जब नरेंद्र मोदी ने बाजरे की आधी रोटी पानी के साथ खाई, जानिए पीएम के खाने से जुड़े रोचक किस्से
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले कई ऐसे संघर्ष भरे लम्हों से गुजरे हैं जो बड़ा मुकाम हासिल करने का ख्वाब देखने वाले लोगों को प्रेरित करते हैं। ऐसा ही किस्सा है 40 साल पहले नरेंद्र मोदी को मिली बाजरे की आधी रोटी का।
नई दिल्ली, 25 मई : भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। भारत में मिलेट्स और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर रिसर्च के दौरान बाजरे की खेती और इसे जुड़ा रोचक प्रसंग सामने आया। बाजरे की रोटी और नरेंद्र मोदी के कनेक्शन पर आधारित वनइंडिया हिंदी की इस स्पेशल स्टोरी में पेश हैं, पहले आरएसएस कार्यकर्ता, फिर मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोजन से जुड़े कुछ रोचक प्रसंग। पढ़िए, दिलचस्प, भावुक और प्रेरक किस्से
खाने
में
बाजरे
की
आधी
रोटी
और
दूध
!
दरअसल,
नरेंद्र
मोदी
प्रधानमंत्री
बनने
से
पहले
बतौर
आरएसएस
कार्यकर्ता
लंबे
समय
तक
देशभर
में
घूमते
रहे
हैं।
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक
संघ
(आरएसएस)
कार्यकर्ता
रहने
के
दौरान
पीएम
मोदी
ने
कई
ऐसे
संघर्ष
भरे
लम्हों
को
जिया
है,
जो
देश
के
शीर्ष
पद
पर
पहुंचने
के
बाद
भी
भावुक
कर
जाता
है।
अपनी
लाइफ
में
बड़ा
मुकाम
हासिल
करने
का
ख्वाब
देखने
वाले
लोगों
को
ये
प्रसंग
इंस्पायर
कर
सकते
हैं।
ऐसा
ही
एक
किस्सा
लगभग
40
साल
पहले
का
है,
जब
नरेंद्र
मोदी
को
खाने
में
बाजरे
की
आधी
रोटी
और
दूध
मिली
थी।
गुजरात के डॉक्टर अनिल रावल ने सुनाया किस्सा
गौरतलब है कि खुद नरेंद्र मोदी कई मौकों पर बता चुके हैं कि उन्होंने गरीबी के कठिन दौर का सामना किया है। इनका जिक्र लोगों को अक्सर भावुक कर जाता है। बचपन में चाय बेचने वाला किस्सा अक्सर लोगों के बीच चर्चा का केंद्र रहता है। गरीबी देखने और उसे प्रभावित होने का ऐसा ही किस्सा गुजरात के डॉक्टर अनिल रावल ने शेयर किया है। मोदी स्टोरी ट्विटर हैंडल (@themodistory) पर 27 मार्च की वीडियो में डॉ रावल बताते हैं कि 83-84 की बात होगी। उन्होंने बताया, डॉ आरके साठी की कार थी। नरेंद्र भाई ड्राइव कर रहे थे। मैं उनकी बगल में आगे वाली सीट पर बैठा था। रास्ते में उनसे पूछा कि अंतिम मानव के उत्थान करना है, ये संकल्प मन में कब आया ? बकौल अनिल रावल, नरेंद्र मोदी ने बताया कि वे एक गांव में गए थे। पूर्णकालिक स्वयंसेवक थे। पूर्णकालिक प्रचारक दोपहर का भोजन लेने के लिए किसी स्वयंसेवक के घर जाते हैं। वे एक स्वयंसेवक के झोपड़े में गए। वहां उनकी पत्नी और छोटा बच्चा था।
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मोदी ने पानी के साथ खाई आधी रोटी
डॉ रावल ने नरेंद्र मोदी के हवाले से बताया, 'उन्होंने मुझे खाने के बारे में पूछा। उबड़-खाबड़ थाली में बाजरे की रोटी का आधा टुकड़ा दिया। छोटी कटोरी में दूध दिया। मां की गोदी में बैठा बच्चा दूध को एकटक देख रहा था। मैं समझ गया कि जो दूध मुझे दिया गया है वो उस बच्चे का है। मैंने कहा, मैं बाहर नाश्ता कर के आया हूं। मुझे आधे का भी आधा टुकड़ा दो। पानी के साथ आधी रोटी खाई, दूध छोड़ दिया। मां ने दूध बच्चे को दिया। उसने एक ही सांस में पूरा दूध पी लिया।' बकौल डॉ रावल, पीएम मोदी की आंखों में आंसू आ गए, उनका दिल भर आया। क्या देश में इतनी गरीबी और अभावग्रस्त लोग हैं ? इसी समय उन्होंने संकल्प लिया कि वे अपना जीवन भारत के अंतिम मानव के उत्थान के लिए जीएंगे।
दिलचस्प है कि 27 जनवरी, 2015 के मन की बात कार्यक्रम के विशेष प्रसारण के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मौजदूगी में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बाजरे की रोटी वाला प्रसंग सुनाया था।
मोदी की थाली में बिहार का लिट्टी चोखा !
