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Bremji Kul : Kashmir के इस पवित्र पेड़ से मिलती है औषधि, कई गुणों से भरपूर है सेल्टिस ऑस्ट्रेलिस

जम्मू कश्मीर कई मायनों में स्पेशल है। अपनी वादियों के लिए मशहूर धरती के इस जन्नत में कुछ ऐसी चीजें हैं जो इस प्रदेश को खास बनाती हैं। इन्हीं में एक है ब्रेमजी कुल पेड़। जानिए क्यों खास है ये पेड़

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श्रीनगर, 04 जून : भारत की मिट्टी में कई ऐसी चीजें जन्म लेती हैं, जिनके बारे में वर्णन करना अक्सर मुश्किल होता है। शायद ऐसे ही किसी मौके पर अमेरिकी दार्शनिक और लेखक राल्फ वाल्डो इमर्सन (Ralph Waldo Emerson) ने एक बार कहा था, एक बलूत (acorn) में एक हजार जंगलों का सृजन होता है। सैकड़ों साल पहले आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहे कश्मीर में सूफी संतों की मजार और कब्रों के आस-पास ब्रेमजी कुल (Bremji Kul) नाम का पेड़ सबको आकर्षित करता है। ब्रेमजी कुल को सेल्टिस ऑस्ट्रेलिस (celtis australis) नाम से भी जाना जाता है। इस आलेख में पढ़ें, क्यों खास है ब्रेमजी कुल पेड़ और क्यों इसे कश्मीर के पवित्र पेड़ का दर्जा हासिल है।

bremji tree kashmir

ब्रेमजी कुल मिट्टी का कटाव रोकता है

ब्रेमजी कुल पेड़ की प्रजाति पश्चिमी हिमालय क्षेत्र की है। इस पेड़ का इस्तेमाल चारा, ईंधन, लकड़ी और कृषि कार्यों में किया जाता है। एक विश्वसनीय पौधा माने जाने वाले ब्रेमजी कुल से पशुओं को स्वादिष्ट, पोषक तत्वों से भरपूर, टैनिन मुक्त चारा भी मिलता है। स्वाभाविक रूप से, ब्रेमजी कुल नमी वाली मिट्टी में बढ़ता है। उदाहरण के लिए छोटे झरने, नदियों, बाड़ों, तटों और नमी वाली रेत में ब्रेमजी कुल अच्छे से विकसित होता है। इस पेड़ की गहरी और फैली हुई जड़ें सूखा प्रतिरोधी (drought resistant) होती हैं। गौरतलब है कि कश्मीर में बाढ़ की आशंका वाली जगहों पर ब्रेमजी कुल मिट्टी के कटाव को रोकने में भी कमाल की भूमिका निभाता है।

बारहमासी पौधा, 25 मीटर तक ऊंचाई

तेजी से बढ़ने वाले पेड़ ब्रेमजी कुल से लकड़ियां अच्छीखासी मात्रा में मिलती हैं। बारहमासी पौधा होने के कारण इसकी ऊंचाई 25 मीटर तक जाती है। पेड़ में चिकनी छाल और एक गोल छतरी नुमा आकृति होती है। जाड़े के मौसम में थोड़े समय के लिए पेड़ की छाल और छतरी खत्म हो जाते हैं। ब्रेमजी कुल के फूल छिपे रहते हैं। इसके फल छोटे और गोल होते हैं, जो बैंगनी रंग के गुच्छों में लटके होते हैं। ये फल पक्षियों और छोटे जीवों का आहार होते हैं।

bremji kul

ब्रेमजी कुल कागज बनाने में कारगर

आमतौर पर, ब्रेमजी कुल चारे और लकड़ी के लिए ही लगाया जाता है। हालांकि, अब औषधीय गुणों की जानकारी के मुताबिक भी ब्रेमजी कुल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी लकड़ी की गुणवत्ता चाबुक के हैंडल, लाठी, कप, चम्मच, खेल-कूद के सामान, डोंगी जैसी चीजें बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मैटेरियल, ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरण बनाने में भी ब्रेमजी कुल की लकड़ी काफी कारगर है। जलावन में इस्तेमाल के लिए भी ब्रेमजी कुल काफी उपयोगी है। सस्ते कागज बनाने में भी इस पेड़ का भरपूर इस्तेमाल होता है।

ब्रेमजी कुल से उपकरण बनाएं

आमतौर पर, ब्रेमजी कुल चारे और लकड़ी के लिए ही लगाया जाता है। हालांकि, अब औषधीय गुणों की जानकारी के मुताबिक भी ब्रेमजी कुल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी लकड़ी की गुणवत्ता चाबुक के हैंडल, लाठी, कप, चम्मच, खेल-कूद के सामान, डोंगी जैसी चीजें बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मैटेरियल, ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरण बनाने में भी ब्रेमजी कुल की लकड़ी काफी कारगर है। जलावन में इस्तेमाल के लिए भी ब्रेमजी कुल काफी उपयोगी है। सस्ते कागज बनाने में भी इस पेड़ का भरपूर इस्तेमाल होता है।

