Swiggy के कर्मचारियों पर गिरी गाज, डिमांड में 60% गिरावट के बाद 1000 लोगों की छंटनी करेगी कंपनी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के कई देश इस समय लॉकडाउन से जूझने को मजबूर हैं। देशबंदी ने अर्थव्यवस्था और उद्योगों पर बहुत बुरा असर डाला है जिसके चलते भारत में कई लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। लॉकडाउन से ऑनलाइन फूड सर्विस में की डिमांड में भारी गिरावट दर्ज की गई है जिसके चलते कई कंपनियों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। घाटे के चलते स्विगी जैसी कंपनियों ने कर्मचारियों की छटनी करने का मन बना लिया है।
स्विगी के डिमांड में आई 60 फीसदी की गिरावट
कोरोना वायरस संकट के बीच ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी 1000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। कंपनी अपने निजी ब्रांड की रसोई टीम के एक हिस्से को बंद करने के साथ-साथ अपने कुछ केंद्रों में परिचालन बंद करने की योजना बना रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉकडाउन के चलते स्विगी के डिमांड में 60 फीसदी की गिरावट आई है जिसके चलते कंपनी यह फैसला लेने को मजबूर हुई है।
कितने कर्मचारियों की होगी छंटनी?
ऐसा भी कहा जा रहा है कि स्विगी ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है लेकिन कितने कर्मचारियों को निकाला जाएगा उस संख्या का खुलासा अभी नहीं किया गया है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कंपनी किराए को कम करने के लिए अपने क्लाउड किचन के आधे हिस्से को बंद कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्विगी अगले महीने कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है।
स्विगी के प्रवक्ता ने दी ये जानकारी
स्विगी के प्रवक्ता ने कहा कि जैसा कि लॉकडाउन आगे बढ़ाया जाता है तो हम हम फुर्तीला बने रहने के लिए विभिन्न साधनों का मूल्यांकन करेंगे और अपनी रसोई में विकास और लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। दुर्भाग्य से एक निश्चित संख्या में रसोई कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ेगा जो इस संक्रमण के दौरान पूरी तरह से समर्थित थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी अगले 20-24 महीनों के लिए नकदी का संरक्षण करना चाहती है।
बड़ा संकट आने की संभावना
स्विगी की तरफ से कर्मचारियों की छटनी की खबर ऐसे समय आई है जब नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने कोरोना वायरस के चलते बड़े नुकसान की आशंका जताई है। एनआरएआई के मुताबिक जोमैटो-स्विग्गी जैसे डिलीवरी चेन का कारोबार घटकर 90 फीसदी पर आ गया है। एनआरएआई ने ऐसा भी अनुमान लगाया है कि आने वाले समय में कंपनी के 5 लाख सदस्यों को 80 हजार करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
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