Chhattisgarh: कमाल कर रहा है मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, 3 साल में कुपोषण के चंगुल से निकले 2 लाख बच्चे
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की तरफ से चलाये जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।
रायपुर, 04 अगस्त। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की तरफ से चलाये जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। कुपोषण मुक्ति का संकल्प लेकर शुरू किये गए इस अभियान ने महज तीन सालों में बड़ी सफलता अर्जित की है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते तीन सालों मेे छत्तीसगढ़ के लगभग दो लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण के चक्र से मुक्त हो चुके हैं । जबकि साल 2019 में इस अभियान के शुरू होते समय कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार थी।
केवल 3 साल में कुपोषण के खिलाफ मिली बड़ी सफलता
छत्तीसगढ़ में बीते तीन सालों में कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसके साथ ही योजना के माध्यम से नियमित गरम भोजन और पौष्टिक आहार मिलने से राज्य की लगभग 85 हजार महिलाएं भी एनीमिया मुक्त हो चुकी हैं। गौरतलब है कि साल 2015-16 में जारी राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 फीसदी बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। साल 2018 में आंकड़ा बढ़कर 40 प्रतिशत पहुंच गया था।
छत्तीसगढ़ में कुपोषण दर राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम
इस तरह साल 2016 से 2018 के बीच कुपोषण कम होने की जगह 2.3 फीसदी बढ़ गया। कुपोषित बच्चों में ज्यादातर आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत 2 अक्टूबर 2019 से की थी । छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से चलाये जा रहे सुपोषण अभियान के कारण प्रदेश में कुपोषण की दर में लगातार कमी देखी जा रही है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के 2020-21 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 5 वर्ष तक बच्चों के वजन के आंकड़े देखे जाएं, तो ज्ञात होता है कि कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत पहुंच गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ में कुपोषण दर राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम है।
कुपोषण के खिलाफ जंग में वजन त्यौहार बना सहायक
साल 2019 में छत्तीसगढ़ में कुपोषण 23.37 फीसदी था, जो साल 2021 में घटकर मात्र 19.86 फीसदी रह गया है। इस प्रकार कुपोषण की दर में दो सालों में 3.51 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड की गई है, जो कुपोषण के विरूद्ध शुरू की गई जंग में एक बड़ी जीत है। जुलाई 2021 में आयोजित वजन त्यौहार में करीब 22 लाख बच्चों का वजन किया गया था। इस दौरान वैज्ञानिक तरीके से कुपोषण के स्तर का आंकलन किया गया। सरकार इस अनुभव से उत्साहित होकर तरह साल 2022 में भी एक अगस्त से 13 अगस्त तक छत्तीसगढ़ में वजन त्यौहार मना रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे आने वाले समय में कुपोषण की दर में और कमी देखने को मिलेगी।
पोषक आहार बना दैनिक आहार
गौरतलब है कि 2018 में चुनाव जीतने के बाद भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में प्राथमिकता के आधार पर कुपोषण मुक्ति के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण योजना प्रदेशव्यापी अभियान शुरू किया था। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुपोषण को प्राथमिकता क्रम में रखते हुए इसके लिए छत्तीसगढ़ में डीएमएफ, सीएसआर और बाकी मदों की राशि का उपयोग किये जाने की अनुमति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी है। इसके अलावा जनसहयोग भी लिया गया है। योजना के माध्यम से कुपोषित महिलाओं, गर्भवती और शिशुवती माताओं के साथ बच्चों को गरम भोजन मुहैया कराया जा रहा है।
भोजन के प्रति जागी रूचि, कुपोषण हुआ छूमंतर
राशन में आयरन और विटामिन युक्त फोर्टीफाइड चावल और गुड़ देकर लोगों के रोजाना के आहार में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को दूर करने की कोशिश की जा रही हैं । इसके साथ ही गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक रेडी टू ईट और स्थानीय उपलब्धता के आधार पर पौष्टिक आहार देने की भी व्यवस्था की गई है। महिलाओं और बच्चों को फल, सब्जियों समेत सोया और मूंगफली की चिक्की, पौष्टिक लड्डू, अण्डा और मिलेट्स के बिस्कुट और स्वादिष्ठ पौष्टिक आहार के रूप में दिया जा जा रहा है। इससे बच्चों में भोजन के प्रति रूचि जागने से कुपोषण में कमी दर्ज की जा रही है।