महिलाओं को फायदे

ब्रेमजी कुल का बॉटेनिकल नाम 'सेल्टिस ऑस्ट्रेलिस' (Celtis Australis) है। पहाड़ी क्षेत्रों में ये पेड़ अपने औषधीय महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके फलों के प्रयोग से खून का बहना (amenorrhea) रोका जा सकता है। पेट दर्द और मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव (heavy menstrual bleeding) से निजात पाने में भी ब्रेमजी कुल के फल काफी कारगर साबित होते हैं।

तेल का औषधीय उपयोग

कुछ अन्य परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ब्रेमजी कुल की छाल को पीसकर पेस्ट तैयार किया जाता है। फोड़े, खरोंच, मोच और जोड़ों के दर्द में इस पेस्ट को लगाने पर लाभ मिलता है। हड्डियों से जुड़ी बीमारी में भी इस पेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। पेचिश, डायरिया और पेप्टिक अल्सर के इलाज में भी ब्रेमजी कुल के फल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके मीठे फल को कच्चा या पकाकर खाया जा सकता है। फल के बीज से बनने वाले तेल का औषधीय उपयोग किया जाता है।

ब्रेमजी कुल कश्मीर की विशेषता बना

प्रचंड गर्मी के मौसम में ब्रेमजी कुल ठंडक देता है। ऐसे में लोगों का मानना है कि कब्रों को मिलने वाली छाया नैसर्गिक रूप से कब्रों के आसपास बढ़ने का एक कारण है। सूफी विद्वान मौलाना नूर उद्दीन (Sufi scholar Maulana Noor ud Din) के मुताबिक पेड़ लगाना सुन्नत है। कश्मीर में 14वीं शताब्दी के मिशनरियों ने पेड़ लगाने के संदेश को फैलाया और स्वाभाविक रूप से, ब्रेमजी कुल पेड़ कश्मीर की विशेषता बन गया।

कुछ ऐसी होती है ब्रेमजी कुल की आभा

कश्मीर की खासियत ब्रेमजी कुल पेड़ एक हजार साल तक जीवित रहते हैं। हालांकि, दुर्भाग्य से, अब कश्मीर के परिदृश्य से ब्रेमजी गायब हो रहा है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक सूफी संतों की मजारों और कब्रों के आसपास उगने वाले ब्रेमजी कुल पेड़ों की संख्या घाटी में बढ़ती गई, लेकिन इन्हें व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं उगाया जाता। इस वृक्ष के नीचे साधु-संत तपस्या करते थे। जैसे-जैसे पेड़ बड़ा होता है, यह एक छतरी के रूप में फैलता है। ऐसा लगता है मानो कब्रों पर शाखाओं की छांह में गुंबद के आकार बन रहा हो। इस पेड़ के नीचे बैठे व्यक्ति के मन से नकारात्मकता और बेचैनी दूर होती है।

पेड़ों को बचाने के लिए डिजिटल ट्री आर्काइव

गत मार्च महीने में चिनार दिवस (15 मार्च) पर बडगाम, पुलवामा और श्रीनगर जिलों में चिनार लगाने के लिए बड़ा वृक्षारोपण अभियान चलाया गया। चिनार भी कश्मीर के परिदृश्य और संस्कृति का पर्याय है। सरकार ने 5,000 से अधिक चिनार के पेड़ लगाए हैं। पेड़ों का संरक्षण और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल ट्री आर्काइव भी बनाया जा रहा है।

फिर से हरियाली बिखेरेंगे ब्रेमजी कुल

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक पेड़ों के संरक्षण की इसी कड़ी में अगला नंबर ब्रेमजी कुल के संरक्षण और प्रचार का है। 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' और 'हर गांव हरियाली' योजना के बैनर तले, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी कश्मीर के पुनर्निर्माण पर दृढ़ता से जोर दे रहे हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि कश्मीर में ब्रेमजी कुल दोबारा उगेंगे।

ये भी पढ़ें- Aromatic Plant Farming : खुशबू वाले पौधों की खेती कर रही 'फैबुलस फाइव,' जानिए 5 दोस्तों की सक्सेस स्टोरी

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English summary
Know about Bremji Kul tree alias Celtis Australis grown along cemeteries and tombs of Sufi saints in Kashmir Valley. This is well known for medicinal values and fodder, fuel, timber and agriculture. It provides palatable, nutrient-rich, tannin-free fodder for livestock.
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