Lord Krishna Story: जानिए गांधारी ने क्यों दिया था श्रीकृष्ण को श्राप?
Lord Krishna Death Story: श्री कृष्ण भारतीय जनमानस पर छाए हुए एक ऐसे नायक हैं, जिनकी पारलौकिक शक्ति पर श्रद्धालु अंधभक्ति रखते हैं। जहाँ कृष्ण हैं, वहाँ असम्भव भी संभव है। जहाँ कृष्ण हैं, वहां हर चमत्कार संभव हैं। जहां कृष्ण हैं, वहाँ विपरीत परिस्थितियों में भी विजय संभव है। जहां कृष्ण हैं, वहाँ भवसागर के कष्टों से पार जाकर मोक्ष की प्राप्ति संभव है। ऐसे जन- जन के मुक्तिदाता, स्वयम भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की मृत्यु एक नहीं, बल्कि दो- दो श्रापों के कारण हुई थी। सुनने में यह बात अजीब लगती है, पर सच यही है।
आज इसी विचित्र घटना के बारे में जानते हैं
जैसा कि हम सब जानते हैं कि श्री कृष्ण स्वयम भगवान विष्णु के अवतार थे, पर वे इस संसार को जीवन की सीख देने मानव रूप में अवतरित हुए थे। मानव देह के धर्म का निर्वाह करने के लिए श्री कृष्ण को कभी-न-कभी मृत्यु को अंगीकार करना ही था। उनके इस अंत के भी दो कारक बने। इनमें से एक थी कौरवों की माता गांधारी और दूसरे थे महर्षि दुर्वासा।
कौरव वंश का समूल नाश हो चुका था
पहली कथा के अनुसार महाभारत का युद्ध समाप्त होने तक कौरव वंश का समूल नाश हो चुका था। सौ पुत्रों को खोने के बाद माता गांधारी का हृदय दग्ध था। ऐसे में श्री कृष्ण जब उनसे मिलने पहुंचे, तब दुखी हृदया माता गांधारी ने कहा- हे कृष्ण! तुम तो संसार को संभालने की क्षमता रखते हो। तुम चाहते तो बिना रक्तपात के सारी समस्या का समाधान कर सकते थे। तुम चाहते, तो आज इस तरह मेरे वंश का समूल नाश न हुआ होता, पर तुम्हारे कारण मैंने अपना सब कुछ खो दिया। मैं तुम्हें श्राप देती हूं कि 36 वर्ष के अंदर तुम्हारे यादव वंश का भी इसी तरह समूल नाश होगा और तुम्हारा भी आकस्मिक वध होगा। महारानी गांधारी के कथनानुसार 36 वर्षों के अंदर ही आपसी कलह और द्वेष के कारण समस्त यादव वंश समूल नष्ट हुआ और कृष्ण जी भी अनजाने में बहेलिए के तीर का शिकार बने।
ऋषि दुर्वासा दिव्य शक्तियों के स्वामी थे
दूसरी कथा में महर्षि दुर्वासा की भूमिका आती है। ऋषि दुर्वासा ब्रह्मज्ञानी होने के कारण दिव्य शक्तियों के स्वामी थे। उन्हें ज्ञात था कि कृष्ण जी की कुंडली में घात है। अपने परम प्रिय देव की रक्षा के लिए ऋषि श्रेष्ठ ने दिव्य खीर बनाई और श्री कृष्ण से कहा कि वे अपनी समस्त देह पर यह खीर मल लें। शरीर का एक भी हिस्सा छूटने न पाए। इस खीर के प्रभाव से वे अमर हो जाएंगे। श्री कृष्ण ने अपनी पूरी देह में खीर लगा ली, पर पैर के तलवों को छोड़ दिया। यह देखकर महर्षि दुखी व क्रोधित हो गए और बोले- हे कृष्ण! यह क्या किया, मेरे समस्त प्रयासों को व्यर्थ कर दिया! मैं जानता हूं कि मानव देह का धर्म निभाने के लिए आप ने जानबूझकर यह कार्य किया है। अब यही कार्य आपके अंत का कारण बनेगा। आपके प्राण, आपके तलवों पर प्रहार से ही मुक्त होंगे।
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