New Government in Gujarat: टिकट बंटवारे से ज्यादा गुजरात के नए मंत्रिमंडल गठन में उलटफेर
गुजरात में बीजेपी ने अपना मुख्यमंत्री बना लिया है। सरकार में नए मंत्रियों की नियुक्ति भी कर दी है, विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। इसके साथ ही अनेक चर्चाओं को नए सिरे से जन्म भी दे दिया गया है।
Gujarat New Government: विधानसभा चुनाव से साल भर पहले ही भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बनाए गए थे, और गुजरात के ज्यादातर लोग इस चुनाव तक के लिए उनको अस्थायी सीएम मान कर चल रहे थे। लेकिन बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने पटेलों का विश्वास टूटने नहीं दिया। भूपेंद्र पटेल को दूसरी बार शपथ दिलाकर गुजरात के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में सम्मान दिया। इस तरह बीजेपी और मोदी ने अगले आम चुनाव के लिए गुजरात की 18 फीसदी पटेल आबादी को नए सिरे से साध लिया है। लेकिन मंत्रिमंडल में 9 सीटें खाली रखकर सभी के लिए बेहतर संभावनाओं की जलेबी भी लटकाए रखी है।
हालांकि, यह रहस्य अब भी बरकरार है कि क्या भूपेंद्र पटेल अपने से पहले वाले पांच पटेल मुख्यमंत्रियों की तरह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। यह चुनौती भी है कि आखिर एक सरल, सीधे सादे और सकारात्मक राजनीति करने वाले भूपेंद्र पटेल पांच साल बाद वाला चुनाव अपने बूते पर कैसे जिता पाएंगे? लेकिन इन सारे सवालों के बीच पटेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही अपने मंत्रिमंडल का भी गठन किया। 16 मंत्रियों को शपथ दिलाने के साथ ही तत्काल विभागों का वितरण करके अपनी सरकार के कामकाज की शुरूआत भी कर दी है। नई सरकार में 4 कोली, 4 पाटीदार, 2-2 क्षत्रिय, ओबीसी व आदिवासी समाज से, तो जैन, ब्राह्मण व दलित 1 - 1 मंत्री हैं। नई सरकार में इलाकाई संतुलन को देखें, तो उत्तर गुजरात से 3, मध्य गुजरात से 4, सौराष्ट्र से 5 और दक्षिण गुजरात से 4 मंत्री बने हैं।
भूपेंद्र पटेल इससे पहले सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री बने थे। उनके नए मंत्रिमंडल में 11 चेहरे तो वे हैं, जो पिछली सरकार में उनके मंत्रिमंडल में थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पटेल ने अपनी पिछली सरकार के 11 मंत्रियों को नहीं लिया है, जिनको गुजरात की राजनीति में दिग्गज माना जाता है। गुजरात की राजनीति में यह चर्चा का विषय है कि बीजेपी की ऐतिहासिक जीत हासिल करने में जिनका योगदान रहा, वे ही सरकार से बाहर हैं। पार्टी ने विधानसभा की कुल 182 में से 156 सीटें जीती हैं और यह गुजरात में किसी भी पार्टी का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है।
गुजरात सरकार में मुख्य़मंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल में कनुभाई देसाई, ऋषिकेश पटेल, राघवजी पटेल, बलवंत सिंह राजपूत, कुंवरजी बावलिया, मुलू बेरा, भानुबेन बाबरिया और, डॉ. कुबेर डिंडोर कैबिनेट मंत्री बने हैं। हर्ष संघवी, जगदीश विश्वकर्मा, मुकेश पटेल, परसोतम सोलंकी, बचूभाई खाबड़, प्रफुल पनसेरिया, भीखूसिंहजी परमार, कुंवरजी हलपति ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। 8 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्री। इस सरकार की खास बात यह है कि नई सरकार में कुंवरजी बावलिया, बलवंतसिंह राजपूत, राघवजी पटेल और कुंवरजी हलपति चार मंत्री ऐसे हैं, जो पहले कांग्रेस के नेता रहे हैं, लेकिन अब मोदी की मेहरबानी और वक्त की जरूरत के कारण बीजेपी के मंत्री हैं।
