इस जन्माष्टमी पर जानिए बांसुरी वाले के बारे में कुछ रोचक बातें...
नई दिल्ली। 14 अगस्त को बांसुरी वाले का जन्मदिन है, इस पर्व को लेकर देश के हर राज्य में अलग-अलग तरह की तैयारियां हो रही हैं। कान्हा जी के जन्मदिवस को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जाता है जिसके कारण ही माहौल भक्तिमय के साथ-साथ हंसी-ठिठौली और मस्ती वाला बन जाता है।
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आइए भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर जानते हैं उनके बारे में कुछ अनोखी बातें..
रोहिणी के पुत्र का नाम बलराम
- रोहिणी के पुत्र का नाम बलराम था जो कि शेषनाग के अवतार थे।
- बलराम का जन्म अष्टमी के दो दिन पहले अर्थात छठ के दिन मनाया जाता है, जिसे कि 'ललई छठ' के रूप में देश में मनाया जाता है।
- हर कोई जानता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सिर्फ राधा से ही प्रेम किया है लेकिन फिर भी महाभारत, पुराणों या भागवत कहीं भी राधा का जिक्र नहीं है।
- राधा बरसाना की रहने वाली थीं, ऐसा कहानियों में वर्णित है लेकिन नंदगोपाल की यह सखि उनकी हमजोली नहीं बल्कि उम्र में उनसे बड़ी थीं।
- भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम शारंग और अस्त्र का नाम सुदर्शन चक्र था।
- भगवान श्री कृष्ण की गदा का नाम कौमोदकी और शंख को पांचजन्य कहते थे।
महाभारत, पुराणों या भागवत में राधा का जिक्र नहीं
अस्त्र का नाम सुदर्शन चक्र
श्रीकृष्ण 'तृप्त'
श्री कृष्ण एक ऐतिहासिक पुरुष हुए हैं, इसका स्पष्ट प्रमाण हमें छान्दोग्य उपनिषद के एक उल्लेख में मिलता है। वहां (3.17.6) कहा गया है कि देवकी पुत्र श्रीकृष्ण को महर्षिदेव:कोटी आंगिरस ने निष्काम कर्म रूप यज्ञ उपासना की शिक्षा दी थी, जिसे ग्रहण कर श्रीकृष्ण 'तृप्त' अर्थात पूर्ण पुरुष हो गए थे।
यमुना, गंगा, सरस्वती
वृंदावन की कथाओं में कालिया नाग, गोवर्धन, रासलीला और महारास वाली कथाएं अधिक प्रसिद्ध हैं। श्रीकृष्ण ने यमुना को कालिया नाग से मुक्त-शुद्ध किया था। यमुना, गंगा, सरस्वती नदियों को क्रमशः कर्म, भक्ति और ज्ञान की प्रतीक माना गया है। ज्ञान अथवा भक्ति के अभाव मेंकर्म का परिणाम होता है, कर्ता में कर्तापन के अहंकार-विष का संचय। यह अहंकार ही कर्म-नद यमुना का कालिया नाग है। सर्वात्म रूप श्रीकृष्ण भाव का उदय इस अहंकार-विष से कर्म और कर्ता की रक्षा करता है।