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चीयरलीडर्स के गोरे बदन की 'काली' हकीकत...

By Mayank
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बेंगलोर। कहते हैं जब से क्रिकेट में ग्लैमर का तड़का लगा, उसकी लोकप्र‍ियता में दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की शुरु हो गई। आज दौर है दौलत, शोहरत और चीयर्स का। मंडे हो या संडे, आईपीएल हो या वनडे, आज क्रिकेट आधुन‍िकता की उस चाश्नी में भीग चुका है, जिसका स्वाद मीठा ही नहीं, बल्क‍ि करारा भी है। आज बात करते हैं चीयरलीडर्स की। जी हां, वही चीयरलीडर्स जो सुनहरे बदन को लहरा कर क्रिकेटप्रेम‍ियों को ठहरा देती हैें।

चीयरलीड‍िंग कहां, कब और कैसे शुरु हुई। क्या है इस ग्लैमर अवतार के शुरु होने की वजहें। क्यों बढ़ता गया चीयरलीड‍िंग का चलन। इन्हीं सुनहरी सच्चाइयों को जानने के लिए घुमाएं स्लाइडर का पह‍िया और जानें ऐसी हकीकत, जिसे सुनकर आप 'चीयर्स' किए बिना नहीं रह पाएंगे -

यहां सबसे पहले आईं चीयरलीडर्स

यहां सबसे पहले आईं चीयरलीडर्स

चीयरलीडर्स के नाम से तो अब हर कोई परिचित है। क्रिकेट में मात्र ट्वेंटी-ट्वेंटी के खेलों मे ही चीयरलीडर्स का प्रयोग होता है। इसकी शुरूआत दक्षिण अफ्रीका से हुई थी। दुनिया में चीयरलीडर्स द्वारा किसी टीम का उत्साह बढ़ाने का इतिहास करीब 110 वर्ष पुराना है। दक्षिण अफ्रीका में आयोजित पहले ट्वेंटी ट्वेंटी विश्वकप के दौरान चीयरलीडर्स का प्रयोग शुरू हुआ था।

विवादों की लीडर्स-चीयरलीड‍र्स

विवादों की लीडर्स-चीयरलीड‍र्स

टी-ट्वेंटी क्रिकेट में चीयरलीडर्स की शुरुआत के बाद बहुत विवाद हुआ था लेकिन अब ये क्रिकेट का अहम और जायकेदार हिस्सा बनती जा रही हैं। अब तो दर्शकों का बड़ा वर्ग मैच नहीं, बस इन्हें ही देखने जाता है।

खेल की 'सुंदर‍ियां'

खेल की 'सुंदर‍ियां'

बंगलोर में जब विजय माल्या की वेरसिटी चीयरलीडर्स ग्रुप की सुंदरियों ने सड़क पर परेड की तो लोग उन्हें देखने को मचल उठे। आईपीएल 2008 में माल्या ने अमेरिका व्हाइटचीफ ग्रुप की चीयरलीडर्स को मैचों के दौरान मनोरंजन के लिए बुलाया।

दिल्ली ने दिखाई थी दिलेरी

दिल्ली ने दिखाई थी दिलेरी

आईपीएल के पहले सत्र मे चीयरलीडर्स की भाव-भंगिमाओं पर खासा बवाल मचा था. दिल्ली डेयरडेविल्स ने बीच सत्र में अपनी चीयरलीडर्स को वापस भेज दिया था.

...यहां तक पहुंच गई थी बात

...यहां तक पहुंच गई थी बात

एक विदेशी चीयरलीडर ने आरोप लगाया था कि भारतीय दर्शक बहुत फब्तियां कसते हैं। दो अश्वेत चीयरलीडर्स ने अपने फ्रेंचाइजी पर ही आरोप लगाया कि उन्हें सिर्फ इसलिए मौका नहीं मिला क्योंकि वो अश्वेत हैं। इसके अलावा, नैतिकता के झंडाबरदार सड़क पर भी उतर आए थे।

हर खेल में होगी चीयरलीड‍िंग

हर खेल में होगी चीयरलीड‍िंग

अब देश में क्रिकेट की ही तरह अन्य भारतीय खेलों में भी चीयरलीडर्स का प्रयोग किया जा रहा है। आज 97 फीसदी चीयरलीडर्स महिलाएँ ही होती हैं। आज बास्केटबाल, आइसहॉकी, रग्बी, अमरीकन फुटबॉल और अब ट्वेंटी ट्वेंटी क्रिकेट में चीयरलीडर्स का प्रयोग होता है।

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English summary
Now Cheer leading girls are going popular day by day and this is the fact that the most of the credit of popularity goes to them only.
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