Delhi Weather: फाल्गुन के महीने में जेठ वाली गर्मी, पारा पहुंचा 35 पार, 9 सालों में सबसे गर्म रहा 11 मार्च
नई दिल्ली। फाल्गुन के महीने में दिल्लीवासियों को जेठ की गर्मी का एहसास हो रहा है, 11 मार्च को राजधानी का पारा 35 डिग्री के पार पहुंच गया, जो कि 9 सालों में सबसे ज्यादा था। आपको बता दें कि कल दिल्ली का तापमान 35.2 डिग्री था। मौसम की इस रवैये से लोग अभी से ही काफी चिंतित हैं, हालंकि शुक्रवार की सुबह उनके लिए राहत की खबर लेकर आई क्योंकि आज सुबह राजधानी और उसके आस-पास के इलाकों में बारिश हुई है, जिससे मौसम सुहाना हुआ है। बरसात के कारण तापमान में गिरावट हुई है और अगले 24 घंटों के दौरान भी यहां बारिश की आशंका बनी हुई है।
मार्च में अधिकतम तापमान 38 डिग्री
लेकिन आईएमडी ने पहले ही सचेत कर रखा है कि इस बार गर्मी का रौद्र रूप देखने को मिलेगा और पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ने वाली है। जहां तक दिल्ली की बात है तो राजधानी का ताप इस बार ज्यादा ही रहने वाला है। दिल्ली में मार्च में अधिकतम तापमान 38 डिग्री तक पहुंच सकता है।
एयरक्वालिटी काफी खराब
तो वहीं प्रदूषण के भी बढ़ने के आसार हैं, आज भी सुबह दिल्ली की एयरक्वालिटी काफी खराब रही है। सिस्टम ऑफ एयर क्वलिटी एंड वेदर यानी 'सफर' के मुताबिक आज दिल्ली में AQI 280 रहा, जो कि काफी खराब श्रेणी में आता है। अनुमान के मुताबिक 14 मार्च से हवा की क्वालिटी सुधरेगी।
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फाल्गुन माह 28 फरवरी से 28 मार्च तक रहेगा
इस वक्त फाल्गुन मास चल रहा है, आम तौर पर इस वक्त मौसम काफी सुहाना माना जाता है लेकिन इस बार दिल्ली में जिस तरह से मौसम का रवैया है, उससे तो लोगों को अभी से ही जेठ माह याद आने लगा है। मालूम हो कि फाल्गुन माह 28 फरवरी से 28 मार्च तक रहेगा, जबकि जेठ का महीना 27 मई से 24 जून तक रहेगा।
प्रशांत क्षेत्र के ऊपर मध्यम 'ला नीना' की स्थिति
गौरतलब है कि आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में पहले ही कह रखा है कि इस बार मार्च में ही भीषण गर्मी पड़ने के आसार हैं। मौसम विभाग ने कहा कि विषुवतीय प्रशांत क्षेत्र के ऊपर मध्यम 'ला नीना' की स्थिति बनी हुई है, जिसकी वजह से इस बार गर्मी जोरों की पड़ने वाली है।
क्यों बढ़ रही है गर्मी?
अक्सर कहा जाता है कि गर्मी के बढ़ने की वजह 'ग्लोबल वार्मिंग' है लेकिन बीबीसी की खबर के मुताबिक केवल यही एक कारण नहीं है तापमान के बढ़ने का। दरअसल इसके पीछे 'शहरीकरण' का भी बहुत बड़ा हाथ है। इमारतों के निर्माण के चक्कर में पेड़ की कटाई इसकी बहुत बड़ी वजह है। यहां तक कि जमीनों का बदलता उपयोग भी तापमान वृद्दि का कारण है। पेड़ काटकर शहर बसाने के चक्कर में हरियाली क्षेत्र कम हो रहे हैं, जिसके कारण अब गर्मी पहले से ज्यादा पड़ने लगी है।
'अर्बन हीट आइलैंड' और 'हीट आइलैंड'
रिपोर्ट में पेड़ों को काटकर बनाए गए शहरों को 'अर्बन हीट आइलैंड' और 'हीट आइलैंड' नाम दिया गया है। जहां जनसंख्या ज्यादा है वो शहर 'हीट आइलैंड' बन जाता है और जहां जनसंख्या कम और हवा की गति कम होती है वो शहर 'अर्बन हीट आइलैंड' कहलाता है।
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