सन 1995 से लगातार सातवीं बार विधायक बने इंजीनियर परसोतम सोलंकी 90 के दशक की शुरूआत में मुंबई के अंधेरी से नगरसेवक थे, लेकिन वहां अपने राजनीतिक विकास की बहुत संभावनाएं न दिखीं, तो तत्काल अपनी मातृभूमि का रुख कर गए। देखते ही देखते वो गुजरात में 19 प्रतिशत कोली समाज का सबसे बड़ा चेहरा बन गए। वे केशुभाई पटेल, नरेन्द्र मोदी, आनंदीबेन पटेल व विजय रुपाणी की सरकारों में भी लगातार मंत्री रहे।
सोलंकी का राजनीतिक प्रभाव इतना है कि दशक भर पहले उनके परिवार के पांच सदस्य विधानसभा में थे। उनके भाई हीरा सोलंकी इस बार फिर विधायक का चुनाव जीते हैं। भूपेन्द्र पटेल की पिछली सरकार में उन्हें जगह नहीं मिली, तो नाराज थे, पर बाद में मोदी ने मना लिया। अब फिर नाराजगी की संभावनाएं बन रही हैं, क्योंकि लगातार सात बार से विधायक और 1998 से 2021 तक लगातार राज्यमंत्री बने रहने की वरिष्ठता के बावजूद सोलंकी को फिर राज्यमंत्री ही बनाया गया है। एक कोली कुंवरजी बावलिया पहले से ही कैबिनेट मंत्री है, सो पेंच फंस गया है।
बीजेपी में आकर दूसरी बार मंत्री बने कुंवरजी बावलिया सौराष्ट्र के दिग्गज कोली नेता हैं। वे पहले कांग्रेस में थे और पार्टी छोड़कर बीजेपी में आए, तो विजय रूपाणी की सरकार में जल आपूर्ति मंत्री रहे। बावलिया सौराष्ट्र में जबरदस्त प्रभावी हैं और वहां से लगातार जीतते रहे हैं। इसी तरह पहले कांग्रेस में रहे बलवंतसिंह राजपूत सिद्धपुर से विधायक हैं। वे उत्तर गुजरात के दिग्गज नेता हैं और अगर आपको याद हो, तो अहमद पटेल के खिलाफ राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के तीसरे उम्मीदवार के रूप में वे मोहरा बने थे। उसी बगावत के पुरस्कार स्वरूप बाद में उन्हें जीआईडीसी का अध्यक्ष बनाया गया था, और अब मंत्री बने हैं।
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राजनीति के जानकारों में कयास लग रहे थे कि हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर को भी सरकार में शामिल किया जा सकता है। लेकिन कयास लगाने वालों को नहीं पता था कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी जो न करे, वही कम। क्योंकि वे जनभावनाओं पर तो काम करते हैं, लेकिन जनता के अंदाजों व कयासों को हर बार खारिज होना पड़ता है। वैसे भी, बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक और युवा नेता हार्दिक पटेल ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि वे मंत्री नहीं बन रहे हैं और अल्पेश ठाकोर तो चुप ही रहे। हार्दिक से मीडिया ने पूछा था, तो उन्होंने कहा कि अभी मैं बहुत युवा हूं, तथा पहली बार का विधायक हूं। मैं पार्टी के लिए काम करने में विश्वास रखता हूं।
गुजरात की राजनीति के जानकार डॉ. जितेंद्र नागर मानते हैं कि गुजरात में कुल 25 मंत्री बन सकते हैं। मगर 16 ही बने हैं, तो 9 और विधायकों के मंत्री बनने की संभावनाएं बनाए रखकर बीजेपी ने सभी उम्मीदें जगाकर रखी हैं। ऐसे में हर विधायक अच्छा काम करके पुरस्कार पाने की कोशिश में रहेगा।
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डॉ. नागर बताते हैं कि बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में भी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जातिगत समीकरण साधने हैं। नई जिम्मेदारियां देकर कई लोगों से बेहतर काम लेना है, इसलिए भी मंत्रिमंडल में 9 सदस्यों के लिए स्कोप रखा है। वरिष्ठ पत्रकार मेहुल झाला मानते हैं कि भले ही भूपेंद्र पटेल को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने पटेलों का विश्वास जीतने की कोशिश की है, लेकिन वे पूरे पांच साल तक इस पद पर बने रहेंगे, इसका पक्का भरोसा नहीं है। आखिर 2024 के अगले लोकसभा चुनाव में जीत भी तो जरूरी है।