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CM हेमंत सोरेन के निर्णय पर जनजातीय समुदाय में खुशी, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना पर रोक

झारखंड सरकार ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज (Netarhat Field Firing Range) के अवधि विस्तार के प्रस्ताव को विचाराधीन प्रतीत नहीं होने के बिं

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रांची,18 अगस्त: झारखंड सरकार ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज (Netarhat Field Firing Range) के अवधि विस्तार के प्रस्ताव को विचाराधीन प्रतीत नहीं होने के बिंदु पर अनुमोदन दे दिया है. वर्ष 1964 में नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की शुरुआत हुई थी. उसके बाद तत्कालीन बिहार सरकार ने वर्ष 1999 में नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार किया था. मुख्यमंत्री ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की है. नेतरहाट फील्ड फायरिंग पर रोक के बाद जनजातीय समुदाय में खुशी देखी जा रही है.

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नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार जिला के करीब 39 राजस्व गांवों द्वारा आमसभा के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था. जिसमें नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा बताया गया था कि लातेहार और गुमला जिला पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत आता है. यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है, जिसके तहत ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है.

28 वर्ष से हो रहा आंदोलन

झारखंड की राजधानी रांची से 170 किलोमीटर दूर छोटानागपुर की रानी नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट के टुटुवापानी नामक स्थान में जल, जंगल, जमीन के लिए, लातेहार और गुमला के 245 गांव के हजारों आदिवासी पिछले 28 साल से नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन पर थे. 1994 से हर वर्ष 22-23 मार्च को विरोध होता रहा है. वर्ष 1966 से सेना रुटीन तोपाभ्यास करती आ रही थी. लातेहार व गुमला जिला के 157 मौजों के 245 गांव की 1471 वर्ग किलोमीटर भूमि को अधिसूचित किया गया था. 1991-92 के बाद गांवों की संख्या एवं क्षेत्र का विस्तार किए जाने का विरोध व्यापक रूप से शुरू हुआ.

दिसंबर 1993 में पायलट प्रोजेक्ट नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन संघर्ष समिति नाम से एक संगठन बन गया. वर्ष 1994 में 22 से 27 मार्च के बीच सेना का रूटीन तोपाभ्यास तय था. 1991-92 व 1993 की अधिसूचना में बढ़ाई गयी. गांवों की संख्या को लेकर लोगों का दबा आक्रोश बाहर आया. 20 मार्च से ही जन संघर्ष समिति के बैनर तले फायरिंग रेंज के विरोध में लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होने लगी. एक सप्ताह तक चले इस जन-आंदोलन में सवा लाख ग्रामीण दिन-रात डटे रहे और सेना को 1994 में ग्रामीणों के दबाव पर अपनी गाड़ियों व तोपवाहन को लेकर वापस जाना पड़ा.

कई दिग्गज शामिल हुए हैं आंदोलन में

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना रद्द करने के आंदोलन में देश भर से कई हस्तियों ने अपनी सहभागिता निभाई. कई पत्रकार से लेकर लेखक भी इस आंदोलन में शामिल रहे है. इसी वर्ष किसान नेता राकेश टिकैत व माले विधायक विनोद सिंह ने 22 मार्च को नेतरहाट पहुंच कर ग्रामीणों का साथ दिया था.

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English summary
Tribal community happy on CM Hemant Soren's decision, ban on notification of Netarhat field firing range,
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