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वाराणसी: मुंशी प्रेमचंद के गांव में जाकर बुरे फंसते हैं पर्यटक, जानिए कैसे?

बात है मुंशी प्रेम चन्द के गांव लमही में बने मुंशी प्रेम चन्द संग्रहालय की जहां शौचालय का निर्माण तक नहीं हुआ है।

By Arvind Kumar
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वाराणसी। मुंशी प्रेमचंद एक ऐसा नाम है जिसने साहित्य को वास्तवकिता में कलम के जरिये उकेरा। लेकिन आज भी उनकी ही जन्मभूमि लमही उस उपेक्षा की शिकार है जो पीएम मोदी का सपना है। बात है मुंशी प्रेमचंद के गांव लमही में बने मुंशी प्रेमचंद संग्रहालय की जहां शौचालय का निर्माण तक नहीं हुआ है। ख़ास बात ये है कि मुंशी प्रेमचंद का गांव लमही पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही पड़ता है। ये भी पढ़ें: शाहजहांपुर: जब बंदूक लेकर निकलती है दबंग लेडी तो कांप जाते हैं शोहदे

वाराणसी: मुंशी प्रेमचंद के गांव में जाकर बुरे फंसते हैं पर्यटक, जानिए कैसे?

वाराणसी जिले के लमही गांव को खुले में शौच-मुक्त गांव बनाने की घोषणा हो चुकी है। चारों तरफ इससे जुड़े स्लोगन भी देखने को मिल रहे है। लेकिन मुंशी प्रेमचंद्र जैसे महान शख्स के लिए ये गांव दुनिया में अपनी एक ख़ास पहचान रखता है। गांव के तक़रीबन हर घर में शौचालय बन चुका है। मगर गांव में एक भी सामुदायिक शौचालय नहीं है और ना ही मुंशी प्रेमचंद की याद में बने संग्रहालय में। जबकि यहां प्रत्येक दिन दर्जनों पर्यटक मुंशी प्रेमचंद के स्मारक और उनके संग्रहालय को देखने आते हैं। ऐसे में यहां आने वाले पर्यटकों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। लखनऊ से आई रंजना बताती हैं कि मुंशी प्रेमचंद की साहित्य किताबें पढ़ कर और उनकी जन्मभूमि लमही आकर उनके बारे में जानने की इच्छा हुई। इसलिए जब मैं वाराणसी आई तो सबसे पहले यहां घूमने आई। लेकिन यहां की अव्यवस्था देख कर काफी दुःख हुआ। लेकिन सबसे बड़ी शर्म की बात ये कि यहां एक भी सामुदायिक शौचालय नहीं है। गांव के निवासी नीलेश कहते हैं कि बाहर के लोग जब ये कहते हैं तो काफी दुख होता है।

वाराणसी: मुंशी प्रेमचंद के गांव में जाकर बुरे फंसते हैं पर्यटक, जानिए कैसे?

बता दें कि मुंशी जी के स्मारक को सरकार बना रही है पर स्मारक के नाम पर उनका मकान और अधूरे कामों के अलावा कुछ भी नहीं है। लेकिन उनके जीवन की अनमोल धाती को सहेजे रखा है सुरेंद्र चंद्र ने जिन्होंने मुशी जी की लिखी किताबों को अपनी प्रेरणा मानते हुए उनके घर पर अपनी कोशिशों से एक लाईब्रेरी चला रहे हैं। सुरेंद्र यहां आने वाले पर्यटकों को प्रेमचंद्र के बारे में बताते भी है। उनका कहना है कि मुंशी जी के प्रति सरकार का रवैया बेहद उदासीनता वाला है। इसके अलावा शौचालय का ना होना भी बेहद शर्मनाक बात है। उनका यह भी कहना है कि कई बार कोशिशे की पर अभी तक नहीं बन पाया है। वहीं, गांव के प्रधान राजेश का कहना है कि पर्यटकों को जब शौच की जरुरत पड़ती है तो गांव में रहने वाले लोगों के घरों में भेजा जाता है।

वाराणसी: मुंशी प्रेमचंद के गांव में जाकर बुरे फंसते हैं पर्यटक, जानिए कैसे?

वाराणसी में केंद्र सरकार की तरफ से सैकड़ों सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए रुपये तो आये, लेकिन अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में लालफ़ीताशाही की उदासीनता से जहां मुंशी प्रेमचन्द को जानने के लिए आने वाले पर्यटक परेशान है तो वही गांव के लोग भी हैरान हैं। ये भी पढ़ें: भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान के पोते की शर्मसार कर देने वाली करतूत

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English summary
no public toilet in village vetern hindi writer munshi premchand, tourist face prbolem.
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