पश्चिम बंगाल चुनाव: तृणमूल-भाजपा के चुनावी वायदों में कितनी सच्चाई?
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार मुकाबले की परिस्थितियां बन रही हैं। वोटरों को लुभाने के लिए दोनों दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी किये हैं। भाजपा और तृणमूल के घोषणा पत्र में कई समानताएं हैं। चूंकि तृणमूल ने घोषणा पत्र पहले जारी किया है इसलिए उसने भाजपा पर नकल का आरोप लगाया है। अब जैसे ममता बनर्जी ने कृषक बंधु योजना के तहत छोटे किसानों को हर साल दस हजार रुपये देने की घोषणा की तो भाजपा ने भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत राज्य के किसानों को हर साल 10 हजार रुपये देने की बात कह दी। इसमें छह हजार केंद्र और चार हजार रुपये राज्य सरकार देगी। अभी इस योजना में सालाना छह हजार रुपये देने की प्रावधान है। हालांकि भाजपा ने सभी किसानों को इस मद में बकाया 18 हजार रुपये देने की भी घोषणा की है जिसका तृणमूल के मेनिफेस्टो में कोई जिक्र नहीं है। चुनाव घोषणा पत्र के आधार पर ही कोई राजनीतिक दल जनता का भरोसा जीतने की कोशिश करता है। इसलिए इसमें लोकलुभावन वायदों की भरमार रहती है। अगर इन घोषाणाओं में से आधे भी पूरे हो जाएं तो राज्य का कल्याण अवश्यंभावी है। लेकिन ऐसा होता कम है।
तृणमूल बनाम भाजपा
तृणमूल कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि उसके शासनकाल में 40 फीसदी तक गरीबी कम हुई है। अब सवाल उठता है कि गरीब कौन है? दरअसल गरीबी के आंकलन का पैमाना और उसका निर्धारण इतना भरमाने वाला है कि इससे गरीबी का सही अंदाजा लगाना मुश्किल है। 2011 में योजना आयोग ने कहा था कि गांवों में रोजाना 26 रुपये और शहरों में 32 रुपये से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। क्या गरीबी का यह सरकारी आंकड़ा असल जिंदगी में कभी कोई स्वीकार करेगा ? कोई राज्य कितना अमीर या गरीब है यह उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) से तय किया जाता है। भाजपा ने गुजरात के विकास को आधार बना कर ममता बनर्जी के आर्थिक दावों को चुनौती दी है। देश के विकास में अगर राज्यों के योगदान की बात करें तो गुजरात का जीडीपी शेयर 7.9 फीसदी है जब कि पश्चिम बंगाल का डीडीपी शेयर 5.7 फीसदी ही है। 2018-19 में गुजरात की प्रति व्यक्ति आय पश्चिम बंगाल से दोगुनी थी। उस समय गुजरात में सालाना प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 53 हजार 495 रुपये थी वहीं पश्चिम बंगाल में सालाना प्रति व्यक्ति आय 67 हजार 300 रुपये थी।
अपना-अपना दांव
ममता बनर्जी ने कहा है अगर 2021 में हमारी सरकार बनती है तो हर साल 5 लाख लोगों के लिए रोजगार का अवसर पैदा करेगी। डेढ़ करोड़ लोगों को घर-घर राशन पहुंचाने का भी वायदा किया है। यानी लोगों को राशन लाने के लिए दुकान नहीं जाना पड़ेगा। एससी-एसटी वर्ग को हर महीने एक हजार रुपये देने की घोषणा की गयी है। दूसरी तरफ भाजपा ने अपने चुनावी वायदों को संकल्प पत्र का नाम दिया है। रोजगार के नाम पर भाजपा ने महिलाओं पर दांव खेला है। भाजपा ने वायदा किया है कि अगर उसकी सरकार बनती है तो वह महिलाओं को सरकारी नौकरी में 33 फीसदी का आरक्षण देगी। पहली क्लास से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। सार्वजनिक वाहनों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा मेलेगी। हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार देने का लक्ष्य है। भाजपा का दूसरा बड़ा दांव नागरिकता संशोधन कानून है। अगर भाजपा की सरकार बनती है तो कैबिनेट की पहली मीटिंग में ही सीएए लागू करने का प्रस्ताव पास करेगी। भाजपा ने हिंदुत्व का भी कार्ड खेला है। संकल्प पत्र में कहा गया कि पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा दिलायी जाएगी। बंगाली जनमानस से जुड़ाव के लिए भी भाजपा ने कोशिश की है। उसने सोनार बांग्ला निर्माण के लिए 11 हजार करोड़ का फंड देने का वायदा किया है। इसके अलावा भाजपा ने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है।
घोषणा पत्र क्या कागज का टुकड़ा हैं ?
क्या राजनीतिक दल केवल वोट लेने के लिए चुनाव घोषणा पत्र जारी करते हैं या फिर उसको लागू करने के लिए गंभीर भी होते हैं ? 2017 में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने एक सेमिनार में कहा था, "चुनावी वायदों के लगातार अधूरा रहने से राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र महज कागज का टुकड़ा बन कर रह गये हैं। उन्हें अपने वायदों को पूरा करने के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।" जस्टिस खेहर ने सही चिंता जाहिर की थी। ममता बनर्जी का दावा है कि उनके शासन में किसानों की आय तीनगुना बढ़ी है। लेकिन हकीकत क्या है ? केन्द्र सरकार या राज्य सरकार ने हाल में किसानों की आय का कोई सर्वे नहीं कराया है। आठ साल पुराने एक सर्वे के आधार पर केन्द्रीय कृषि मंत्री ने संसद में बताया कि पश्चिम बंगाल के किसानों की आमदनी जहां 3980 रुपये प्रतिमाह है वहीं पंजाब के किसानों की आमदनी 18 हजार 59 रुपये प्रतिमाह है। इस आंकड़े के आधार पर भी पश्चिम बंगाल के किसानों की आर्थिक तरक्की का सच समझा जा सकता है। उसी तरह भाजपा ने 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की है। क्या भाजपा शासित किसी राज्य में जनता को यह सुविधा मिलती है ? 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो वह केजरीवाल सरकार के मुकाबले पांच गुना अधिक सब्सिडी देगी। तब केजरीवाल ने कहा था कि क्या आप 1000 यूनिट मुफ्त बिजली देने की बात कर रहे हैं ? भाजपा शासित किसी राज्य में पहले 200 यूनिट मुफ्त बिजली देकर तो दिखाइए। अब यही सपना पश्चिम बंगाल में दिखाया जा रहा है।
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