Makar Sankranti पर बढ़ी भूरा की डिमांड, विदेशों में भी होती है सप्लाई, जानिए कैसे बनाया जाता है भूरा ?
Makar Sankranti का लोग बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ जश्न मना रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको बिहार के भूरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी डिमांड बढ़ती जा रही है, विदेशों में भी सप्लाई हो रही है।
Makar Sankranti 2023: पूरे देश में मकर संक्रांति की धूम दिख रही है, पर्व में दही, चूड़ा और तिलकुट के साथ ही लोग भूरा का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि बिहार के जिस भूरा की सप्लाई विदेशों में होती उसका ज्यादातर उत्पादन नालंदा जिले में होता है। मकर संक्रांति के मौके पर नालंदा में भूरा की डिमांड भी बढ़ गई है। हर रोज़ करीब 7 क्विंटल भूरे का उत्पादन किया जा रहा है। बिहार शरीफ के मथुरिया मोहल्ले में भूरा बनाने के दर्जनों कारखाने मौजूद हैं। वहीं काफी तादाद में दुकानें भी हैं जहां बड़े पैमाने पर भूरे का कारोबाह हो रहा है।
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बाजारों में बढ़ रही भूरा की डिमांड
मथुरिया मोहल्ले में नज़र दौड़ाएंगे तो आपको दिखेगा कि भूरा बनाने के काम में कारीगर घंटों लगे रहते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है यही है कि मकर संक्रांति के अलावा अन्य दिनों में भी लोग शौक से भूरे का इस्तेमाल करते हैं। मकर संक्रांति के मौक़े पर इसकी डिमांड बढ़ने की वजह से अन्य दिनों को मुकाबले बड़े पैमाने पर भूरा तैयार किया जा रहा है। कारीगर ने बताया कि 20 किलो भूरा बनाने में लगभग 15 किलो गुड़ की ज़रूरत पड़ती है। भूरा बनाने के लिए सबसे पहले गुड़ को छोटे-छोटे टुकड़े में तोड़ा जाता है। इसके बाद कड़ाहे में गुड़ के टुकड़ों को आधे घंटे घंटे तक खौलाकर चाशनी बनाई जाती है।
कई प्रदेशों में होती है भूरे की सप्लाई
गुड़ के टुकड़े की चाशनी बनने के बाद इसमें थोड़ा सोडा डालकर भुर भूरा बनाया जाता है। इसके बाद अलग-अलग फ्लेवर मिलाया जाता है। इस सारी प्रक्रिया के पूरा होने के बाद भुरभुरे चाशनी को प्लेन चादर पर डालकर बारीक पाऊडर बनाया जाता है। भूरा को तैयार करने के बाद बाज़ार में थोक और खुदरा विक्रेता को सप्लाई किया जाता है। इसे साथ ही बिहार के कई जिलों के अलावा विभिन्न प्रदेशों में भी सप्लाई की जाती है। झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और उड़ीसा में बड़े पैमाने पर भूरा की डिमांड है। वहीं विदेशों में भी भुरा की सप्लाई बड़े पैमाने पर की जा रही है।
पूर्वजों से चला आ रहा भूरे का कारोबार
कारीगर ने बताया कि पर्व के मौके पर खुदरा में 100 रुपये प्रति किलो तक भूरे की बिक्री होती है। इलायची वाला भूरा थोक में 60 रुपए किलो और सोफ वाला भूरा 55 रुपये और इसके साथ ही साधारण भूरा 45 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। भूरा कारोबारी विपीन कुमार ने बताया कि पिठले 40 सालों से वह इस कारोबार से जुडे हुए हैं। पहले उनके चाचा भूरा का कारोबार करते थे, अब विपीन और उनके पिता भूरा बनाने का कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तीन तरह के भूरे बन रहे हैं। हालांकि अब नए कारीगर नहीं मिल रहे हैं, जो पुराने कारीगर हैं, वही इस कारोबार में लगे हुए हैं।
इलायची,सौंफ और साधारण भूरा का उत्पादन
इलायची,सौंफ और साधारण भूरा के लिए मध्य प्रदेश से मगही गुड़ मंगाया जाता है। मकर संक्रांति की वजह से काफी लोग भूरा खरीदने आ रहे हैं। विपीन ने कहा कि भूरा को सुगर पेशेंट भी खा सकते हैं। भूरा के कई फायदे हैं, जैसे की भूरा के सेवन से ख़ून साफ़ होता है, गला साफ़ रहता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बाजारों में पर्व की रौनक दिख रही है। तिलकुट के साथ-साथ लोगों को भूरा भी खूब भा रहा है। बिहार में सबसे उच्च क्वालिटि का भूरा नालंदा जिले में ही मिलता है।
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