अब काशी के पंडित से घर बैठे करवाइए पूजा, पोंगा पंडितों से पाइए मुक्ति
संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के सहयोग से 'वेयर इज माइ पंडित जी डॉट काम' पर जाकर अब दूरदराज में बैठे लोग अच्छे पंडितों का चयन कर उनके माध्यम से अपनी आस्था को पूरी कर सकते हैं।
वाराणसी। 'वेयर इज माइ पंडित जी डॉट काम' यानी मेरे पंडित जी कहां हैं। ये किसी पंडित जी के गुम हो जाने के बाद का वाक्य नहीं है। बल्कि ये वाक्य अब आपको अपने कंप्यूटर में दिखेगा जिसे लिखकर और एक इंटर मारने से आप अपने मनपसंद पंडित जी को तलाश कर पूरे विधि-विधान से पूजा करा सकते हैं। ये भी पढ़ें: वाराणसी: मंत्रों से बीमारियों को दूर करनेवाली सैकड़ों साल पुरानी किताब मिली!
दरअसल, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के सहयोग से 'वेयर इज माइ पंडित जी डॉट काम' पर जाकर अब दूरदराज में बैठे लोग अच्छे पंडितों का चयन कर उनके माध्यम से अपनी आस्था को पूरी कर सकते हैं। काशी आरंभ से ही धर्म और आस्था से जुड़ी हुई नगरी रही है और वेदों में भी इसका उल्लेख है, जिसके कारण यहां विदेशों से भी लोग पूजा आदि करवाने आते हैं। लेकिन घाट किनारे कुछ ऐसे लोग पंडित के भेष में रहकर इन्हें पूजा के नाम पर लूटने का प्रयास करते हैं, जिससे काशी की छवि धूमिल होती है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए 'वेयर इज माइ पंडित जी' वेबसाइट का शुभारंभ किया गया है।
संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर यदुनाथ दूबे ने बताया कि कर्मकांड व पूजा आदि में निपुण छात्रों को ऐसे लोगों की सहायतार्थ पूजा आदि करवाने के लिए वेबसाइट के माध्यम से भेजा जाता है। इसके लिए हम अपने यहां छात्रों को कर्मकांड आदि में निपुण करने के बाद भी उनका एक कौशल परीक्षण के माध्यम से चयन करते हैं और उसके बाद उन्हें पूजा करवाने के लिए भेजते हैं। जिससे समाज में गलत संदेश न जा सके और काशी की प्रसिद्धि बनी रहे।
संपूर्णानंद विश्वविद्यालय की तरफ से काम कर रहे प्रोफ़ेसर विनीत सिंह ने बताया कि इस वेबसाइट के जरिये पूजा की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय वाराणसी में बड़े या छोटे होटलों से संपर्क करेंगे। विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण छात्रों जो हर कर्मकांड आदि में निपुण हैं उन्हें इस वेबसाइट के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। जिससे विदेशों आदि से आने वाले लोगों को एक अच्छा पंडित उनकी पूजा आदि करवाने के लिए उपलब्ध हो सके। वेबसाइट के माध्यम से एक प्रक्रिया भी है कि जिन्हें अपने लिए जिस प्रकार की पूजा करवानी होती है वो उसमें एक फार्म भरकर भेजेंगे और उनकी मांग के अनुरूप उन्हें अच्छा पंडित उपलब्ध हो जायेगा।
इसके लिए एक्सपर्ट की टीम द्वारा पहले चरण में दो सौ छात्रों का चयन किया गया है। जिनसे मंत्रोच्चार व सभी परीक्षण कर उन्हें परिलक्षित किया गया है। ये वो छात्र है जो चारों वेदों का सही उच्चारण बिना किसी ग्रंथ को देखे ही पूजा पाठ करवा सकते हैं। विश्वविद्यालय में प्रति वर्ष 5 से 6 सौ छात्र कर्मकांड व पूजा पाठ में निपुण होकर निकलते हैं और ऐसी पहल से उन्हें एक अच्छा रोजगार का माध्यम भी प्राप्त हो सकेगा। वहीं, इस प्रक्रिया के शुरू होने से संस्कृत पढ़ने वाले छात्र भी उत्सुक हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय के इस कदम का स्वागत किया है। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के छात्र मयंक का कहना है कि हम जब पढ़ाई पूरी कर लेते हैं तो हमे कमाई का साधन तलाशना पड़ता हैं। लेकिन, इस वेबसाइट से हम अपनी शिक्षा के जरिये ही धन कमा सकेंगे।
धर्म नगरी में पूजा के नाम से कई पोंगा पंडित घाटों पर घूमते रहते हैं। कुछ मंत्रो की जानकारी से वो कोई भी पूजा करा देते हैं। ऐसे में इस वेबसाइट से उन लोगों को ज्यादा आराम मिलेगा जो बाहर देश से आकर पूजा के नाम से ठगे जाते हैं। वहीं संस्कृत में पढ़ाई करने वालों के लिए रोजगार भी उपलब्ध होगा। ये भी पढ़ें: वाराणसी: मुंशी प्रेमचंद के गांव में जाकर बुरे फंसते हैं पर्यटक, जानिए कैसे?