Vijayadashami 2022: कौन है रावण के पैरों के नीचे लेटा ये आदमी, काफी दिलचस्प है यह पौराणिक कथा
नई दिल्ली, 05 अक्टूबर। Vijayadashami 2022: Story of blue man under Ravana feet: आज पूरा देश विजयदशमी के पर्व को मना रहा है। विजयदशमी के पर्व को भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध यानि अधर्म पर धर्म की जीत के तौर पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन पांडवों का 13 साल का वनवास आज के ही दिन खत्म हुआ था। इसके बाद ही पांडवों को अपने शस्त्रों की पूजा करने की अनुमति मिली थी। विजयदशमी को शस्त्र पूजन के कार्यक्रम के तौर पर भी मनाया जाता है। यह त्योहार भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृति विरासत से जुड़ा है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाया जाता है।
रावण के वध के रूप में मनाया जाता है विजयदशमी
मुख्य तौर पर दशहरे के पर्व को रावध के वध के तौर पर याद किया जाता है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में रावण दहन किया जाता है। लेकिन रावण के सिंहासन को जब कभी भी दिखाया जाता है तो उसके सिंहांसन के पास कोई लेटा रहता है। रावण के पैरो के नीचे एक शख्स लेता रहता है, जिसके देखकर हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह शक्स कौन है जो रावण के पैरों के नीचे लेटा है। लोगों में के मन में यह सवाल भी उठता है कि आखिर यह व्यक्ति कौन है रावण के सिंहासन के पास लेटा रहता है, उसके ऊपर रावण अपना पैर रखे रहता है।
कौन है रावण के पैरों के नीचे
रावण के सिंहासन के पास लेटे व्यक्ति के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा है। दरअसल रावण ज्योतिष शास्त्र का महान ज्ञाता था। वह चाहता था कि उसका पुत्र दीर्घायु हो और कोई भी देवी-देवता उसके प्राण ना ले सके। यही वजह है कि जब रावण की पत्नी मंदोदरी गर्भवती थी तो रावण यह चाहता था कि उसका पुत्र ऐसे गृह नक्षत्र में पैदा हो कि वह महापराक्रमी, कुशल योद्धा और तेजस्वी बने। उसने सभी ग्रहों को सही स्थिति में रहने को कहा। लेकिन शनि देव ने इसका उल्लंघन किया तो रावण ने अपने बल से शनि देव को अपने पैरों के नीचे दबा दिया।
मेघनाद के जन्म के समय दिया था आदेश
रावण चाहता था कि उसके बेटे की आयु लंबी हो। अपनी इसी इच्छा के चलते रावण ने मेघनाद के जन्म के समय सभी ग्रहों को आदेश दिया था कि वह सुख और उच्च की स्थिति में रहें। सभी ग्रह रावण से काफी भयभीत रहते थे, यही वजह है शनि को छोड़कर सभी ग्रह सुख और उच्छ स्थिति में विराजमान थे। लेकिन सिर्फ शनि देव ही ऐसे ग्रह थे जो रावण से बिल्कुल नहीं डरे। रावण को इस बात का ज्ञान था कि शनि देव ही आयु की रक्षा करते हैं।
शनि देव ने आदेश नहीं माना
रावण को इस बात का अंदेशा था कि शनि देव आसानी से उसकी बात को नहीं मानेंगे। यही वजह है कि रावण ने अपने बल का प्रयोग करते हुए शनि देव को ऐसी स्थिति में रखा जिससे कि उसके होने वाले पुत्र की आयु लंबी हो सके। हालांकि रावण के पराक्रम के चलते शनि देव रावण के नियंत्रण में रहे लेकिन अपनी दृष्टि को वक्री कर लिया। यही वजह है कि रावण का पुत्र मेघनाद दीर्घायु नहीं हो सका।
क्रोधित रावण ने शनिदेव का पैर तोड़ दिया
रावण को जब इस बात की जानकारी मिली की शनि ने आज्ञा का उल्लंघन किया है तो वह काफी दुखी था। जिसके बाद रावण ने ब्रह्मदंड की मदद से शनिदेव पर प्रहार किया। शनि देव के एक पैर पर वार करके उसे तोड़ दिया था। जिसके बाद रावण हमेशा शनि देव को अपने पैरों के नीचे रखता था। लेकिन बाद में लंका दहन के समय वीरपुत्र हनुमान ने शनिदेव को रावण के नियंत्रण से मुक्त कराया था।