पंच पल्लव से होगी नवग्रह की शांति, टल जाएगा संकट
नई दिल्ली। कभी-कभी जीवन में अचानक ऐसे-ऐसे संकट आने लगते हैं जिनके बारे में मनुष्य को जरा भी आभास नहीं होता है। अचानक स्वयं को या परिवार में किसी को शारीरिक या आर्थिक कष्ट आने लगते हैं या अचानक कोई बड़ी धन हानि हो जाती है। दुर्घटना, वाद-विवाद या ऐसे ही कष्ट अचानक आने लग जाते हैं। यह सब ग्रहों की बदलती चाल और युतियों के कारण होता है। मनुष्य की जन्मकुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति से यदि वर्तमान गोचर की स्थिति एकदम उलट हो जाती है तो इस प्रकार की स्थितियां बनती हैं। ये स्थिति कई बार शुभ भी होती हैं। यदि अचानक आपके साथ ऐसी ही अशुभ घटनाएं होने लगें तो इसके लिए नवग्रह शांति के उपाय किए जाना चाहिए।
नवग्रह शांति के वैसे तो अनेक उपाय हैं, लेकिन वैदिक ज्योतिष में इसके लिए पंच पल्लव का उपाय सबसे उत्तम माना गया है। क्या है ये पंच पल्लव प्रयोग, आइए जानते हैं ...
पंच पल्लव
पंच पल्लव यानी पांच प्रकार के पेड़ों का पंचांग। पेड़ों के पंचांग का अर्थ है उसकी पांच वस्तुएं। फल, फूल, पत्ती, जड़ और तने की छाल। ये पांच वस्तुएं किसी भी पेड़ का पंचांग कहलाती हैं। ऐसी ही पांच-पांच वस्तुएं पांच विशिष्ट पेड़ों की ली जाती हैं। ये पांच पेड़ हैं कदंब, पीपल, आम, जामुन और गुलर। इन पांचों पेड़ों के पंचांग बराबर मात्रा में लेकर इन्हें सिल पत्थर पर अच्छे से पीसकर लेप बना लिया जाता है।
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मंत्र का 108 बार जाप करें
लगातार नौ दिनों तक प्रात: सूर्योदय के समय इस लेप को मस्तक, दोनों भुजाओं, वक्ष स्थल, नाभि के आसपास और दोनों जंघाओं पर लगाकर कुछ देर रहने दें फिर शीतल जल से स्नान कर लें। इसके बाद नवग्रह के मंत्र का 108 बार जाप करें-
ब्रह्मामुरारी
त्रिपुरांतकारी
भानु:
शशि
भूमिसुतो
बुधश्च
गुरुश्च
शुक्र:
शनि
राहु-केतव:
सर्वे
ग्रहा
शांति
करा
भवंतु
ये होते हैं लाभ
- पंच पल्लव प्रयोग से सभी ग्रहों की शांति हो जाती है। ग्रहों में संतुलन स्थापित हो जाता है। कोई ग्रह कमजोर या कोई अधिक बलशाली है तो वे सब एक समान बलदायक हो जाते हैं।
- जीवन में अचानक आ रही विपदाएं शांत हो जाती हैं।
- यह प्रयोग भाग्योदय करने में सहायक है। जिनका भाग्य रूठा हुआ है यदि वे नियम से यह प्रयोग कर लें तो फिर हर ओर तरक्की ही तरक्की।
- आर्थिक संकटों से छुटकारा पाने के लिए भी यह प्रयोग किया जाता है। इसके लिए पंच पल्लव स्नान करने के बाद श्री सूक्त के तीन पाठ किए जाते हैं।
- इस प्रयोग से शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिलता है। रक्त शुद्ध होता है और त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाते हैं।
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