एक अन्य मौके पर फरवरी, 2020 में पीएम मोदी को हुनर हाट में बिहार का मशहूर व्यंजन लिट्टी चोखा खाते देखा गया था। दिल्ली में आयोजित हुनर हाट में पीएम मोदी ने बिहार के खाने की स्टॉल पर जानकारी ली और लिट्टी चोखा के अलावा कुल्हड़ वाली चाय का भी आनंद लिया। उन्होंने खुद ट्वीट कर इस प्रसंग की जानकारी दी थी।
वृंदावन में बच्चों को पीएम मोदी ने परोसा खाना
प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी किसी कार्यक्रम के सिलसिले में साल 2019 में वृंदावन के दौरे पर थे। इस दौरे के दौरान पीएम मोदी को बच्चों को खाना परोसते देखा गया था। पीएम मोदी ने फरवरी, 2019 में एक कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों की थाली में रोटियां परोसी थीं।
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मोदी ने रसोई संभाली, आरएसएस कार्यकर्ताओं को कराया भोजन
मोदी स्टोरी ट्विटर हैंडल (@themodistory) पर एक अन्य वीडियो में नरेंद्र मोदी से जुड़ी कहानी सुनाते हुए भारत मोदी बताते हैं कि साधना साप्ताहिक के ट्रस्टी के परिवार के साथ उन्होंने अहमदाबाद जाने का मौका मिला। उन्होंने ट्रस्टी की पत्नी के हवाले से बताया, एक बार नरेंद्र मोदी सुबह-सुबह उनके घर आए और कहा कि चार पांच कार्यकर्ता आने वाले हैं। उनका भोजन बनाना है।
बकौल भरत मोदी, पत्नी को बुखार है, ट्रस्टी नरेंद्र मोदी को ये बात बता कह नहीं सके। भरत मोदी ने बताया, नरेंद्र मोदी का स्वभाव है कि कोई भी काम किसी को सौंपने पर वे उसका फॉलोअप जरूर लेते हैं। 11 बजे के आसपास नरेंद्र भाई दोबारा उनके घर आए, पूछा कि भोजन की क्या तैयारी है। नरेंद्र भाई ने कहा कि पड़ोस से बहनजी को बुलाकर वे भोजन बना रही हैं। नरेंद्र भाई ने पूछा, 'रसोई के लिए बहनजी को क्यों बुलाया है ?'
ट्रस्टी की पत्नी ने मोदी को बताया, मुझे बुखार है, चार-पांच लोगों की रसोई कैसे बनेगी ? आपको मना भी नहीं कर सकती थी। इसलिए पड़ोसी को बुलाया। ट्रस्टी की पत्नी ने बताया कि नरेंद्र मोदी ने उन्हें आराम करने को कहा और 11 बजे से लेकर कार्यकर्ताओं का भोजन खत्म होने तक भोजन परोसने और रसोई का सारा काम खुद संभाला।
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मोदी का निर्देश- मंत्री से पहले ड्राइवर भोजन करेंगे
इंसानों के भोजन के प्रति मोदी की संवेदनशीलता को लेकर एक अन्य घटना अहमदाबाद के कार्यकर्ता जिग्नेश शाह ने बताई। जिग्नेश बताते हैं कि 1995-96 में पहली बार गुजरात में भाजपा की सरकार बनी। अहमदाबाद में एक अधिवेशन में नरेंद्र मोदी ने बतौर कार्यकर्ता उनको चुना था। 32-33 मंत्रियों का जमावड़ा था। नरेंद्र मोदी के साथ गुजारे 4 दिनों का याद कर जिग्नेश शाह बताते हैं कि वे सिंपल और संवेदनशील इंसान हैं।
ड्राइवरों
का
भोजन
सबसे
पहले
बकौल
जिग्नेश
शाह,
मुझे
मोदी
का
स्पेशल
निर्देश
था
कि
मंत्रियों
के
ड्राइवर
जब
बाहर
बैठे
होते
थे
उनका
भोजन
सबसे
पहले
होना
चाहिए।
उन्होंने
बताया
कि
मोदी
का
मानना
था
कि
ड्राइवरों
को
सैलरी
मिलती
है,
लेकिन
रात-दिन
