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जो भी करते हैं, उसका लुत्फ उठाइए

By Staff
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Working girl
जीवन हमारे सामने ज्यादा से ज्यादा काम कम समय में उसी दक्षता के साथ करने की चुनौती पेश करता है। इसमें अत्यंत सुव्यवस्थित होना भी शामिल है। ज्यादातर लोग 'टू डू सिस्टम' का प्रयोग करते हैं जो कि जहां तक वे करें, वहां तक के लिए ठीक है। मेरा व्यक्तिगत तरीका है कि जो काम मुझे करने हैं, उन्हें मैं डायरी में नोट कर लेता हूं। जैसे-जैसे चीजे आती हैं, मैं उन्हें नोट करता रहता हूं। यह एक प्रकार की सूची है जिसमें वे चीजें शामिल हैं जिनको पूरा करना है।

सबसे अच्छा तरीका है उन कदमों को शामिल करना जिन्हें उठाने की आवश्यकता है। यह आपको यह सुनिश्चित करने में मददगार होगी कि आपको चीजें कैसे करनी हैं। साधारणत: लोग आसान चीजों को पहले करना चाहते हैं। इस परिणाम यह होता है कि प्रमुख बातों से आपका ध्यान भटक जाता है। 'एक्शन प्रोग्राम' हमारी गतिविधियों एवं 'टू डू लिस्ट' का ढांचा है।

निश्चित रूप से आपके 'टू डू लिस्ट' में अल्प, मध्यम एवं लंबी अवधि के लक्ष्य शामिल होने चाहिए। यह आपके समय के सही निर्धारण के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करेगा कि आपके सारे काम सही समय पर निष्पादित किए जा सके।

एक प्रभावशाली 'टू डू लिस्ट' बनाने के लिए उन तमाम चीजों को सूचीबद्ध कीजिए जो आपको करने हैं। कई ऐसी चीजें हैं जैसे कि फोन कॉल का जवाब देना या जवाबी ई-मेल भेजना जो कि हमारा काफी समय तो लेते ही हैं, महत्वपूर्ण कार्यो को करने के क्रम को भी बाधित करते हैं।

ऐसी गैर-महत्वपूर्ण चीजें हमारा ध्यान भटकाती हैं और समय की बर्बादी भी करती हैं। यदि हमें ज्यादा दक्ष होना है तो अपनी आवश्यक बातों पर ध्यान देने की कला सीखनी होगी। बाकी चीजें हम दूसरों से करवा सकते हैं। आपकी अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार जीना सीखना चाहिए न कि दूसरों के दबाव में जीना चाहिए।

आपको अपनी प्राथमिकताएं तय कर उन्हें पूरा करने की समय सीमा भी तय करनी चाहिए। यह भी सुनिश्चित कीजिए कि उन कार्यो को पूरा करने के लिए क्या करना होगा। उसको करें या फिर अपनी आवश्यकताओं एवं क्षमताओं के आधार पर उनमें बदलाव लाएं। हमें इस बात का पूर ध्यान रखना चाहिए कि हमारा समय छोटी-छोटी या बेकार की बातों में बर्बाद न हो।

एक बात हमें हमेशा अपने दिमाग में रखनी चाहिए कि दिनों को बर्बाद करने से पहले हम घंटों को बर्बाद करते हैं, हफ्तों से पहले दिनों, महीनों से पहले हफ्तों, सालों से पहले महीनों एवं जिंदगी बर्बाद करने से पहले हम सालों को बर्बाद करते हैं।

'टू डू लिस्ट' को हमेशा दिमाग में नचाकर अपने जीन में अनावश्यक तनाव न पैदा करें। इस लिस्ट को कागज पर उतार लें एवं हर दिन अंत में इस पर गौर करें कि जो करना था वह किया या नहीं और वह संतोषप्रद है या नहीं।

