बैंकों की हड़ताल का आज दूसरा दिन, संगठनों ने दी किसानों जैसे बड़े आंदोलन की चेतावनी
नई दिल्ली। देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ सरकारी बैंक कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा है। नौ यूनियनों की अगुवाई में सोमवार से शुरू हुआ हड़ताल आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया है। कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से सोमवार से ही बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हैं, केंद्र की नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण देश के कुछ हिस्सों में ग्राहकों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच हड़ताल की अगुवाई कर रहे यूनियनों चेतावनी दी है कि सरकार उनकी बात नहीं मानती तो वह भी किसान आंदोलन की तरह बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन की इस हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। इस स्ट्राइक का आह्वान 15-16 मार्च को नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया था। इस हड़ताल की नौ बैंकों (एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ) की यूनियनें कर रही है। पिछले दो दिनों से जारी विरोध प्रदर्शन की वजह से बैंक ग्राहकों को नकदी निकासी, जमा, चेक क्लियरेंस सहित कई अन्य सुविधाओं के आभाव का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा राजकोष से संबंधित सरकारी लेनदेन के साथ-साथ व्यापारिक लेनदेन भी प्रभावित हुए हैं।
बता दें कि बैंक कर्मचारियों की ये राष्ट्रव्यापी हड़ताल दो और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की नीति के खिलाफ है। बैंको के निजीकरण का ऐलान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2021-22 के भाषण में किया था। मालूम हो कि सरकार ने 2019 में एलआईसी में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी बेचकर आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर दिया है और पिछले चार वर्षों में 14 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय किया है। एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने अपने एक बयान में कहा, आह्वान के अनुसार कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में शामिल हुए। अभी तक विरोध प्रदर्शन सफल रहा है। हड़ताल के कारण सामान्य बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं हैं।
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