पंजाब सरकार की नई ट्रांसपोर्ट नीति का मुद्दा हाईकोर्ट पहुंचा, जानें क्या आदेश मिले?
चंडीगढ़। पंजाब सरकार की ओर से 23 अगस्त को जारी नई ट्रांसपोर्ट एंड लेबर पॉलिसी के खिलाफ कई और जिलों के ठेकेदारों ने भी पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का रुख कर लिया है। सोमवार को हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को 31 अगस्त वाली याचिका के साथ क्लब कर दिया है और उन्हें आदेशों को बरकरार रखते हुए सरकार को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने पंजाब सरकार के प्रिंसीपल सैक्रेटरी, खाद्य व आपूर्ति विभाग के निदेशक सहित स्टेट कंज्यूमर अफेयर कमेटी के सचिव व संबंधित जिलों की याचिकाओं पर डी.सी. को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है।
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इधर,
सिद्धू
ने
अदालत
के
आदेश
को
दी
चुनौती
यह
खबर
लुधियाना
से
है।
पूर्व
डी.एस.पी.
बलविंदर
सिंह
सेखों
द्वारा
पूर्व
खाद्य
आपूर्ति
मंत्री
भारत
भूषण
आशु
के
खिलाफ
दायर
एक
शिकायत
मामले
में
पूर्व
मंत्री
नवजोत
सिंह
सिद्धू
ने
सुरक्षा
कारणों
का
हवाला
देते
हुए
उन्हें
गवाह
के
रूप
में
तलब
करने
के
निचली
अदालत
के
आदेश
को
चुनौती
दी
है।
सिद्धू
ने
सेशन
कोर्ट
में
उनका
नाम
गवाह
के
तौर
पर
हटाए
जाने
या
वीडियो
कान्फ्रेंसिंग
के
जरिए
उनसे
पूछताछ
करने
की
अपील
की
है।
सिद्धू
की
याचिका
पर
संज्ञान
लेते
हुए
सेशन
जज
मुनीश
सिंगल
की
अदालत
ने
निचली
अदालत
को
सेशन
अदालत
के
समक्ष
निर्धारित
सुनवाई
की
अगली
तारीख
7
सितंबर
से
पहले
मामले
को
खारिज
करने
का
निर्देश
दिया
है।
कोर्ट
ने
शिकायतकर्ता
को
उसके
वकील
हरीश
रॉय
ढांडा
के
जरिए
नोटिस
जारी
किया
है।
सी.जे.एम.
सुमित
मक्कड़
की
अदालत
ने
सिद्धू
को
गवाह
के
रूप
में
तलब
किया
था
जिसके
बाद
सिद्धू
ने
अपने
वकील
के
माध्यम
से
सुरक्षा
कारणों
का
हवाला
देते
हुए
उन्हें
गवाहों
की
सूची
से
हटाने
के
लिए
एक
आवेदन
दायर
किया
था।
सी.जे.एम.
ने
उनके
आवेदन
को
इस
टिप्पणी
के
साथ
खारिज
कर
दिया
कि
एक
गवाह
के
रूप
में
सिद्धू
की
उपस्थिति
जरूरी
है।
उन्होंने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता पूर्व डी.एस.पी. सेखों के मुताबिक, उन्हें तत्कालीन स्थानीय सरकार के मंत्री नवजोत सिद्धू ने जांच के लिए मामल सौंपा था और पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु ने फोन कर शिकायतकर्ता को जांच रोकने की धमकी दी थी इसलिए मामले में गवाह के तौर पर सिद्धू की गवाही स्पष्ट रूप से जरूरी है।