अपनी प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए आपको लगातार उसी हिसाब से काम करना चाहिए। ये चीजें दिमाग को खाली रखेंगी एवं भटकाव से बचाएंगी।

हमें इस बात के प्रति काफी सावधान रहना चाहिए कि हम कैसे जी रहे हैं, जिससे हर मौके पर अधिक से अधिक फायदा उठाया जा सके। हम जो भी करते हैं, उसके लिए एक तय कार्यक्रम होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका सीधा मतलब है कि अपने जीवन एवं कार्यो पर नियंत्रण एवं उन्हें सुव्यवस्थित करना है।

फोन ई-मेल एवं अन्य संपर्क साधनों के माध्यम से कई अनावश्यक चीजें आती हैं। इन बातों पर ध्यान देना चाहिए कि इनके लिए आपका काम करना आवश्यक है क्या? इनमें से ज्यादातर चीजों का हमारे जीवन या कार्य से कोई लेना-देना नहीं होता है।

ऐसे में इन चीजों को अपने जीवन से सीधे-सीधे खारिज कर देना चाहिए और इस पर एक मिनट भी जाया नहीं करना चाहिए। आप जो भी करते हैं, उसका लुत्फ उठाइए। इसे करने में आप जितना लुत्फ उठाइएगा, उतना ही आपका प्रतिफल उन्नत होगा। उन चीजों को जिनका आपसे या आपके लक्ष्य से कोई लेना-देना नहीं है, अपने जीवन से निकाल दीजिए या फिर उनका प्रभाव कम से कम दीजिए। आपका प्रयास होना चाहिए कि आपके जीवन में सकारात्मकता बढ़े एवं नकारात्मकता खत्म हो। हमें अपनी ताकत एवं अवसरों पर ध्यान देना चाहिए कि न कि अपनी कमजोरियों पर। आप जो भी करते हैं उसके सिद्धहस्त बनें। इस प्रकार आप अपने जीवन को महत्वपूर्ण बना सकते हैं।

हम सभी अलग-अलग समय पर अलग-अलग भावनाएं महसूस करते हैं। अमूमन नकारात्मकता की तरफ झुकाव होता है। इस नकारात्मकता से निजात पाने के लिए उन चीजों को खोजना जरूरी है जो आपके जीवन में निराशा के स्रोत बने हुए हैं।

इस निराशा को सर्वप्रथम अपनी सोच में खोजिए। उन डरों को चिह्न्ति कीजिए जो आपके जीवन का नाश कर रहे हैं। एक बार जब आप सोच के स्रोत को ढूंढ़ लेते हैं तो एक बात याद रखिएगा कि सोचों का बदलना लाजिमी है। ये बदलते रहते हैं, यदि आप ऐसा चाहें और करें। इसको बदलने का एक रास्ता है कि आप अपने आप से बात करें। अच्छी प्रेरणादायक सकारात्मक सोचवाली किताबें पढ़कर ऐसे ऑडियो टेप एवं वीडियो देखकर आप ऐसा कर सकते हैं।

कई लोग ऐसा करते हैं कि सकारात्मक सोच से कुछ नहीं होता है। लेकिन कुछ न सोचने, नकारात्मक सोचने से अच्छा है सकारात्मक सोचना। 'कर सकना' और 'नहीं कर सकना' के बीच महज दो अक्षरों का अंतर है। परंतु ये दो अक्षर हमारे जीवन को बदल सकते हैं। ये हम ही हैं जो निर्धारित करते हैं कि हमारे दिमाग में क्या चलता है। कम्प्यूटर की तरह ही हमारा दिमाग भी उसी सिद्धांत पर चलता है जहां प्रतिफल लागत के बराबर होता है।

