जानिए कौन है चेंदरू,जो खेलता था बाघ के साथ, जिसे दुनिया कहती थी THE TIGER BOY
रायपुर/ जगदलपुर, 29 सितंबर। आप सभी द जंगल बुक के मोगली को जरूर जानते होंगे। मोंगली जंगल में पला बढ़ा और जानवरो से उसकी दोस्ती थी,लेकिन शेर उसकी जान का प्यासा था। इसी तरह एक मोंगली छत्तीसगढ़ में भी था,जो थोड़ा जुदा था। उसकी दोस्ती जानवरों से तो थी ही लेकिन उसका बेस्ट फ्रेंड शेर यानी बाघ ही था। आइये आपको बस्तर छत्तीसगढ़ के टाइगर बॉय चेंदरू के बारे में बताते हैं, जिसकी याद में छत्तीसगढ़ के पर्यटन विभाग ने स्मृति चिन्ह बनाया है।
दुनियाभर में मशहूर है बस्तर के चेंदरू और टेम्बू
दुनियाभर के आदिवासी इलाकों में वीर गाथाये आज भी प्रचलित हैं। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगल में आदिवासियों के बहुत सी जनजाति के लोग आज भी निवास करते हैं, जो अपनी वीरता के किस्सों को सहेजकर रखना जानते हैं। इन आदिवासियों के बीच पला बढ़ा चेंदरू पूरी दुनिया में 'द टाइगर बॉय चेंदरू' के नाम से जाना जाता है। चेंदरू की मृत्यु वर्ष 2013 में 78 साल की आयु में हो गई, लेकिन बाघ और चेंदरू की मित्रता की कहानी आज भी दुनियाभर में मशहूर है।
टाइगर बॉय पर बनी फिल्म ने जीता था ऑस्कर
दरअसल वर्ष 1957 में चेंदरू पर हॉलीवुड फिल्म बनाई गई थी। उस समय चेंदरू की उम्र केवल 10 वर्ष की थी। फिल्म में दिखाया गया था कि एक छोटा सा आदिवासी बच्चा चेंदरू और टाइगर कैसे दोस्त की तरह साथ रहते हैं। इस फिल्म का नाम 'द जंगल सागा' है,जिसे सुप्रसिद्ध मशहूर स्वीडन फिल्मकार अरेन सक्सडॉर्फ ने बनाया था। यह फिल्म लोगों को इतनी पसंद आई है कि इसकी सफलता को देखते हुए इसे ऑस्कर पुरस्कार भी मिला। करीब 75 मिनट की फिल्म 'द जंगल सागा' को पूरी दुनिया ने देखा और चेंदरू के फैन हो गए।
एक तस्वीर के लिए दुनियभर से बस्तर पहुंचते थे लोग
आज लोग चेंदरू को द जंगल बुक के मशहूर किरदार मोंगली से प्रेरित होकर उसे छत्तीसगढ़ का मोगली कहते हैं। लेकिन यह सच है कि शेर से दोस्ती रखने वाले 10 साल के बच्चे का होना वाकई में किसी अचम्भे से कम नहीं था। बताया जाता है कि चेंदरू जब बड़ा हुआ,तब भी वह बाघों से दोस्ती रखता था। चेंदरू मंडावी का ज्यादातर वक़्त शेरो के साथ ही बितता था। चेंदरू और उसका टाइगर दोस्त साथ घूमते , खाना खाते थे और साथ ही खेलते थे। 80 के दशक में चेंदरू इतना फेमस हो गया था कि फ्रांस, स्वीडन, ब्रिटेन समेत कई देशों के लोग चेंदरू मंडावी की तस्वीर लेने के लिए बस्तर पहुंचते थे।
टोकरी में घर आया था टाइगर दोस्त
चेंदरू मंडावी घने जंगलों से भरे पड़े बस्तर के नारायणपुर जिले के गढ़बेंगाल गांव में रहने वाले आदिवासी परिवार का सदस्य था। टाइगर बॉय के पिता और दादा शिकारी थे। वह एक दिन जंगल से बांस की टोकरी में रखकर शेर का बच्चा लाये। छोटे से शेर के बच्चे को देखकर चेंदरू खुश हो गया और उसने उसे अपने भाई की तरह हमेशा साथ रखा। चेंदरू और शेर की दोस्ती गाढ़ी होती गई। उसने अपने शेर का नाम टेम्बू रखा ,जिसके साथ वह हमेशा रहता था।
नेहरू जी ने कहा था,बेटा पढाई करो
चेंदरू पर फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर अरेन सक्सडॉर्फ चाहते थे कि चेंदरू उस स्थान को भी देखे ,जहां से वह आए हैं। वह चेंदरू को अपने साथ स्वीडन ले गए,जहां वह करीब एक साल तक रहा,जिसके बाद वापस भारत लौट आया। वापस लौटने के बाद चेंदरू मंडावी मुंबई पहुंचे,जहां उनकी मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से भी हुई। प्रधानमंत्री ने बालक चेंदरू को पढाई करने कहा,लेकिन पिता के बुलावे पर वह वापस अपने गांव लौट गए।
टाइगर की मौत के बाद लगा था सदमा,78 वर्ष की उम्र में हुई थी मौत
चेंदरू मंडावी जब वापस अपने घर लौटे ,तो कुछ दिनों बाद उनके टाइगर दोस्त टैम्बू की मौत हो गई। अपने भाई जैसे टाइगर दोस्त के जाने के बाद चेंदरू उदास रहने लगा,वह बीमार भी रहने लगा,फिर आहिस्ता-आहिस्ता गुमनाम हो गया। गुमनामी का जीवन जीते हुए चेंदरू मंडावी की 2013 में 78 साल की आयु में मृत्यु हो गई।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित जंगल सफारी में टेम्बू और चेंदरू की याद में उनकी मूर्ति स्थापित की गई है,वहीं नारायणपुर में चेंदरू के नाम पर पार्क भी बनाया है। भले ही चेंदरू आज नहीं हैं,लेकिन उनकी याद में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने एक स्मृति चिन्ह भी बनाया है।
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