झारखंड में फिर खुलेंगे 4 हजार से अधिक बंद हो चुके स्कूल, जानें क्या है तैयारियां
4096 स्कूलों को झारखंड सरकार फिर से खोलेगी। इसके लिए सभी जिलों से एक महीने में रिपोर्ट मांगी गई है।
Jharkhand News: सत्र 2016-17 और उसके बाद विलय किए गए 4096 स्कूलों को झारखंड सरकार फिर से खोलेगी। इसके लिए सभी जिलों से एक महीने में रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर जून से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र (2023-24) से इन स्कूलों को दुरुस्त कराकर खोला जा सकेगा। झारखंड शिक्षा परियोजना की राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी ने सभी उपायुक्तों को एक महीने में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
झारखंड के 4096 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में विलय कर दिया गया था। इन स्कूलों को एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राथमिक विद्यालय के स्थान पर एक से अधिक स्कूल के रहने या एक परिसर में एक से अधिक स्कूल संचालित होने के कारण प्रशासनिक व भौगोलिक रूप से मर्ज कर दिया गया था। उसी तरह, ऐसे मध्य विद्यालय जो निर्धारित तीन किलोमीटर की परिधि में से एक से अधिक स्कूल रहने व छात्र संख्या जिन स्कूलों में नगन्य थी वैसे 527 स्कूलों को अवक्रमित (डिमोशन) कर प्राथमिक विद्यालय बना दिया गया था।
एजुकेशन कॉउंसिल की निदेशक किरण कुमारी पासी ने निर्देश दिया है कि मर्जर होने वाले स्कूलों में से कई स्कूल मर्ज हो गए हैं जो भौगोलिक दृष्टिकोण से कठिन क्षेत्र में किया गया है। साथ ही, जिनका मर्जर ऐसे स्कूलों में हो गया है, जहां मर्ज किए गए स्कूलों के बच्चों को जाने में अत्याधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दुर्गम क्षेत्रों या राष्ट्रीय-राज्य मार्गों को पार कर स्कूल जाना पड़ता है।
शिक्षा
मंत्री
ने
दिया
था
निर्देश
झारखंड
में
विलय
किये
गये
स्कूलों
को
खोलने
की
तैयारी
सरकार
गठन
के
बाद
से
ही
की
जा
रही
है।
शिक्षा
मंत्री
जगरनाथ
महतो
भी
इसके
पक्ष
में
हैं।
2022
में
शिक्षा
विभाग
की
आयोजित
दो
बैठकों
में
उन्होंने
इस
पर
गंभीरता
जतायी
और
अधिकारियों
से
रिपोर्ट
तलब
की।
शिक्षा
मंत्री
ने
कहा
कि
विभिन्न
जनप्रतिनिधियों
व
अन्य
माध्यमों
से
स्कूल
के
विलय
से
समस्या
सामने
आ
रही
है।
ऐसे
में
इन
स्कूलों
को
छात्र
हित
में
फिर
से
खोलने
और
पढ़ाई
सुनिश्चित
करने
की
दिशा
में
कार्रवाई
की
जाए।
छात्रहित
में
जिला
प्रशासन
करे
काम
जेईपीसी
की
एसपीडी
किरण
कुमारी
पासी
ने
जिलों
के
उपायुक्त
को
छात्र
हित
में
अपने
जिले
के
वर्ष
2016-17
व
उसके
बाद
मर्ज
किये
गये
विद्यालयों
की
समीक्षा
अपने
स्तर
से
एक
महीने
में
करने
का
निर्देश
दिया
है।
उपायुक्त
यह
देखेंगे
कि
अगर
ऐसा
कोई
स्कूल
जो
पूर्व
में
मर्ज
या
अवक्रमित
किया
गया
हो
और
इस
मर्जर
के
कारण
संबंधित
विद्यालय
के
छात्र-छात्राओं
को
कठिनाई
हो
रही
हो
तो
ऐसे
स्कूलों
को
चिह्नित
किया
जाएगा।
साथ
ही,
कारणों
के
साथ
निदेशक
प्राथमिक
शिक्षा
और
राज्य
परियोजना
निदेशक
को
उपलब्ध
कराएंगे,
ताकि
इस
पर
सरकार
स्तर
से
उन्हें
फिर
से
खोलने
के
संबंध
में
निर्णय
लिया
जा
सके।