगे। उनके मुताबिक अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जानकी मंदिर के महंत से कालीगण्डकी की शिला उपलब्ध कराने के कार्य में समन्वय का अनुरोध किया था। दरअसल करीब सात महीने पहले नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री बिमलेन्द्र निधि ने राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था। सांसद निधि ने ट्रस्ट के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अयोध्याधाम में जब भगवान श्रीराम का इतना भव्य मन्दिर का निर्माण हो ही रहा है तो जनकपुर के तरफ से और नेपाल के तरफ से इसमें कुछ ना कुछ योगदान होना ही चाहिए।

तभी 15 दिसम्बर को नेपाली कैबिनेट की बैठक में कालीगण्डकी नदी की शिला भेजने का फैसला किया। उसके बाद निवर्तमान प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा ने गण्डकी प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण चंद्र नेपाली से शिला प्राप्ति की आवश्यक व्यवस्था के लिए अनुरोध किया। तब नेपाल और भारत के विशेषज्ञों की एक टीम को कालीगण्डकी में दो चट्टानें मिलीं। अयोध्या ले जाने वाली शिला का 15 जनवरी अर्थात मकर संक्रान्ति को पूजन किया गया, जिसमें नेपाली कांग्रेस नेता व सांसद बिमलेंद्र निधि, गण्डकी प्रदेश प्रमुख (राज्यपाल) पृथ्वीमान गुरुंग, निवर्तमान मुख्यमंत्री नेपाली व अन्य महत्वपूर्ण लोग शामिल हुए।

कब तक बनकर तैयार हो जाएगा राम मंदिर?

अयोध्या में बन रहे भगवान राम का मंदिर का प्रथम तल अक्टूबर 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा और जनवरी 2024 माह में रामलला अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। यह बात खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक भाषण के दौरान कही थी। वैसे राम मंदिर का निर्माण मार्च 2020 से चल रहा है। राम मंदिर 70 एकड़ जमीन पर बन रहा है, जिसकी लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट में कहा गया है कि मंदिर में पांच मंडप और बीच में एक गर्भगृह होगा। गर्भगृह भूतल पर होगा, जबकि प्रथम तल पर राम दरबार का निर्माण किया जा रहा है। द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर और परिसर के निर्माण के लिए लगभग 20 अरब रुपये खर्च होने का अनुमान है। वहीं अकेले मंदिर के निर्माण में साढ़े पांच अरब रुपये खर्च होंगे। इससे कहीं अधिक राशि जन सहयोग से पहले ही एकत्र हो चुकी है।

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English summary
Ramlala Statue specialty of Shaligram stone of Kali Gandaki river Nepal Devshila significance
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