हालांकि सकारात्मक सोच का अनुशरण सतत आशावान भावनाओं एवं रचनात्मक कार्यो द्वारा होना चाहिए। जब आप अपने आप से कहते हैं कि आप कर सकते हैं और जीत सकते हैं तो आप अपने आप को विश्वास एवं खुशियों से लबरेज कर देते हैं। अपने विचारों को नियंत्रित कर अपने जीवन को नियंत्रत करते हैं। आपके पास सकारात्मक एवं नकारात्मक विचारों में से किसी को चुनने का मौका है।

ध्यान रहे कि छोटी या यदा-कदा आने वाली नकारात्मक सोच आपके पूरे प्लान को बर्बाद कर सकती है। नकारात्मकता का एक अंश भी काफी गंभीर परिणाम ला सकता है। सकारात्मक एवं आशावान सोच आपकी किसी बीमारी का इलाज नहीं कर सकता है न ही चिकित्सा की जगह ले सकता है मगर हां, आपको विपरीत परिस्थितियों से जूझने में सहायक अवश्य होता है।

बुरा समय सबके साथ आता है। लेकिन ऐसे समय में अपने आपको फटकारना या दूसरों को दोषी ठहराने की आवश्यकता नहीं है। अलबत्ता इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या किया जाए। समस्या से भागना इसका कोई इलाज नहीं है, वरन आप जो भी करते हैं उसे अपना श्रेष्ठ देने का प्रयास करें। अपने आप को हमेशा याद दिलाते रहें कि जो भी करना है अच्छे से करना है। किसी भी विपरीत परिस्थिति में अत्याधिक प्रतिक्रिया न व्यक्त करें। हमारा जीवन लगातार सीखने का अनुभव है। कोई भी व्यक्ति दुनिया की तमाम जानकारी एवं कौशल के साथ पैदा नहीं होता है। इस जीवन काल के दौरान हम तमाम सारी चीजें सीखते हैं। एक बच्चा अपने माता-पिता के लिए जाता है। शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह नौकरी पाता है और फिर एक सीखने की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है।

अप्रिय एवं तिस्कृत भाव के साथ ढेर सारी समस्याएं जुड़ी होती हैं। एक अप्रिय मन: स्थिति हमारी क्षमताओं को सीमित करती है और हमें गर्त में धकेलती है। निम्नलिखित सुझाव आपको इस नकारात्मकता से निजात दिला सकते हैं। वैसे ही लोगों से दूरी बनाए रखें जो सुझाव के रूप में आपको निरूत्साहित करते हैं, आपको बताते हैं कि काम कैसे करना चाहिए या दूसरों से कैसा व्यवहार करना चाहिए। हमेशा प्रयास करें कि व्यवस्थित रहे एवं साफ सुथरे वातावरण में रहें एवं काम करें। अपने जीवन एवं कार्य को प्रगतिशील वातावरण में स्थापित करें। अन्य चीजों के अलावा यह आपको ज्यादा से ज्यादा प्राप्त करने में सहायता करता है। अपने आप को ऐसे चीजों में संलग्न करें जो आपको खुशी एवं संतोष प्रदान करें। दस ऐसी चीजों की सूची प्रतिदिन बनाये जो आपकी खुशी और उसको पूरा करे।

ऐसा करते रहने पर एक महीने बाद 300 एवं एक साल बाद 3600 ऐसी चीजों की सूची होगी जो आपको खुशी देती है। यदि इसमें कम काम को भी आप पूरा कर सके तो ढेर सारी खुशियां आपके हिस्से में आएंगी। एक बुरा रूप न केवल उसे नीचे की ओर से जाना है, बल्कि यह हमारा स्वयं एवं दूसरों से रिश्तों को भी प्रभावित करता है। अच्छा रुख हालांकि आसानी से नहीं आता है। इसके लिए आपको हमेशा प्रयास करना होगा।

(लेखक सीबीआई के पूर्व निदेशक हैं। डायमंड बुक्स प्रा.लि. से प्रकाशित उनकी पुस्तक सफलता का जादू से साभार)

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।जोगिन्दर सिंह

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