मंत्रियों
के
साथ
नि:स्वार्थ
रूप
से
घूमते
रहते
हैं।
इनका
भी
समर्पण
है।
इसलिए
इनका
भोजन
सबसे
पहले
होना
चाहिए।
जिग्नेश
कहते
हैं
कि
इस
प्रसंग
से
कहा
जा
सकता
है
कि
गरीबों
के
प्रति
मोदी
की
विचारधारा
पहले
से
ही
संवेदनशील
थी।
नरेंद्र मोदी का आइडिया, 10 हजार लोगों के लिए जुटाई रोटी
ट्विटर हैंडल मोदी स्टोरी (@themodistory) पर खाने से जुड़ा एक और प्रसंग है। इसमें गुजरात के रहने वाले अनिल जोढानी बताते हैं कि लगभग 10 हजार लोगों के लिए खाने के इंतजाम में नरेंद्र मोदी का आइडिया काम आया।
10
हजार
परिवारों
के
लिए
घर-घर
से
मांगी
रोटी
अनिल
जोढानी
बताते
हैं
कि
अहमदाबाद
में
आरएसएस
शिविर
लगाने
के
समय
खाने
के
इंतजाम
के
लिए
नरेंद्र
मोदी
के
आइडिया
पर
अमल
करते
हुए
10
हजार
परिवारों
से
प्रति
परिवार
10
रोटी
ली
गई
इससे
खाने
का
इंतजाम
आसानी
से
हो
गया।
मोदी ने आडवाणी के लिए टिफिन का इंतजाम किया
खाने के प्रति संवेदनशील नरेंद्र मोदी का एक किस्सा परेश धूलिया बताते हैं। उन्होंने बताया, 1990 के चुनाव में जामनगर में लालकृष्ण आडवाणी की रैली थी। नरेंद्र भाई ने कहा था कि आडवाणी जी के लिए टिफिन आपको घर से लाना है।
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मोदी ने तीन दिन बाद लौटाई टिफिन
ट्विटर हैंडल मोदी स्टोरी (@themodistory) पर पोस्ट की गई वीडियो में परेश धूलिया ने बताया कि आडवाणी जी के लिए उन्होंने टिफिन तैयार किया और नरेंद्र भाई को दिया। तीन दिन के बाद वो टिफिन उनके पास पहुंचा। इतनी छोटी सी बात का ध्यान रखना मोदी की संवेदनशीलता दिखाता है।
पीएम मोदी मां के साथ खाने की टेबल पर
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी कई बार अपनी मां से मिलने गुजरात गए। ऐसे ही कुछ दुर्लभ मौकों से उनकी फोटो वायरल हो चुकी हैं। फोटो में पीएम मोदी और उनकी मां हीराबेन खाने की टेबल पर देखे जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री घर का खाना खाने मां के पास पहुंचे
मां हीराबेन के साथ खाने की मेज पर पीएम मोदी की एक अन्य तस्वीर में उन्हें नारंगी रंग हाफ जैकेट में देखा जा सकता है। 2019 की इस तस्वीर में पीएम मोदी अपनी ट्रेडमार्क ड्रेस- कुर्ता-पायजामा पहने हैं।
हुनर हाट में पीएम मोदी ने चाय का आनंद लिया
हुनर हाट में पीएम मोदी ने चाय का भी आनंद लिया था। इस दौरान कड़े सुरक्षा इंतजाम के बीच कुछ लोगों ने उनके साथ सेल्फी भी क्लिक की थी।
रसगुल्ला और पीएम मोदी
खाने से जुड़ी पीएम मोदी की एक अन्य फोटो पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी (2019) के साथ वायरल हुई थी। इस फोटो में प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रसगुल्ला खिलाते देखे जा सकते हैं। दूसरी फोटो साल 2015 की है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्व कैबिनेट सहयोगी रामविलास पासवान के साथ देखे जा सकते हैं। पासवान ने मकर संक्रांति के मौके पर पीएम मोदी को बिहार का पारंपरिक व्यंजन परोसा था।
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