Himachal Assembly Elections: हिमाचल में बागियों ने किया भाजपा का बंटाढार
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के बागी उम्मीदवारों ने भाजपा का खेल खराब कर दिया। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद भी बागी शांत नहीं बैठे और उन्होंने भाजपा को हार का स्वाद चखा ही दिया।
प्रधानंत्री मोदी के गृह प्रदेश गुजरात ने जहा उम्मीदों के ज्यादा सीटें भाजपा को दे दी, वहीं भाजपा अध्यक्ष नड्डा के गृह प्रद्रेश हिमाचल में मतदाताओं ने रिवाज बरकरार रखते हुए कांग्रेस को सत्ता सौंप दी। हिमाचल में भाजपा का राज बचाने की तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस ने 68 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें लेेकर बहुमत हासिल कर लिया है। भाजपा को सिर्फ 25 सीटें मिली है।
भाजपा के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जरूर अच्छे मार्जिन से जीत गए लेकिन उनकी सरकार के 10 में से 8 मंत्री हार गए। जयराम सरकार के जो मंत्री हारे उनमें सुरेश भारद्धाज, राकेश पठानिया, सरवीण चौधरी, रामलाल मरकंडा, वीरेन्द्र कवर, राजीव सैजल, राजेन्द्र गर्ग, गोविंद ठाकुर को कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा। दो मंत्रियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए सीट बदल दी गई थी लेकिन उसके बाद भी दोनों मंत्री हारे। शिमला शहरी से विधायक रहे सुरेश भारद्वाज को भाजपा ने कसुम्पटी से चुनाव मैदान में उतारा था, जबकि नूरपुर से विधायक रहे राकेश पठानिया को फतेहपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था, उसके बाद भी दोनो मंत्री हार गये।
2017 के मुकाबले भाजपा ने 19 सीटें गंवाई है, वहीं कांग्रेस ने 2017 के मुकाबले 19 सीटें ज्यादा जीती है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को 2017 में एक सीट मिली थी वह सीट भी इस बार कम्युनिस्ट पार्टी ने गंवा दी। हिमाचल में भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरा विकल्प देने का दावा कर रही आम आदमी पार्टी हिमाचल में अपना खाता भी नहीं खोल पाई और अधिकांश सीटों पर जमानत गंवा दी।
जहां तक उम्मीदवारों की जीत हार की बात है तो हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ी जीत भाजपा के और सबसे छोटी जीत कांग्रेस के नाम रही। भाजपा के मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर ने लगातार छठी बार जीत हासिल करते हुए कांग्रेस के चेतराम ठाकुर को 38,183 वोटों से हराया, वही हमीरपुर जिले के भोरंज विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार ने भाजपा उम्मीदवार अनिल धीमान को 60 मतों से हराया। भाजपा के मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी में भाजपा ने 10 में से 9 सीटें जीती, वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के गृह जिले बिलासपुर की 4 में से 3 सीटें भाजपा ने जीतकर इन नेताओं को शर्मिंदगी से बचा लिया। लेकिन भाजपा के एक और बड़े नेता और मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे अनुराग ठाकुर के क्षेत्र हमीरपुर में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। 5 विधानसभा वाले इस क्षेत्र में चार सीटों पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है। कांग्रेस ने अनुराग ठाकुर के क्षेत्र में आने वाली बड़सर, नादौन, सुजानपुर के साथ भौरंज सीट भी जीत ली।
सोलन में भी भाजपा का खाता नहीं खुला। यहां भाजपा पांचो सीटों पर हार गयी है। कांग्रेस ने 14 अक्टूबर को इसी सोलन में प्रियका गांधी की रैली करवाकर हिमाचल विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोलन में रैली की थी लेकिन उसके बावजूद भाजपा का सोलन से खाता नहीं खुला। सोलन जिले की चार सीटों सोलन सदर, अर्की, दून और कसौली सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। कसौली सीट से स्वास्थ मंत्री डॉ राजीव सैजल को चुनाव मे हार का सामना करना पड़ा। इस जिले की 5 सीटों में से 4 कांग्रेस ने जीती और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली।
यही नहीं भाजपा एप्पल बेल्ट में भी बुरी तरह हारी है। सेब बहुल क्षेत्रों की लगभग 17 विधानसभा सीटों में से भाजपा 14 सीटें हार गई। हिमाचल प्रदेश में 75 प्रतिशत सेब अकेले शिमला जिले में पैदा होता है। यहां की 8 में से 7 सीटें भाजपा हार गई। शिमला जिले में भाजपा सिर्फ चौपाल सीट बचाने में सफल रही।
भाजपा की हार में सबसे बड़ी भूमिका भाजपा के बागियों ने निभाई। कहा जा सकता है कि हिमाचल में भाजपा को कांग्रेस ने नहीं भाजपा के बागियों ने ही हराया है। हिमाचल प्रदेश में 6 प्रतिशत वोट भाजपा के हाथ से निकला और सत्ता हाथ से फिसल गई। इसके कारण भाजपा के हाथ से 19 सीटें निकल गई। भितरघात और बागियों के कारण भाजपा 4 जिलों लाहौर स्पीति, किन्नौर, सोलन, हमीरपुर से पूरी तरह साफ हो गई। नालागढ़ सीट से भाजपा के बागी केएल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह ने जीत कर भाजपा को चौंका दिया है।
महिला उम्मीदवारों को लेकर हिमाचल की जनता ने कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया है। इस बार चुनाव लड़ने वाली 24 महिलाओं में से एक ही महिला उम्मीदवार सदन में पहुंचने में कामयाब हुई है। 2017 में चार महिलाएं और 2012 में तीन महिलाएं विधानसभा पहुची थीं।
इस बार विधानसभा में भले ही एक महिला जीतकर पहुंची हो लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि प्रदेेश की मुख्यमंत्री एक महिला को ही बना दिया जाए। हालांकि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे है। प्रतिभा सिंह पूर्व दिग्गज कांग्रेसी नेता और मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की पत्नी है।
प्रतिभा सिंह के अलावा मुख्यमंत्री की रेस में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू की दावेदारी भी मजबूत है। पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान समिति के प्रमुख रहेे सुखविंदर राहुल के भरोसेमंद नेताओं में शामिल है। सुखविंदर को वीरभद्र के विरोध के बाद भी राहुल गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। हरोली से विधायक मुकेश अग्निहोत्री ने पिछले पांच साल हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका बेहतर ढंग से निभायी है। इसके कारण वह भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में है। मुकेश लगातार चार बार विधायक चुने जा चुके है।
हिमाचल की जातीय जनसंख्या को देखते हुए किसी ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने की प्रबल संभावना है। भाजपा के मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर, प्रेम कुमार धूमल और कांग्रेस के दिवंगत नेता और मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह इसी समुदाय से आते हैं। ऐसे में वीरभद्र की विधवा प्रतिभा सिंह के मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावना है।
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