Navagraha Yantra: ग्रहों की अनुकूलता के लिए करें नवग्रह यंत्र की स्थापना
नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के भाग्य को उसकी जन्मकुंडली में मौजूद ग्रह सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। मनुष्य के जीवन में होने वाली छोटी से छोटी घटना भी ग्रहों से प्रेरित होती है। मनुष्य की सोच, मन, मस्तिष्क को ग्रह प्रभावित करते हैं। यदि मनुष्य की कुंडली में कोई ग्रह ठीक नहीं है तो उसके जीवन में पग-पग पर समस्याएं आती हैं और यदि कोई ग्रह अत्यंत प्रभावी है तो मनुष्य साधारण परिस्थितियों में जन्म लेने के बाद भी उच्च शिखर तक पहुंच जाता है। इन्हीं नवग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए अनेक लोग प्रयास करते रहते हैं, लेकिन सही दिशा में प्रयास नहीं करने के कारण सफल नहीं हो पाते हैं। नवग्रहों की शांति और पीड़ा से बचने का सबसे सटीक उपाय है नवग्रह यंत्र की स्थापना-पूजा। संपूर्ण नवग्रह यंत्र की स्थापना करने से कुंडली में ग्रह दोष के प्रभाव कम होने लगते है।
नवग्रह यंत्र के लाभ
- नवग्रह यंत्र में सभी नौ ग्रहों की विशेष ज्यामितिय आकृति होती है जिसे यंत्र कहा जाता है।
- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु इन नौ ग्रहों के यंत्र एक साथ अपनी-अपनी दिशाओं में स्थापित होते हैं।
- नवग्रह यंत्र की स्थापना अपने घर, दुकान या प्रतिष्ठान में करने से ग्रहों के दोष समाप्त होते हैं।
- अच्छे ग्रहों का शुभ प्रभाव बढ़ता है।
- भाग्य में कहीं रुकावट आ रही है तो वह बाधा दूर होती है।
- नवग्रह यंत्र की स्थापना सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करके व्यक्ति को निरोगी बनाता है।
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सही दिशा का ज्ञान होना चाहिए
- प्रत्येक ग्रह का अपना स्वभाव होता है, इस यंत्र से उसके प्रभाव में वृद्धि होती है।
- नवग्रह यंत्र जिस जगह स्थापित होता है, उस जगह पर यह सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करता है। नकारात्मकता दूर होती है।
- अपने कार्यों में अधिकतम सफलता हासिल करने के लिए इस यंत्र की स्थापना करना चाहिए।
- कार्यों में रुकावट, वैवाहिक कार्यों में बाधा, दांपत्य सुख, संतान सुख में कमी है तो नवग्रह यंत्र से सारी कमियां दूर हो जाती हैं।
क्या सावधानियां रखें
- नवग्रह यंत्र को स्थापित करते समय सही दिशा का ज्ञान होना आवश्यक है।
- नवग्रह यंत्र को उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा में स्थापित किया जा सकता है।
- नवग्रह यंत्र को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के रविवार को स्थापित करना चाहिए।
- यंत्र दोषपूर्ण नहीं होना चाहिए। अर्थात् यंत्र में उकेरे गए कोण, बीज मंत्र, संख्याएं आदि सब अच्छे से दिखाई दे, उनमें किसी प्रकार का दोष न हो, यंत्र में टूट-फूट, दरार आदि ना हो।
- नवग्रह यंत्र अनेक धातुओं के अलावा क्रिस्टल का भी हो सकता है। यह सभी प्रकार की धातुओं में उत्तम होता है, लेकिन साधारण मनुष्य अष्टधातु में बना नवग्रह यंत्र स्थापित करें।
- स्थापना से पहले इसका विधिवत शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा अवश्य करना चाहिए। बिना प्राण प्रतिष्ठा के यंत्र का विशेष लाभ प्राप्त नहीं होता है।
कैसे करें नवग्रह यंत्र की स्थापना
नवग्रह यंत्र को स्थापित करने के लिए प्रातःकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। नवग्रह यंत्र को एक पात्र में रखकर पहले साधारण जल से, फिर पंचामृत या गाय के कच्चे दूध से और उसके बाद गंगाजल से स्नान करवाए। शुद्ध कपड़े से पोंछकर चौकी पर स्थापित करें। नवग्रहों के यंत्रों की पूजा करें। नवग्रह स्तोत्र या नवग्रह मंत्र का जाप करें।
ब्रह्मा
मुरारी
त्रिपुरांतकारी
भानुः
शशि
भूमिसुतो
बुधश्च
गुरुश्च
शुक्रः
शनि
राहु
केतवः
सर्वे
ग्रहा
शांति
करा
भवंतु।
इस मंत्र का जाप करें। हाथ जोड़कर नवग्रहों से प्रार्थना करें कि हमारी समस्त समस्याओं को दूर करने और सुख-समृद्धि में वृद्धि प्रदान करें। इसके बाद नवग्रह यंत्र को प्रतिदिन स्नान करवाकर पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो।
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